दिल्ली नगर निगम में वार्डों के हुए परिसीमन की खामियों और एक विशेष वर्ग की अनदेखी को उजागर करने के लिए पूर्व केबिनेट मंत्री श्री सलमान खुर्शीद और अ0भा0क0कमेटी के एस.एसी. विभाग के चेयरमैन श्री राजेश लिलौठिया ने आज दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी कार्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन को सम्बोधित किया। संवाददाता सम्मेलन में कम्युनिकेशन विभाग के चेयरमैन एवं पूर्व विधायक श्री अनिल भारद्वाज, पूर्व विधायक श्री वीर सिंह धींगान, प्रदेश उपाध्यक्ष श्री अली मेंहदी, दिल्ली प्रदेश कांग्रेस एसी.सी. विभाग के चेयरमैन श्री संजय नीरज और अल्पसंख्यक विभाग के चेयरमैन श्री वाहिद कुरेशी भी मौजूद थे।
श्री सलमान खुर्शीद ने कहा कि दिल्ली नगर निगम वार्ड परिसीमन में रही कमियां लोकतांत्रिक व्यवस्था पर सवाल उठाती है। कांग्रेस ने एक राजनीति पार्टी के दायित्व को निभाते हुए वार्ड परिसीमन का अवलोकन करके इसमें आपत्ति और सुझाव प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष चौ0 अनिल कुमार के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने दिल्ली राज्य चुनाव आयोग को सौंपे है। उन्होंने कहा कि अपने मत को व्यक्त करने का अवसर सभी को मिलना चाहिए क्योंकि मत का सही प्रभाव निर्वाचित प्रतिनिधि को चुनने के समय पड़ता है। परंतु भाजपा के इशारे पर हुए निगम वार्ड परिसीमन को पूरी तरह किसी एक पक्ष को ध्यान में रखकर बनाया गया है, जो सही प्रक्रिया नही है क्योंकि परिसीमन लोकतंत्रिक व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
श्री सलमान खुर्शीद ने कहा कि दिल्ली में हुए परिसीमन पर सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि जब दिल्ली की जनसंख्या लगातार बढ़ रही है तो वार्डों की संख्या 272 से 250 कम किस आधार पर की गई, इस पर सवाल पूछने के बाद कोई स्पष्ट कारण नही बताया गया। क्या किसी विशेष लक्ष्य को साधकर तो वार्डों की संख्या कम नही की गई है? उन्होंने सवाल किया कि जिस विधानसभा में पहले 5 वार्ड थे और अब भी 5 वार्ड है तो फिर उसके वार्डों की जनसंख्या, बाउंड्री में बदलाव किस मकसद से किया गया? उन्होंने कहा कि जब परिसीमन का आधार प्रति वार्ड औसत जनसंख्या 65000 के साथ उसमें 10 प्रतिशत की कमी अथवा बढ़ोत्तरी को सुनिश्चित किया गया, तो परिसीमन समिति ने 80,000 की जनसंख्या वाले 32 वार्ड और 10 प्रतिशत से भी जनसंख्या वाले 80 वार्ड किस आधार पर बनाये। उन्होंने कहा कि परिसीमन समिति ने अपने फार्मूले का का पालन वार्ड निर्धारित करने में नही किया है। जबकि सबसे कम जनसंख्या वाला वार्ड 35,509 जनसंख्या का है और सबसे अधिक जनसंख्या वाला वार्ड मयूर विहार फेस -1 93381 जनसंख्या का है। परिसीमन समिति वार्ड निर्धारण करते समय अपनी मूल अवधारणा तथा अधिसूचना में किए गए वायदे से भटकी हुई दिखाई पड़ रही है।
श्री राजेश लिलौठिया ने कहा कि दिल्ली नगर निगम वार्ड परिसीमन ड्राफ्ट सामने आने के बाद भाजपा का दलित विरोधी चेहरा बेनकाब हो गया है। भाजपा ने सरकारी एजेंसियों को अपने हाथ की कठपुतली बनाकर संविधानिक व्यवस्था और लोकतंत्र को लगातार कमजोर करने का काम कर रही है। उन्होंने कहा कि आर.एस.एस. का दलित और अल्पसंख्यक वर्ग के साथ कभी तालमेल नही रहा। निगम वार्ड परिसीमन भाजपा के नियंत्रण में किसी साजिश के तहत किया गया है। उन्होंने कहा कि परिसीमन 23 विधानसभाओं में किया जाना चाहिए था लेकिन भाजपा को फायदा पहुॅचाने के लिए पूरी 70 विधानसभाओं के अधिकतर वार्डों की जनसंख्या और बाउंड्री को मनमाने ढंग से बिना तर्क के प्रक्रिया अपनाकर अलग-थलग किया गया है।
श्री लिलौठिया ने कहा कि जनसंख्या वृद्धि के साथ-साथ दलित और अल्पसंख्यक वर्ग की जनसंख्या भी लगातार बढ़ रही है। 272 वार्ड में 46 वार्ड आरक्षित रखे गए थे परंतु परिसीमन ड्राफ्ट में आरक्षित वार्डों की संख्या कम करके 42 करना दलित समुदाय प्रतिनिधित्व को कम करने की साजिश रची गई है। यही नही दलित व अल्पसंख्यक समुदाय के प्रति दुर्भावना के तहत दलित और अल्पसंख्यक बहुल वार्डों की जनंसख्या को नजदीकी वार्डों में विभाजित करके इन वर्गों की आवाज को दबाने का काम भाजपा के इशारे पर किया गया है। उन्होंने कहा कि निगम एकीकरण से पहले आम आदमी पार्टी बहुत शोर मचाया था परंतु निगम परिसीमन ड्राफ्ट के बाद आम आदमी पार्टी पूरी तरह चुप है क्योंकि आम आदमी पार्टी भाजपा की बी टीम है और केजरीवाल हर क्षेत्र में भाजपा की नीतियों का अनुसरण और समर्थन कर रहे है।
कम्युनिकेशन विभाग के चेयरमैन श्री अनिल भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली कांग्रेस मांग करती है कि परिसीमन प्रक्रिया न्याय संगत तथा लोकतांत्रिक सिद्धांतों के अनुरुप होनी चाहिए। परिसीमन में निगम वार्डों को निर्धारण में जनसंख्या का तय करने के 65000 (10% +/-) के अपने फार्मूले से भटक कर 112 वार्डो का गलत निर्धारण किया है। उन्होंने कहा कि दिल्ली कांग्रेस मांग करती है कि वार्डों का आरक्षण न्याय संगत हो तथा सामान्य जनता की भावनाओं को ध्यान में रखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि निगम परिसीमन समिति ड्राफ्ट में सुधार नही करेगा तो हम दिल्ली की जनता सुगम व्यवस्था प्रदान करने सड़कों पर अपना विरोध दर्ज कराऐंगे और दिल्ली की बेहतरी के लिए न्यायालय भी जाऐंगे।