जैसे आप आप सबको मालूम है, पिछले 4 महीनों में हम भारत जोड़ो यात्रा में कन्याकुमारी से लेकर कश्मीर तक पैदल चले। 3,600 किलोमीटर तकरीबन और इस यात्रा में बहुत कुछ सीखने को मिला और जो जनता की आवाज, हिंदुस्तान की आवाज है, उसको गहराई से सुनने का मौका मिला।
यात्रा की शुरुआत में मैंने सोचा था कि 3,500 किलोमीटर चलने हैं और मुश्किल है, मगर किया जा सकता है। आप भी राजनेता हैं, हम भी राजनेता हैं, हाँ, सेवक कह लीजिए और नॉर्मली आजकल की राजनीति में जो हमारा पुराना ट्रेडिशन था पैदल चलने का, वो आजकल हम सब लोग, हम भी, आप भी उस ट्रेडिशन को शायद भूल गए या उसका हम पालन नहीं करते हैं। मैं भी उसमें शामिल था, आप भी उसमें शामिल हैं, हम सब कोई गाड़ी में जाता है, कोई हवाई जहाज में जाता है, कोई हेलीकॉप्टर में जाता है, मगर पैदल कम चलते हैं। ठीक है और जब पैदल चला जाता है, (भाजपा सांसदों की टीका टिप्पणियों पर कहा) हाँ पैदल जाएंगे, सब जगह पैदल जाएंगे, घबराई मत। तो जब पैदल चला जाता है, मैं एक किलोमीटर की बात नहीं कर रहा हूं, 10 की नहीं कर रहा हूं, 25 की नहीं कर रहा हूं, मैं 200,300 या 400 किलोमीटर की बात कर रहा हूं। जब 200, 300 या 400 किलोमीटर चला जाता है, तब शरीर पर दबाव पड़ता है, दर्द होता है, मुश्किल आती है।
शुरुआत में चलते वक्त लोगों की आवाज सुन रहे थे हम, मगर हमारे दिल में ये भी था कि हम भी अपनी बात रखें। कोई हमारे पास आता था, कहता था कि मैं बेरोजगार हूं और हमें लगता था कि नहीं, हमें कहना चाहिए कि तुम बेरोजगार क्यों हो, कारण क्या है। उसमें हम विपक्ष का रोल भी प्ले कर लेते थे, आपकी भी बुराई कर देते थे। मगर थोड़ी देर चलने के बाद एक बदलाव आया और जो हमारी आवाज थी, जो ये डिजायर था बोलने का भैया बेरोजगारी इसलिए है, महंगाई इसलिए है, वो बिल्कुल बंद हो गई, कि हमने इतने लोगों से बात की, मतलब हजारों लोगों से बात की, बच्चों से, बुजुर्गों से, महिलाओं से, माताओं से, बहनों से की, कि थोड़ी देर बाद ये आवाज बिल्कुल बंद हो गई और फिर हम गहराई से और मैं खुल कर कह सकता हूं कि मैंने तो अपनी जिंदगी में इस प्रकार से कभी पहले सुना ही नहीं था,क्योंकि हम सब में थोड़ा सा अहंकार होता है कि हम ही बता दें, अपनी बात रख दें।
तो आहिस्ता-आहिस्ता जब हम चले 500, 600 किलोमीटर बाद जनता की आवाज गहराई से सुनाई देने लगी और एक प्रकार से यात्रा इंडिविजुअल नहीं, यात्रा हमसे बोलने लगी। नहीं, गहरी बात है (टीका टिप्पणियों पर कहा)। आप समझने की कोशिश करो, यात्रा हमसे बोलने लगी। तो यात्रा हमसे बोलने लगी, कोई आता था, कहता था, युवक आता था, कहता था मैं बेरोजगार हूं, हम सवाल पूछते थे – क्या पढ़ा आपने? इंजीनियरिंग की, अब क्या करते हो। कोई कहता था मैं बेरोजगार हूं, कोई कहता था मैं ऊबर चलाता हूं, कोई कहता था मैं मजदूरी करता हूं।
किसान आए हजारों, प्रधानमंत्री बीमा योजना की बात की कि हम पैसा भरते हैं। तूफान आता है, आंधी आती है, पैसा गायब हो जाता है। किसानों ने ये भी कहा कि हमारी जमीन छीन ली जाती है, हमें सही रेट नहीं मिलता। जमीन अधिग्रहण बिल जो था, वो लागू नहीं होता। आदिवासियों ने कहा, वनवासियों ने नहीं, आदिवासियों ने कहा कि जो ट्राइबल प्रावधान के अंतर्गत हमें दिया जाता था, वो आज छीना जा रहा है। तो बहुत सारी चीजें हमें सुनने को मिली। मगर मेन थ्रस्ट अगर मैं कहूं, मेन थ्रस्ट बेरोजगारी, महंगाई और किसान, उसमें एमएसपी थी, उसमें बीज की समस्या थी, किसान बिल की समस्या थी।
अग्निवीर की भी बात की लोगों ने। आपने अभी बोला कि अग्निवीर देश को फायदा पहुंचाएगा। मगर हिंदुस्तान का युवा जो 4 बजे दौड़ता है, आर्मी में भर्ती होने के लिए सुबह 4 बजे दौड़ता है, वो आपकी बात से सहमत नहीं है। उसने हमसे कहा कि पहले हमें 15 साल की सर्विस मिलती थी, पेंशन मिलती थी, अब 4 साल के बाद हमें निकाल दिया जाएगा, कुछ नहीं मिलेगा, पेंशन नहीं मिलेगी। सीनियर अधिकारियों ने कहा कि हमें तो लगता है कि ये जो अग्निवीर योजना है ये आर्मी के अंदर से नहीं आई, ये कहीं और से आई है, ये आरएसएस से आई है, ये होम मिनिस्ट्री से आई है। ये सीनियर आर्मी के लोगों ने कहा है, मैं नहीं कह रहा हूं, कि हमें लगता है कि आर्मी के ऊपर ये योजना थोपी गई है और ये आर्मी को कमजोर करेगी। आर्मी के जनरल ने हमें कहा, जो रिटायर्ड हैं, उन्होंने हमें कहा, राहुल जी हजारों लोगों को हम हथियार की ट्रेनिंग दे रहे हैं और थोड़ी देर बाद उनको समाज में डाल रहे हैं, बेरोजगारी है, समाज में हिंसा बढ़ेगी।
तो उनके मन में था कि ये जो अग्निवीर योजना है, ये आर्मी के अंदर से नहीं आई है और मुझे नाम भी बताया कि अजीत डोभाल जी ने ये योजना आर्मी पर थोपी है। (क्यों नहीं ले सकते हैं, बिल्कुल ले सकते हैं)। तो इंटरेस्टिंग बात ये है कि मैंने फिर प्रेसिडेंट एड्रेस पढ़ा। देश के सब युवा- अग्निवीर, अग्निवीर, अग्निवीर बोल रहे हैं।कह रहे है कि ये आर्मी के ऊपर थोपा गया है, हमें नहीं चाहिए, आर्मी के लोग कह रहे हैं कि ये हमें नहीं चाहिए। जैसे मैंने कहा आर्मी को लगता है कि होम मिनिस्ट्री ने इनके ऊपर थोपा है, आरएसएस ने इनके ऊपर थोपा है, तो ये आवाजें आ रही हैं।
तो मुझे एक फर्क दिखा, प्रेसिडेंट एड्रेस में बहुत सारी चीजें बोली गई। अग्निवीर के लिए एक लाइन थी, एक शब्द था, एक बार अग्निवीर शब्द का प्रयोग किया गया और वो भी अग्निवीर योजना हमने दी, उससे ज्यादा कुछ नहीं बोला। कहाँ से आई, कौन लाया, किसको फायदा होगा, ये नहीं बोला। बेरोजगारी शब्द ही नहीं था उसमें। आपने देखा होगा, बेरोजगारी शब्द ही नहीं था प्रेसिडेंट एड्रेस में, महंगाई शब्द ही नहीं था। तो जो यात्रा में हमें सुनने को मिला अग्निवीर, महंगाई, किसान, बेरोजगारी, प्रेसिडेंट एड्रेस में था ही नहीं। तो ये मुझे थोड़ा अजीब लगा कि जनता कुछ कह रही है और प्रेजिडेंट एड्रेस में कुछ और सुनाई दे रहा है।
अच्छा एक और चीज हमें बताई गई। तमिलनाडु से लेकर केरल, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, सब जगह, एक नाम सब जगह हमें सुनने को मिला – अडानी। ये नाम पूरे हिंदुस्तान में- केरल में, तमिलनाडु में, महाराष्ट्र, कर्नाटक, हिमाचल, कश्मीर सब जगह अडानी, अडानी, अडानी, अडानी। इस नाम के बारे में जब लोग बोलते थे मुझसे, तो दो-तीन सवाल पूछते थे। ये पूछते थे कि ये जो अडानी जी हैं ये किसी भी बिजनेस में घुस जाता है, ये सफलता प्राप्त कर जाता है, ये कभी फेल नहीं होता और युवाओं ने मुझसे ये सवाल पूछा कि ये हो क्या रहा है, हम भी सीखना चाहते हैं। मोदी जी ने कहा स्टार्ट अप करो, हम भी अडानी जी जैसा बनना चाहते हैं कि भईया, किसी भी बिजनेस में घुस जाओ और एक दम सक्सेस हो जाते हैं। ये पहला सवाल था।
दूसरा सवाल था कि ये अडानी जी हैं ये किसी भी बिजनेस में घुस जाते हैं। पहले ये एक-दो बिजनेस करते थे, अब ये 8-10 सेक्टर में काम करते हैं – एयरपोर्ट, डेटा सेंटर, सीमेंट, सोलर एनर्जी, विंड एनर्जी, एरो स्पेस एंड डिफेंस, कंज्यूमर फाइनेंस, रिन्यूबल एनर्जी, मीडिया। तो उन्होंने मुझसे पूछा कि राहुल जी, (हाँ, धन्यवाद, धन्यवाद) पोर्ट की बात भी थी। ये भी सवाल पूछा कि भैया एक बात बताइए, राहुल जी बताइए हमें कि अडानी जी का जो नेटवर्थ है, वो 2014 से लेकर 2022 तक ये 8 बिलियन डॉलर से 140 बिलियन डॉलर कैसे हो गया? ये 2014 में ( मुस्कुरा रहे हैं आप, बीजेपी में हैं ना आप) तो ये लिस्ट आती है, एक लिस्ट आती है दुनिया के सबसे अमीर लोगों की। इसमें ये 609 नंबर पर थे 2014 में, पीछे बिल्कुल। पता नहीं जादू हुआ, दूसरे नंबर पर पहुंच गए।
तो मुझसे पूछा, बहुत सारे लोगों ने पूछा कि भइया राहुल जी बताइए हिमाचल में सेब की बात होती है, अडानी जी। कश्मीर में सेब की बात होती है, अडानी जी। पोर्ट की बात होती है, अडानी जी। एयरपोर्ट की बात होती है, अडानी जी, इन्फ्रास्ट्रक्चर- अडानी जी। तो लोगों ने ये भी पूछा कि राहुल जी ये अडानी जी जो हैं, इनकी सफलता कैसे हुई? ये इतने बिजनेस में कैसे घुस गए, इतनी सफलता कैसे प्राप्त हुई और सबसे जरुरी सवाल इनका हिंदुस्तान के प्रधानमंत्री के साथ क्या रिश्ता है और कैसा रिश्ता है?
तो ये देखिए, रिश्ता (अडानी और प्रधानमंत्री की एक निजी विमान में यात्रा करते हुए फोटो दिखा कर श्री राहुल गांधी ने कहा) स्पीकर सर, नहीं, वो फोटो है सर, पोस्टर नहीं हैं। प्राइम मिनिस्टर की फोटो है सर, उस पर उनका बहुत अच्छा चेहरा दिख रहा है। उनके वहाँ पर पीछे अडानी जी का लोगो है, अडानी जी के हवाई जहाज में घुस रहे हैं। तो मैंने सोचा कि आज के प्रेसिडेंट एड्रेस में, मैं थोड़ा जो नरेंद्र मोदी जी और अडानी जी का रिश्ता है, उसके बारे में आपको थोड़ा बता देता हूं।
So, the relationship begins many years ago, when Shri Narendra Modiwas the Chief Minister of Gujarat and when most of India’s businesses were asking questions of the Prime Minister were against the Prime Minister.One man stood shoulder to shoulder with the Prime Minister then back-downed that’s commendable,It’s not a joke.He was loyal to the Prime Minister and what did he do- he helped Shri Narendra Modi to construct the idea of resurgent Gujarat.
The idea that you bring these businessmen together and you called it resurgent Gujarat, vibrant Gujarat, both.He was the backbone in setting up that group of people.The result of that was tremendous growth of his businesses in Gujarat, expansion of his businesses. I think then the real magic starts.जब प्रधानमंत्री जी दिल्ली आते हैं और 2014 में असली जादू शुरू होता है। मैंने कहा कि 2014 में वो 609 नंबर पर थे, कुछ ही सालों में वो दूसरे नंबर पर पहुंच गए। कैसे पहुंचे- वो बहुत सारी इंडस्ट्री में काम करते हैं, मैं आपको दो-तीन इंडस्ट्री के उदाहरण दे देता हूं। एयरपोर्ट की बात करते हैं। कुछ साल पहले सरकार ने हिंदुस्तान के एयरपोर्ट को डेवलप करने के लिए दिया। नियम था, there was a rule, that anybody who does not have prior experience in airports, cannot be involved in development of these airports.नहीं, गलत नहीं बोल रहा हूं।
तो रुल था कि अगर कोई एयरपोर्ट बिजनेस में नहीं था, तो वो इन एयरपोर्ट को ले नहीं सकता था। इस रुल को हिंदुस्तान की सरकार ने बदला। किसी ने भी बनाया हो, रुल था। रुल बनाया किसने, बात नहीं है, रुल बदला किसने, बात ये है। तो रुल को बदला गया, उस समय मीडिया में इसके बारे में चर्चा हुई थी, रुल बदला गया और अडानी जी को 6 एयरपोर्ट दिए गए।
After that India’s most strategic profitable airport Mumbai airport was taken awayfrom GVK, hijacked by using the agencies. एजेंसी का, सीबीआई, ईडी का प्रयोग करके जीवीके पर दबाव डालकर हिंदुस्तान की सरकार ने उस एयरपोर्ट को अडानी जी के हाथों में कर दिया। रिजल्ट क्या आया – रिजल्ट आया कि एयरपोर्ट्स में आज अडानी जी हिंदुस्तान के24 प्रतिशत एयर ट्रैफिक को अपने एयरपोर्ट्स से निकालते हैं और 31 प्रतिशत एयरफ्रेट उनके एयरपोर्ट्स में से निकलता है। अब ये काम हिंदुस्तान की सरकार और हिंदुस्तान के प्रधानमंत्री जी ने फैसिलिटेट किया।
अब आपने जो पिछले स्पीकर थे (भाजपा सांसद), उन्होंने फॉरेन पॉलिसी की बात की, हम भी फॉरेन पॉलिसी की बात करते हैं। चलिए, डिफेंस से शुरु करते हैं, बहुत ऑप्शन्स हैं, आप बताइए कहाँ से शुरु करें। Let’s start with defence, अब डिफेंस में अडानी जी का कोई एक्सपीरियंस नहीं था, जीरो एक्सपीरिंयस। कल मैंने प्रधानमंत्री को एचएएल में देखा। प्रधानमंत्री जी ने कहा कि गलत आरोप लगाया। मगर रियलिटी तो ये है कि एचएएल का जो कॉन्ट्रैक्ट था 126 हवाई जहाजों का, वो अनिल अंबानी को चला गया और अनिल अंबानी बैंकरप्ट हो गया। वहाँ भी फैसिलिटेशन था।
अब देखिए और ये जो फ्यूचर एटरप्रिन्योर हैं, जो बिजनेस स्कूल हैं, हार्वड यूनिवर्सिटी जैसे स्कूल हैं, इन्हें इनकी केस स्टडी बनानी चाहिए, शायद बने। How to use government power to build an individual business- a case study. तो अब देखिए, अडानी जी का डिफेंस में इंटरेस्ट देखिए, एलबीट (Elbit) कंपनी के साथ हिंदुस्तान में अडानी जी ड्रोन बनाते हैं। ड्रोन को हिंदुस्तान की एयरफोर्स, आर्मी, नेवी के लिए रिफिट करते हैं। अडानी जी ने ये काम कभी नहीं किया है, पहले। एचएएल ये काम करती हैं, हिंदुस्तान में और भी कंपनी हैं, जो ये काम करती हैं। ड्रोन्स कोहिन्दुस्तान की एअरफोर्स, आर्मी, नेवी के लिए रिफिट करते हैं, अडानी जी ने ये काम कभी नहीं किया है पहले, एचएएल ये काम करती है, हिन्दुस्तान में और भी कंपनियां हैं जो ये काम करती हैं, मगर प्रधानमंत्री जी इजराईल जाते हैं और उसके एकदम बाद अडानी जी को ये कॉन्ट्रेक्ट मिल जाता है।मगर एक नहीं मिलता, ये मत सोचिए कि सिर्फ एक कंपनी की बात हो रही है, ये इन्डस्ट्रीज की बात होती है यहां पर जैसे मैंने आपको दिखाया एयरपोर्ट का पूरा सिस्टम उठाकर ले गए, 30 परसेंट मार्केट शेयर एअरपोर्ट में ले गए, वैसे ही डिफेंस में किया।
तो 4 डिफेंस की इनके पास कंपनीज़ हैं, ये काम इन्होंने कभी नहीं किया, स्मॉल आर्म्स़ जिसमें टैवोर है, जो हमारी स्पेशल फोर्सज़ यूज करती हैं, आर्मी यूज करती है, जिसमें गलिल्स स्नाइपर राइफल्स है, ये सब अडानी जी बनाते हैं, सीधा स्ट्रेट। इजराइल में प्रधानमंत्री जाते हैं, प्रधानमंत्री के साथ वहां पर बीच में पैदल चलते हैं और फिर जादू से पीछे से इंडिया का फर्स्ट कॉम्प्रेहेंसिव एमआरओ मिल जाता है,जहाजों के मेंटेनेंस के लिए, स्मॉल आर्मस़ का बिजनेस मिल जाता है, इजराइली ड्रोनज़ हैं, उसका बिजनेस मिल जाता हैमतलब जो हिन्दुस्तान और इजराईल का डिफेंस का रिश्ता है वो पूरा का पूरा अडानीजी के हाथ में चला जाता है, उसमें पेगासस भी है तो पता नहीं वहां से पेगासस कैसे आया, क्या हुआ, किसने दिया।
एक कंपनी है, एल्फा डिफेंस, जो डिफेंस इलेक्ट्रॉनिक्स का काम करती है,एबियोनिक्स का काम करती है, बहुत स्ट्रेटिजिककंपनी है, वो भी अडानीजी के हवाले कर दी गई, अडानीजी ने एक्वायर कर लिया। तो आपने देखा कि एयरपोर्ट का बिजनेस 30 परसेंट मार्केट शेयर है। हिन्दुस्तान और इजराईल का जो वैपन्स़ का बिजनेस है 90 परसेंट उठाकर ले गए। एक विजिट-एक विजिट,ये है फोरन पॉलिसी!
अब मैंने आपको इजराईल की बात बताई, अब ऑस्ट्रेलिया चलते हैं, ऑस्ट्रेलियाचलिए। आस्ट्रेलिया में प्रधानमंत्री जाते हैं, प्रधानमंत्री जी ऑस्ट्रेलियाजाते हैं और जादू से स्टेट बैंक ऑफ इंडिया वन बिलियन डॉलर लोन अडानीजी को, उसके बाद मैं उदाहरण दे रहा हूं। पूरी दुनिया में मोदी जी जाते हैं, घूमते हैं तो मैं बता देता हूं क्या होता है वहां पर? (टिकी-टिप्पणी के बीच में कहा) हाँ-हाँ काम पर ही जा रहे हैं, वही तो बोल रहा हूं काम पर जा रहे हैं।
बांग्लादेश जाते हैं, मोदी जी की पहली ट्रिप होती है बांग्लादेश में, वहां पर बांग्लादेश को इलेक्ट्रिसिटी बेचने का डिसीजन लिया जाता है, कुछ ही दिन बाद बांग्लादेश पावर डेवलपमेंट बोर्ड 25 साल का कॉन्ट्रेक्ट अडानीजी के साथ साइन कर देता है, 1,500 मेगावाट इलेक्ट्रिसिटी का कॉन्ट्रेक्ट अडानीजी को।
चलिए वहां से श्रीलंका चलते हैं। June 2022, Chairman of Sri Lanka, Ceylon Electricity Board M.M.C. Ferdinando informed a parliamentary committee in Sri Lanka in open hearing that he was told by former President Shri. Gotabaya Rajapaksa that PM Shri Narendra Modi pressured him to give the wind power project directly to Mr. Gautam Adani. 39.4मतलब श्रीलंका में, श्रीलंका इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड के चेयरमैन कहते हैं कि राजपक्षे जी ने कहा कि हिन्दुस्तान के प्रधानमंत्री ने उनको कहा है कि ये विंड पॉवर का प्रोजेक्ट है ये अडानीजी को देना है तो ये रही आपकी फोरन पॉलिसी, ये हिन्दुस्तान की फोरन पॉलिसी नहीं है, ये अडानीजी की फोरन पॉलिसी है, उनके बिजनेसज़ बनाने की फोरन पॉलिसी है।
अब यात्रा में मुझसे 2-3 और सवाल पूछे गए। यात्रा में मुझसे लोगों ने पूछा राहुल जी ये जो एलआईसी कंपनी है, इसका पैसा अडानीजी की मदद करने के लिए क्यों डाला जा रहा है? उन्होंने ये भी पूछा कि अडानीजी के जो शेयरर्स हैं, बड़े वोलेटाइल हैं उसमें एलआईसी का पैसा क्यों डाला जा रहा है? तो मेरा कहना है कि अडानीजी की मदद प्रधानमंत्री जी और हिन्दुस्तान की सरकार कैसे करती है? हजारों करोड़ रुपए, हिन्दुस्तान के पब्लिक सेक्टर बैंक्सअडानीजी को मिलता है- 27,000 करोड़ रुपए एसबीआई, पीएनबी 7,000 करोड़, बैंक ऑफ बड़ौदा 5,500 करोड़ रुपए ये लिस्ट चलती जाएगी।
एलआईसी का एक्सपोजर 36,000 करोड़ रूपए,LIC exposure Rs. 36,000 Crore, Rupees three Crore SBI and other PSU bank holders’ money is going to Mr. Gautam Adani and to finance now, of course there is another question. तो मदद कैसे हो रही है? हिन्दुस्तान के पब्लिक सेक्टर बैंक्स का पैसा, एलआईसी का पैसा अडानीजी को दिया जा रहा है। अगर कोई सामने खड़ा हो जाता है जैसे GVK लोग खड़े हुए ईडी, सीबीआई एजेंसीज़ आ जाती हैं, उनको परे कर देती हैं। आंध्र प्रदेश में भी एक पोर्ट का उदाहरण था, मगर मेन सवाल और सबसे इंट्रेस्टिंग सवाल दूसरा है। कुछ दिन पहले हिंडनबर्ग रिपोर्ट आई उसमें लिखा था कि अडानीजी की हिन्दुस्तान के बाहर शेल कंपनीज़ हैं, ये जो शेल कंपनीज़ हैं, सबसे पहला सवाल है कि ये हैं किसकी? मोरिसस में जो शेल कंपनी़याँ हैं ये किसकी हैं और ये जो हजारों करोड़ रुपया ये शेल कंपनीज़ हिन्दुस्तान में भेज रही हैं ये किसका पैसा है? और क्या ये काम अडानीजी फ्री में कर रहे हैं?
अब मैं ये सवाल क्यों पूछ रहा हूं – क्योंकि अडानीजी स्ट्रेटजिक बिजनेसज़ में काम करते हैं, अडानीजी हिन्दुस्तान के पोर्टस को डोमिनेट करते हैं, अडानीजी हिन्दुस्तान के एअरपोर्टस़ को डोमिनेट करते हैं और जैसे मैंने कहा अडानीजी हिन्दुस्तान की डिफेंस इंडस्ट्री में बहुत बड़ा रोल प्ले करते हैं। तो मेरा पहला एक छोटा सा सवाल है कि जो शेल कंपनीज़ हैं इनके बारे में हिन्दुस्तान की सरकार ने कोई सवाल नहीं उठाया, ये कौन लोग हैं? ये किनकी कंपनियाँ हैं? से स्ट्रेटजिक मामला है पोर्टस का मामला है, एअरपोर्टस का मामला है, डिफेंस का मामला है और जो कंपनी इन स्ट्रेटिजिक एरियाज़ में काम कर रही हैं, उनके बारे में आपको मालूम ही नहीं। ये नेशनल सिक्योरिटी का मुद्दा है आपको मालूम ही नहीं कि ये शेल कंपनियाँ किसकी हैं, कितना पैसा आ रहा है, किसका पैसा आ रहा है तो ये एक बहुत बड़ा सवाल है, ये पैसा किसका है? ये शेल कंपनियाँ किसकी हैं और ये हिन्दुस्तान की सरकार की जिम्मेदारी है पता लगाना, ये किसकी शेल कंपनियाँ हैं और ये किसका पैसा अंदर आ रहा है।
अब चलिए छोटा सा बजट के बारे में बता देता हूं। 2022 में अडानीजी अनाउंस करते हैं कि वो 50 बिलियन डॉलर इंवेस्ट करेंगे to build the world’s largest green hydrogen eco system. और इस बजट में बीजेपी की सरकार निर्मला सीतारमण जी कहती हैं हम ग्रीन हाईड्रोजन के लिए बहुत बड़ा इंसेंटिव देंगे 19,700 करोड़ रुपए हम ग्रीन हाईड्रोजन के लिए देंगे,मतलब अडानीजी को देंगे। बजट में अडानीजी के लिए 50 नए एयरपोर्टस, कोस्टल शिपिंग, हॉर्टिकल्चर, ग्रेन स्टोरेज- ये सब काम आप कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री जी कल भाषण देंगे, मेरे उनसे 2-3 छोटे से सवाल हैं। पहले अडानीजी के हवाई जहाज में मोदी जी जाते थे, अब मोदी जी के हवाई जहाज में अडानीजी जाते हैं, पहले लोकल मामला था, फिर नेशनल मामला हो गया, उसके बाद इंटरनेशनल मामला हो गया। अडानीजी के लिए बोरिस जॉनसन का भाई काम करता है। तो ये मामला पहले गुजरात का मामला था, फिर ये हिन्दुस्तान का मामला हुआ अब ये इंटरनेशनल मामला हो गया है तो मेरा सवाल प्रधानमंत्री जी से है और सिंपल सवाल है।
प्रधानमंत्री जी आपकी फॉरन ट्रिप्स पर अडानीजी और आप कितनी बार एकसाथ गए? Modi Ji, how many times did you travel together with Adani? How many times did Adani Ji joined you later on a visit? How many times did Adani Ji traveled to a country immediately after you did and in how many of these countries after you visited did Adani Ji get a contract? एक और जरूरी सवाल अडानीजी ने बीजेपी को पिछले 20 साल में कितने पैसे दिए हैं? इलेक्टोरल बॉन्डस में कितना पैसा दिया है? तो मैंने आज वो जो युवाओं ने मुझसे सवाल पूछा था कि अडानीजी की इतनी बिजनेस एक्युमन कहां से आई? इतने अलग-अलग सेक्टर्स में अडानीजी ने कैसे सक्सेस प्राप्त की, अडानीजी के बारे में पूरी दुनिया को स्टडी करनी चाहिए, हार्बर्डयूनिवर्सिटी को स्टडी करनी चाहिए कि पॉलिटिक्स के बीच मेंऔर बिजनेस के बीच में कैसा रिश्ता होता है। India is a case study and Prime Minister Shri Narendra Modi should be given a gold medal in this.
बहुत अच्छी तरह बीजेपी के जो पिछले स्पीकर (वक्ता) थे, उन्होंने मेरे भाषण को इनकैप्सुलेट किया मेरे लिए बहुत अच्छी तरह आपने जो मैं सोच रहा था, आपने उससे और भी अच्छे तरीके से बोल दिया।
2023-02-07