दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष श्री रामवीर सिंह बिधूड़ी ने कहा है कि केजरीवाल सरकार दिल्ली के किसानों की जमीन को कोड़ियों के भाव लूट रही है। लुटियन जोन से केवल 5 किमी. दूरी पर किसानों की जमीन को सिर्फ 552 रुपए प्रति वर्ग मीटर यानी 22 लाख रुपए प्रति एकड़ की दर से एक्वायर किया जा रहा है जबकि हरियाणा और उत्तर प्रदेश में किसानों की जमीन का मुआवजा 10 से 15 करोड़ रुपए प्रति एकड़ दिया जा रहा है। दिल्ली के किसान यह मुआवजा नहीं उठाएंगे और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के निवास के बाहर इस आदेश की प्रतियां जलाएंगे।
श्री बिधूड़ी ने आज यहां एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि दिल्ली सरकार ने बारापूला एलिवेटिड रोड फेज-2 के निर्माण के लिए रिंग रोड पर सराय काले खां से मयूर विहार यूपी लिंक पर नंगली रज़ापुर गांव की ढाई हैक्टेयर से ज्यादा जमीन एक्वायर करने के लिए नोटिफाई की है। इस जमीन की जो कीमत तय की गई है, उसने किसानों के पांवों तले से जमीन खिसका दी है। सरकार ने इस जमीन की कीमत का मुआवजा 552.42 रुपए प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से देने का फैसला किया है। दिल्ली के किसी कोने में इस रेट पर तो क्या इससे सौ गुना रेट पर भी जमीन उपलब्ध नहीं होगी लेकिन सरकार किसानों से जबरन यह जमीन लेकर उन्हें कोड़ियों में कीमत अदा करने जा रही है लेकिन किसान ये कीमत लेने के लिए हरगिज तैयार नहीं हैं। संवाददाता सम्मलेन में दिल्ली प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता श्री प्रवीण शंकर कपूर और किसानों के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे।
श्री बिधूड़ी ने कहा कि यह जमीन सामान्य खेती की जमीन नहीं है बल्कि सरकार ने स्वयं स्वीकार किया है कि इसमें आम, अमरूद, मौसमी, संतरा, चीकू, शहतूत, जामुन और अनार जैसे फलों के पेड़ हैं और यह जमीन बहुत उपजाऊ यानी बहुत कीमती है।
उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल सरकार किसानों के साथ हर तरह की ज्यादती के बाद अब उन्हें बेदर्दी से लूटने पर उतर आई है। 2013 के विधानसभा चुनावों में केजरीवाल ने किसानों की जमीन का मुआवजा 5 करोड़ रुपए प्रति एकड़ देने का वादा किया था। नए कानून के अनुसार अब यह रकम 15 करोड़ रुपए प्रति एकड़ बैठती है।
आखिर दिल्ली के किसानों के साथ यह अन्याय क्यों किया जा रहा है। आज तक लाल डोरा की सीमा नहीं बढ़ाई गई। किसानों को बिजली और कृषि संयंत्रों पर कोई सब्सिडी नहीं दी जाती जबकि दूसरे राज्यों में यह किसानों को उपलब्ध है। किसानों की गिरदावरी केजरीवाल सरकार ने बंद कर दी है जिससे किसी किसान की मृत्यु पर वैध उत्तराधिकारी के नाम भी जमीन ट्रांसफर नहीं हो रही। गांवों की जमीन का उपयोग गांवों के विकास पर नहीं हो रहा। मुख्यमंत्री केजरीवाल ने एमएसपी पर 50 फीसदी अतिरिक्त देने की घोषणा की थी लेकिन आज तक नहीं दिया गया।