देश के अधिकांश लोग 2 जून की रोटी के लिए इधर उधर भागते हैं और आज 2 जून ही है, पर एक जगह छप्पर फाड़ के पैसा बरस रहा है और मैं आपको कहता हूं ये दूसरी ऑर्गेनाइज्ड लूट है देश की और छप्पर फाड़ के जहां पैसा बरस रहा है, पूरी डीटेल्स आपके सामने रखूंगा। वो इन्सोलवेंसी एण्ड बैंकरप्टसी कोड है। देश में आपको जानकर ताज्जुब होगा कि जब 2016 से लेकर वित्तीय वर्ष 2023 तक जितने केस इन्सोलवेंसी एण्ड बैंकरप्टसी कोड में गए और कौन जाता है इन्सोलवेंसी एण्ड बैंकरप्सी कोड में, जो यूनिट बैंको को पैसा वापस नहीं कर पाती है। जेन्युइन या कोई अन्य कारणों से उनमें से मात्र 17.6 प्रतिशत की रिकवरी हुई है अर्थात जितने आईबीसी में केसेस गए उसमें से लगभग 83 प्रतिशत पैसा राईट ऑफ हो गया, हेअर कट हो गया। ये ऑर्गेनाइज्ड लूट नहीं है तो क्या है? जितने केस इन्सोलवेंसी एण्ड बैंकरप्टसी कोड के सामने गए और ये डाटा भारत सरकार के इन्सोलवेंसी एण्ड बैंकरप्टसी बोर्ड ऑफ इंडिया का डेटा मैं आपके सामने रख रहा हूं, जितने केस इन्सोलवेंसी एण्ड बैंकरप्टसी बोर्ड ऑफ इंडिया के सामने गए, उसमें से 75 प्रतिशत केसेस में तो स्क्रैप सेल्स हो गई, मतलब जो भंगार के भाव कंपनियां बिक गईं और टोटल जितने केस गए उसमें से रिकवरी हुई 2016 से लेकर वित्तीय वर्ष 2023 तक मात्र 17.6 प्रतिशत अर्थात 82.4 प्रतिशत जो पब्लिक सेक्टर बैंको का पैसा था, जो क्रेडिटर्स का पैसा था, जो अन्य बैंको का पैसा था, जो फायनेंशियल इंस्टीट्यूशंस का पैसा था वो डूब गया, उसका कोई अता-पता नहीं है।
आम हिन्दुस्तानी, कॉमन मेन, ऑर्डिनरी सिटीजन 2 जून की रोटी के लिए तरस रहा है और यहां पर राईट ऑफ हो रहे हैं 82.4 परसेंट और ये मैंने 1 साल का राईट ऑफ नहीं बोला है, 2016 से लेकर 2023 तक, अभी पिक्चर यहां खत्म नहीं हुई है इन्सोलवेंसी एण्ड बैंकरप्टसी कोड को आपको ध्यान होगा 2016 में कई तालियां पीटी गईं, बोला गया ये बिग बैंक रिफोर्मस हैं, इससे देश का बैंकिंग स्ट्रक्चर चेंज हो जाएगा, देश में बैंको की रिकवरी बढ़ जाएगी, उस समय जो सिक्क इंडस्ट्रियल कंपनीज एक्ट था, वहां पर 25 परसेंट रिकवरी होती थी और आईबीसी आने के बाद वो रिकवरी मात्र 17.6 प्रतिशत रह गई अर्थात जिस सिक्क इंडस्ट्रियल कंपनीज एक्ट, (एसआईसीए), जिसको हम कहते थे शॉर्ट में, जिस सिका को हटाकर, जिस बोर्ड फॉर इंडस्ट्रियल एण्ड फायनेंशियल रिकंसट्रक्शन को हटाकर, आईबीसी को लाया गया, ये कहकर ढोल-नगाढ़े पीटकर की ये बहुत बड़ा रिफोर्म है, इससे बैंको की रिकवरी पूरी बढ़ जाएगी, उसकी रिकवरी रही पिछले 2016 से लेकर 2023 अर्थात पिछले 8 सालों की रिकवरी रही 17.6 प्रतिशत और सिका की रिकवरी थी, 25 प्रतिशत।
साथियों आपको याद होगा कि कौन-कौन लोग हैं जो इन हेअर कट से लाभान्वित हुए हैं, उनका भी नाम लेकर आया हूं, कई दोस्त लोग भी हैं और उन दोस्त लोगों के कितने पैसे राईट ऑफ हुए इस आईबीसी के तहत वो भी डीटेल आपके सामने रखूंगा, पर उससे पहले आपके सामने एक पूरा परसपेक्टिव रखना चाहता हूं, इन्सोलवेंसी एण्ड बैंकरप्टसी कोड में कोई अगर यूनिट बैंको को पैसा नहीं चुका पाती है तो जो उसके देनदान हैं, क्रेडिटर है वो आईबीसी के तहत कार्रवाई स्टार्ट कर सकते हैं, आईबीसी 2 तरह की कार्रवाई करती है या तो वो यूनिट को लिक्विडेट कर दे, उसको बंद कर दे या उस यूनिट को फायनेंशियली बायवल बनाने के लिए कोई रेजोलूशन पारित करे। 75 प्रतिशत जो यूनिट आईबीसी में गए वो लिक्विडेट हो गई, स्क्रैप सेल्स हो गई। मात्र 25 प्रतिशत में रेजोलूशन चालू किया गया और रेजोलूशन में भी आपको जानकर ताज्जुब होगा कि 2016 से लेकर वित्तीय वर्ष 2023 तक रिकवरी मात्र 31.8 प्रतिशत हुई अर्थात जहां पर इसको बायवल बनाया गया वहां भी 68 प्रतिशत बैंको को नुकसान, जहां बायवल नहीं बनाया गया, जहां लिक्विडेशन का निर्णय किया गया, वहां रिकवरी है मात्र 5.6 प्रतिशत अर्थात 94 प्रतिशत बैंको का नुकसान और अगर हम इन दोनों को मिलाकर ओवरऑल देखें तो ओवरऑल रिकवरी हुई है आईबीसी में मात्र 17.6 परसेंट इन लास्ट 8 ईयर्स, मतलब सबसे बेस्ट चीज क्या हो गई – बैंको से पैसा लो, डिफॉल्ट करो, डिफॉल्ट करने के बाद अब बैंक जाएगा आईबीसी में, 17.6 प्रतिशत बैंक को वापस दे दो और खत्म, कुछ नहीं, आपका रफा-दफा, हेअर कट हो गया 84 प्रतिशत, जो दूसरी यूनिट आएगी वो 17.6 प्रतिशत में इस यूनिट को खरीद लेगी और बैंको को और कुछ नहीं लेना तो क्या इसके लिए आईबीसी बनाया गया था, क्या ऑर्गेनाइज्ड लूट के लिए आईबीसी बनाया गया था कि 84 प्रतिशत बैंको का इस तरह से लॉस हो जाए, हेअर कट हो जाए, उनका जो पैसा है वो डूब जाए और ये जो डाटा है ये भारत सरकार का जो इन्सोलवेंसी एण्ड बैंकरप्टसी बोर्ड में जो उन्होंने रिपोर्ट जारी की, उसका डाटा है।
साथियों, यहीं नहीं पिक्चर खत्म हुई है, एक और बड़ा इम्पोर्टेन्ट आंकड़ा है। जो यूनिट आईबीसी में जाती है, वो क्या करती है कि आईबीसी के जाने के बाद अपने जो इम्पोर्टेन्ट एसेट्स हैं उसको बेच देती है। जैसे कोई रियल एस्टेट कंपनी है, आईबीसी में गई, उसके पास 50 एकड़ का लैंड था, उसको बेच दिया उन्होंने, इसको हम टेक्निकली बोलते हैं एसेट स्ट्रिपिंग। पिछले 8 सालों में 2,85,000 करोड़ की एसेट स्ट्रिपिंग हुई और सरकार ने उस एसेट स्ट्रिपिंग से कितनी रिकवरी की 2,85,000 करोड़ का मात्र 1.8 परसेंट, 2 प्रतिशत भी पूरा नहीं। 2,85,000 करोड़ की एसेट स्ट्रिपिंग हुई जो यूनिट आईबीसी के तहत गई, क्योंकि वो बैंको को अपना ऋण समय पर नहीं चुका पाई, वो 2,85,000 करोड़ के उन्होंने इंडिविजुअल एसेट मार्केट में बेच दिए, जो कि इल्लीगल थे, उनमें से आईबीसी कितना रिकवर कर पाई मात्र 1.8 परसेंट, 2 प्रतिशत से भी कम, ये क्या ऑर्गेनाइज्ड लूट नहीं है तो क्या है और अब आते हैं अडानी ग्रुप ने इसमें क्या-क्या काम किया है, उसके बारे में भी पूरी रिपोर्ट लेकर आया हूं।
अडानी ग्रुप ने इसका उपयोग किया पोर्ट और पावर कंपनियों को खरीदने में और औने-पौने दाम में, तीन कंपनियां 1,000 करोड़ से ज्यादा के मूल्य की, जहां पर उन्होंने रेजोलूशन किया, 1,000 करोड़ से ज्यादा की तीन कंपनियां उन्होंने ली। पहली कंपनी जिसका नाम है कराईकल पोर्ट प्राईवेट लिमिटेड, उसको देना था 2,997 अर्थात 3,000 करोड़ रुपया बैंको को इस कंपनी को देना था केपीपीएल को, अडानी ने बैंको से सेटलमेंट करके आईबीसी के तहत ये पूरी कंपनी खरीद ली 1583 करोड़ रुपए में। दूसरी कंपनी कोरबा वेस्ट पावर प्लांट अडानी को, इस कोरबा वेस्ट पावर प्लांट को बैंको को 3,346 करोड़ रुपया देना था। आईबीसी के तहत अडानी ने इसको खरीद लिया 1,100 करोड़ रुपया देकर, 3,346 बैंको का ड्यू था और मिला कितना 1,100 करोड़ और अभी तीसरी कंपनी बड़ी महत्वपूर्ण है जिसका नाम है एस्सार पावर, 12,000 करोड़ रुपया बैंको को देना था इस कंपनी को, अडानी ने बैंको को 2,500 करोड़ रुपया पकड़ाकर ये कंपनी ले ली।
ये आईबीसी की हकीकत है और ये सारा आंकड़ा सरकार के पुष्ट सोर्सस का आंकड़ा है, इस बावत हमारा बड़ा इस पर सिर्फ एक सवाल है और वो सवाल ये है कि क्या आईबीसी, इन्सोलवेंसी एण्ड बैंकरप्टसी कोड जिसे हम शॉर्ट में कहते हैं, क्या आईबीसी ऑर्गेनाइज्ड लूट के लिए लाया गया था? क्या आईबीसी अपने क्रोनी दोस्तों को मोनोपोली डेवलप करने के लिए सेक्टर्स में, थ्रो अवे प्राईसेस में कंपनियां पकड़ाने के लिए लाया गया था और ये मैं ही नहीं कह रहा, संसद की पार्लियामेंट्री कमेटी ने भी इसके ऊपर सवाल उठाया, उस पार्लियामेंट्री का हवाला देकर मैं कोट करना चाहता हूं। पार्लियामेंट्री कमेटी ने 2021 में कहा कि सीरियस कंसर्न हैं आईबीसी में, जिस तरह औने-पौने दामों में कंपनियां आईबीसी में जाती है और दूसरी कंपनियों के हवाले हो जाती है 10 परसेंट, 15 परसेंट, 20 परसेंट की वैल्यू पर और 83 परसेंट बैंको को लॉस हो रहा है तो जो थ्रो अवे प्राईस है, उसका कोई बेंच मार्क होना चाहिए, ये 2021 में पार्लियामेंट्री कमेटी ने बोला, पर सरकार ने कोई एक्शन नहीं लिया, 2023 में हालात ये है कि हम 2 जून की रोटी को तरस रहे हैं पर जो रिकवरी के लिए कंपनियां आ रही हैं आईबीसी में उससे रिकवरी हो रही है मात्र 17.6 प्रतिशत अर्थात 84 प्रतिशत का कोई रिकवरी नहीं, वो 84 प्रतिशत पैसा और किसका पैसा है वो – सरकार बैंको का पैसा है वो, अगर वो पैसा डूबता है तो किसका पैसा डूबता है आपका, मेरा, हर जीएसटी पेयर का पैसा डूबता है, हर वो व्यक्ति का पैसा डूबता है जो पेट्रोल भरा रहा है, जो खाने के लिए आटा खरीद रहा है, जो खाने के लिए दही खरीद रहा है, क्योंकि सब जीएसटी के दायरे में है और ये पैसा किसका डूबा और क्यों मोनोपोलीज डेवलप करने के लिए, अपने मित्र कंपनियों की मोनोपोलीज डेवलप करने के लिए थ्रो अवे प्राईसेस में कंपनियां पकड़ाई जा रही हैं।
Prof. Gourav Vallabh said-
• Most of us are struggling to have 2_June_ki_Roti, but under The Insolvency and Bankruptcy Code (IBC) – Total recovery of debt is at only 17.6% of the “admitted claims,” resulting in a loss of 82.4% for financial creditors of their credits/loans (“haircut”)
• 75% of the firms under The Insolvency and Bankruptcy Code (IBC) end up in scrap sales.
The IBC of 2016 was billed as a game changer and one of the “big-ticket economic reforms” by the Modi Government. But the reality is that it has turned out to be far worse than its predecessor ie The Sick Industrial Companies Act (SICA) of 1985, and its Board for Industrial and Financial Reconstruction (BIFR).
As per the Insolvency and Bankruptcy Board of India (IBBI), total recovery of debt under IBC is at only 17.6% of “admitted claims” by the end of FY 2023 (Inclusive of all previous recoveries). In other words, banks (mostly public banks) and other financial creditors have lost 82.4% of their credits/loans (“haircut”) through the IBC by the end of FY23. The debt recovery under IBC is far worse than its predecessor mechanism, which was 25% under the SICA.
IBC’s primary goal is to rescue and revive firms facing financial stress for different reasons and protect the creditors. This is defeated because 75% of the firms undergoing the IBC proceedings have ended up with ‘liquidation’ – the rest 25% in ‘resolution.’ Besides, debt recovery from liquidation is a mere 5.6% (Till FY 23) – that is, 94% of money ploughed into 75% of firms undergoing the IBC have been lost permanently. Imagine the magnitude of economic loss – money for bankers, plant and machinery and jobs, etc. The parliamentary panel in 2021 had also expressed serious concerns and asked the government to take several steps, including fixing a benchmark for the quantum of haircuts.
The remaining 25% of firms that had gone for Recovery through ‘resolution’ (in which bankrupt firms are taken over and revived) recoveries were recorded at 31.8% by FY23 (cumulative). That is a net loss of 68% of the capital.
During the IBC processes, asset stripping is prohibited and should be restored as fast as possible to ensure the firms don’t lose their intrinsic value. By FY23, the number of such transactions was 871, amounting to ₹2.85 Lakh Crore and what was “clawed back” was only 1.8%.
Adani Group has used the Insolvency and Bankruptcy Code (IBC) to acquire stressed assets and consolidate its position in power and ports. Adani has made three significant acquisitions — where the realization for lenders has been more than Rs 1,000 crore — through the corporate insolvency resolution process.
Adani Ports and Special Economic Zone Ltd (APSEZ) completed the acquisition of Karaikal Port Private Limited (KPPL). As per the resolution plan, Adani Ports paid Rs 1,583 crore for the Karaikal Port. The admitted claims for KPPL were Rs 2,997 crore. In the acquisition of Korba West Power plant, Adanis paid Rs 1,100 crore to financial creditors, who had together admitted claims of Rs 3,346 crore. The unsecured lenders, for the first time, were provided 100% of their Rs 1,685 crore claim under the approved plan. Adani was one of the unsecured creditors of KWPCL. In the case of Essar Power, the approved resolution plan provides for payment of Rs 2,500 crore as against the admitted claim of financial and operational creditors to the tune of Rs 12,000 crore.
In this regard, we have a very simple and straight question for PM and FM –
• Is IBC a mechanism to rescue and revive stressed firms or another tool for “Organized Loot” and helping cronies for creating Monopolies by transferring businesses at throw-away prices?
एक प्रश्न पर कि ये जो 17.6 परसेंट रिकवरी हुई है और 82.4 परसेंट लॉस हुआ है वो अमाउंट कितना है और कितनी कंपनी हैं? प्रो० गौरव वल्लभ ने कहा कि ये सारी डीटेल्स वहां पर नहीं थी, उन्होंने जो आईबीसी, इन्सोलवेंसी एण्ड बैंकरप्टसी बोर्ड ऑफ इंडिया ने ये आंकड़ा जारी किया कि 2016 से, जब से आईबीसी चालू हुआ जब से लेकर आज तक जो टोटल रिकवरी हुई है, एडमिटेड क्लैम्स की वो मात्र 17.6 प्रतिशत हुई है और इन्सोलवेंसी एण्ड बैंकरप्टसी कोड जब लाया गया था, तब कहा गया था कि सिका में रिकवरी मात्र 25 प्रतिशत होती है, हमें बैंको की रिकवरी बढ़ानी है और पिछले 8 सालों का क्युमुलेटिव डाटा, एक साल का डाटा नहीं है 8 सालों का क्युमुलेटिव डाटा है कि 17.6 प्रतिशत जो एडमिटेड क्लैम्स थे वो मात्र रिकवर हुए, 82.4 प्रतिशत और इफेक्टिवली हम कह सकते हैं लगभग 83 प्रतिशत जो एडमिटेड क्लैम्स थे वो लॉस हो गए, वो किसका लॉस हुआ – वो सरकारी बैंको का लॉस हुआ, वो प्राईवेट बैंको का लॉस हुआ, वो फायनेंशियल इंस्टिट्यूशंस का लॉस हुआ। आप एग्जेक्ट आंकड़ा इन लाख करोड़ में चाहते हैं, पर वो आंकड़ा वहां पर नहीं था इसलिए मैं नहीं दे सकता, पर एसेटस स्ट्रिपिंग का आंकड़ा था। उन्होंने कहा कि आईबीसी के तहत एसेट स्ट्रिपिंग निषेध है, गलत है। एसेटस स्ट्रिपिंग का अर्थ कि जब एक कंपनी आईबीसी में चले जाए, वो अपने इंडिविजुअल एसेट्स को नहीं बेच सकती, पर ऐसे 871 केस अभी तक आए और 2,85,000 करोड़ के एसेट्स हैं उनको बेचा गया, आईबीसी में जाने के बावजूद, निषेध होने के बावजूद और रिकवरी कितनी हुई 2,85,000 करोड़ में से मात्र 1.8 प्रतिशत, 2 प्रतिशत से भी कम, तो ये क्या है? What is IBC all about? Is it not an organized loot? That data, which data is there, I had shared with you.
एक अन्य प्रश्न पर कि इन्सोलवेंसी एण्ड बैंकरप्टसी कोड के माध्यम से आपने कहा कि सुनियोजित लूट हुई, इस पूरे मामले में किस प्रकार की इंक्वायरी हो सकती है और कांग्रेस पार्टी किस प्रकार की इंक्वायरी मांग करती है? प्रो० वल्लभ ने कहा कि सबसे पहले तो सरकार को पता है कि नहीं, मुझे नहीं पता, क्योंकि प्रधानमंत्री जी अधिकतर विदेशों में रहते हैं, अब बॉस को पता है कि नहीं, मुझे नहीं पता, फिर वित्त मंत्री जी को ये समझ है कि नहीं, ये भी एक बड़ा प्रश्न है कि वो समझ रही हैं कि नहीं ये बैंको की लूट जारी है और ये सरकारी बैंको का 83 प्रतिशत पैसा, जो फायनेंशियल क्रेडिटर कौन है – बैंक हैं, जिन्होंने उस कंपनी को ऋण दिया, वो कंपनी ऋण नहीं चुका पाती, जो क्रेडिटर्स हैं वो आईबीसी में चले जाते हैं, आईबीसी में जाते हैं कोई दूसरी कंपनी वो पूरी जो कंपनी है, वो जितना उनका जो ड्यू है वो उसके मात्र 17.6 प्रतिशत पर खरीद लेती है तो ये क्या हो रहा है और किसको फायदा मिला, मैंने 3 तो एग्जाम्पल दिए आपको और वो कौन है बड़ी-बड़ी कंपनियां। 12,000 करोड़ का ड्यू था एस्सार पावर का, वो अडानी पावर ने मात्र 2,500 करोड़ रुपया देकर उस पूरी कंपनी को ले लिया, जो कराइकल पोर्ट प्राईवेट लिमिटेड था, वो अडानी पोर्ट ने जितने पैसे का ड्यू था उसका 50 प्रतिशत देकर पूरी कंपनी ले ली, जो कोरबा वेस्ट पावर था, जहां 3,346 करोड़ रुपए का ड्यू था, वहां अडानी ने 1,100 करोड़ रुपया देकर वो पूरी कंपनी ले ली और क्या कर रहे हो आप, इसके द्वारा क्या हो रहा है? ये बहुत महत्वपूर्ण है आप पावर और पोर्ट में मोनोपोलीज बना रहे हो, पावर और पोर्ट में एकाधिकार की स्थापना हो रही है, पावर और पोर्ट के बिजनेस का रेगुलेशन आप एकाधिकार निजी कंपनियों के हाथों में दे रहे हो और वो भी थ्रो अवे प्राईस में तो ये ऑर्गेनाइज्ड लूट नहीं है तो क्या है? जबकि आईबीसी में बताया गया था 2016 में बैंको की रिकवरी बढ़ेगी, जबकि हकीकत ये आई जो रिकवरी सिका में 25 प्रतिशत हुआ करती थी, 2016 के पूर्व सिक इंडस्ट्रीयल कंपनीज एक्ट हुआ करता था, जो रिकवरी 25 प्रतिशत वहां हुआ करती थी, वो आज 17.6 प्रतिशत रह गई तो जवाब तो देना पड़ेगा न और ये 1 साल का आंकड़ा नहीं है, 2 का भी नहीं है, 3 का भी नहीं है 2016 से लेकर वित्तीय वर्ष 2023 तक, 2016 में आईबीसी का गठन हुआ, आईबीसी को लागू किया गया, आईबीसी के कानून बने।
8 सालों की रिकवरी बता रहा हूं एवरेज, कई तो ऐसे साल हैं जहां रिकवरी 11-12 प्रतिशत थी, मैंने टोटल रिकवरी निकालकर आपके सामने रखी है तो ये ऑर्गेनाइज्ड लूट नहीं है तो क्या है? बैंक किसी को पैसा दे, वो कंपनी डिफॉल्ट हो जाए, बैंक उसके लिए आईबीसी के पास जाए, आईबीसी में कोई दूसरी कंपनी आकर वो कपंनी 17 प्रतिशत पर खरीद ले, बैंको का 84 प्रतिशत पैसा डूब गया,फिर प्रधानमंत्री जी बोलते हैं कि पैसा कहां से लाओगे आप महिलाओं को 2,000 रुपए प्रतिमाह देने के लिए, पैसा कहां से लाओगे युवाओं को 3,000 रुपए प्रतिमाह। प्रधानमंत्री जी ये सब बंद हो जाएंगे न तो पैसे आ जाएंगे, ये पैसे यहां पर लूट बंद हो जाएगी तो पैसे आ जाएंगे।
एक अन्य प्रश्न पर कि ये जो 83 परसेंट का जो एस्टीमेटेड लॉस आप बता रहे हैं ये टोटल अमाउंट कितना बनता है? और इसमें किसका कितना शेयर है? प्रो० वल्लभ ने कहा कि जो डेटा इन्सोलवेंसी एण्ड बैंकरप्टसी बोर्ड ऑफ इंडिया ने जारी किया उसके अनुसार, क्योंकि लाख करोड़ में वो डाटा वहां नहीं था…गलत बोलकर, क्योंकि भारतीय जनता पार्टी में कोई ट्रेनिंग हुई भी नहीं है, झूठ बोलकर आगे जा नहीं सकते तो जो डाटा नहीं है वो आपको बोलते हैं नहीं है। ये सारा डाटा भारत सरकार का जो इन्सोलवेंसी एण्ड बैंकरप्टसी बोर्ड ऑफ इंडिया है, वो कह रहा है कि जितना ड्यू आया और मैं आपको एक अंदाजा दे सकता हूं, क्योंकि पिछले 8 सालों में बैंको ने बट्टे खाते में 12,50,000 करोड़ रुपए डाले हैं, ये रिजर्व बैंक का आंकड़ा है, ये मेरा नहीं है। आरबीआई की रिपोर्ट है पिछले साढ़े आठ सालों में बैंको ने 12,50,000 करोड़ रुपए का लोन राईट ऑफ किया और वो जो राईट ऑफ किया उसका मेजर पोर्शन आईबीसी के तहत हुआ है, मेजर मीन मोर देन 70 परसेंट। तो लगभग 8-9 लाख करोड़ रुपए की प्रोसिडिंग्स यहां चली, मैं आपको एक अंदाजा दे रहा हूं तो उसका आप देखिए अगर 82-83 प्रतिशत डूब गया तो लगभग साढ़े छ: लााख करोड़ रुपए बैंको का डूबा और साढ़े छ: करोड़ में मेजर जो बैंको का जो बिजनेस है वो सरकारी बैंको के पास है तो लगभग साढ़े पांच लाख करोड़ कैपिटल सरकारी बैंको का डूबा और सरकारी बैंको का डूबा तो किसका डूबा, आपका, मेरा, उस हर व्यक्ति का पैसा डूबा जो एक्साईज डयूटी दे रहा है पेट्रोल और डीजल भराते हुए, उस हर व्यक्ति का पैसा डूबा जो आटे की थैली खरीदते हुए जीएसटी दे रहा है, उस हर व्यक्ति का पैसा डूबा जो इंकम टैक्स दे रहा है, उस हर व्यक्ति का पैसा डूबा जो एक दही का 200 ग्राम का पैकेट खरीदते वक्त भी जीएसटी भारत सरकार को दे रहा है उसका पैसा डूब गया।
एक अन्य प्रश्न पर कि आपने जो आंकड़े रखे हैं और जिस ओर आप इंगित कर रहे हैं क्या इसका सीधा-साीधा मतलब इस आईबीसी को लाने का ये था कि सिर्फ एक व्यवसायी की, एक व्यापारी की मोनोपोली स्थापित की जा सके? प्रो० वल्लभ ने कहा कि ये तो हमने तो आंकड़े रखे हैं, सरकार जवाब दे। हमें तो लग रहा है कि सरकारी बैंको का, प्राईवेट बैंको का, फायनेंशियल इंस्टिट्यूशन का 83 प्रतिशत अगर पैसा आईबीसी में डूब गया तो आईबीसी लाने का क्या फायदा? पहले 25 प्रतिशत रिकवरी थी, अब वो आईबीसी लाने के बाद रिकवरी 25 से घटकर हो गई 17.6 प्रतिशत तो आईबीसी ऑर्गेनाइज्ड लूट नहीं है तो क्या है? आईबीसी मोनोपोलीज को बढ़ावा नहीं दे रही है तो क्या कर रही है? आईबीसी देश में क्रोनीज को औने-पौने दाम में कंपनियां उनके हवाले नहीं कर रही है तो क्या है? आईबीसी के तहत कई तो ऐसे हेअर कट हुए हैं, 95 प्रतिशत हेअर कट, 10,000 करोड़ के जो ड्यू थे वहां 95 परसेंट हेअर कट्स हो गए और मैं नहीं, मैंने तो आज ये सवाल उठाया है, कांग्रेस पार्टी ने उठाया, पार्लियामेंट्री कमेटी ने कहा 2021 में कि हेअर कट की कोई सीमा होनी चाहिए, वो ये नहीं है कि आप इंफानाईट सीमा तक सरकारी बैंक, निजी बैंक अपना जो ड्यूज है उसको फोरगो कर दें, एक सीमा तो बांधिए आप।
तो हम तो कह रहे हैं कि ऑर्गेनाइज्ड लूट नहीं है तो क्या है? सरकार जवाब दे फिर, प्रधानमंत्री जवाब दें। क्योंकि 2016 में आपको याद होगा ऐसे ढोल बजाए गए कि अब तो आईबीसी आने के बाद रिकवरी 100 प्रतिशत हो जाएगी, पहले से कम रिकवरी रही बैंको की।
एनपीए को लेकर पूछे एक अन्य प्रश्न के उत्तर में प्रो० वल्लभ ने कहा कि आप ये देखिए अभी सरकार ने क्या किया है – एक तरह की क्रिएटिव अकाउंटिंग की है, विंडो ड्रेसिंग की है, नंबर्स को फज किया है, क्या किया है उसमें – बैंको में एनपीए रखते ही नहीं है, उसको राईट ऑफ कर देते हैं, फिर बोलते हैं वो राईट ऑफ है, एनपीए हुआ ही नहीं है। अरे जो राईट ऑफ हुआ है उसमें से रिकवरी कितनी हुई है – आपकी जानकारी के लिए बता रहा हूं ऑन ए एवरेज जितने लोन राईट ऑफ हुए उसकी 12-13 प्रतिशत रिकवरी है, ये भी रिजर्व बैंक का आंकड़ा है, मेरा पर्सनल, कांग्रेस का आंकड़ा नहीं है। तो आपने साढ़े बारह लाख का राईट ऑफ किया है तो साढ़े ग्यारह लाख करोड़ रुपए तो डूब गए न, एनपीए ही हो गए न। आप अब एनपीए को बोल दो हम एनपीए नहीं कर रहे हैं, हम राईट ऑफ कर देते हैं, फिर हम पूछते हैं कि साहब ये लोन आपने बेव कर दिया तो बोले बेव नहीं ये तो राईट ऑफ है, बट्टे खातें में डाले हैं।
अरे बट्टे खाते से निकले कितने पैसे? 10 प्रतिशत पैसे निकालते हो, कह रहे हो बट्टे खाते में डाले हैं, वो 90 प्रतिशत तो एनपीए ही हो गया न, पैसा डूब गया न, सरकारी बैंको का पैसा चला गया तो मोदी जी को ये लगता है कि ये सब करके वो किससे झूठ बोल रहे हैं, वो किसके सामने फ्रॉड कर रहे हैं- वो देश के सामने नहीं, अपने स्वंय के सामने कर रहे हैं। साढ़े बारह लाख करोड़ का लोन राईट ऑफ हुआ है, जिसमें से रिकवरी मात्र 10-12 प्रतिशत की है तो बाकी पैसा कहां है, वो कहानी आईबीसी सुना रही है, क्यों औने-पौने दाम में 12,000 करोड़ की कंपनी आपने अडानी को 2,500 करोड़ में दे दी, मतलब 20 प्रतिशत पैसा दो जितना ड्यू है और कंपनी ले लो और ऐसे भी उदाहरण हैं, ये तीन तो परम मित्र के उदाहरण हैं, पर एक परम के भी परम मित्र होते हैं उनके ऐसे उदाहरण हैं वो 5-5 परसेंट में कंपनियां ली हैं, मैं उनका नाम आपको दे दूंगा, पर अभी मैं देना नहीं चाहता, उससे हम डीवेट हो जाएंगे डिस्कशन से, वो भी है मेरे पास परम मित्र के परम मित्र।
श्री राहुल गांधी द्वारा अमेरिका में मुस्लिम लीग को लेकर दिए एक बयान पर पूछे एक अन्य प्रश्न के उत्तर में प्रो० वल्लभ ने कहा कि अरे भाई जिस पार्टी का उल्लेख उन्होंने किया है उसका नाम है आईयूएमएल, वो भारत में रजिस्टर्ड पॉलिटिकल पार्टी है, जिस पार्टी का उल्लेख वो कर रहे हैं उसका नाम है आईयूएमएल और भारत में रजिस्टर्ड पार्टी क्या सेक्यूलर पार्टी नहीं होती क्या? इलेक्शन कमीशन गलत पार्टियों को रजिस्ट्रेशन करवा देते हैं क्या? क्यों उनका रजिस्ट्रेशन अभी तक लगा हुआ है, अगर उनको लगता है कि ये गलत है तो ।
ये वो पार्टी नहीं है मैं याद दिलाना चाहता हूं बीजेपी को जिस पार्टी के साथ मिलकर श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने बंगाल में सरकार बनाई थी, वो मुस्लिम लीग जिन्ना की अलग है, जिसके साथ आपने सरकार बनाई थी उसकी बात नहीं की है राहुल जी ने, आपको क्या है कि आपका उनके साथ प्रेम ज्यादा है तो आपको लगता है मुस्लिम लीग का मतलब वही है, जिन्ना ने जिसकी स्थापना की थी, जिसके साथ मिलकर आपने बंगाल में सरकार बनाई थी, ये उसकी बात नहीं की राहुल गांधी जी ने, उन्होंने बात की है आईयूएमएल जो केरल की एक पार्टी है इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, उन्होंने उसकी बात की है।
भारतीय जनता पार्टी के लोगों को बताना चाहता हूं ये वो उस पार्टी की बात नहीं कर रहे हैं जिसकी मजार पर जाकर भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक, मार्गदर्शक मंडल के चेयरमेन श्री लालकृष्ण आडवाणी जी ने सैल्यूट मारा था और कहा था कि दुनिया का सबसे बड़ा सेक्यूलर जिन्ना है, उस मुस्लिम लीग की बात नहीं हो रही है। भारतीय जनता पार्टी के दिमाग में सिर्फ वही पार्टी है, उनको सुबह-शाम दोस्ती है पुरानी, पुरानी दोस्ती ऐसे थोड़ी मिटती है। जिनके साथ मिलकर सरकार बनाई आपने बंगाल में, उस दोस्ती को वो कैसे भूल सकते हैं, जिसकी मजार पर जाकर हिन्दुस्तान के कई प्रधानमंत्री पाकिस्तान गए, हिन्दुस्तान के कई डिप्लोमेट पाकिस्तान गए, हिन्दुस्तान के कई लेखक पाकिस्तान गए, हिन्दुस्तान के कई खिलाड़ी पाकिस्तान गए, हिन्दुस्तान के कई पॉलिटिशियन पाकिस्तान गए, पर जिन्ना की मजार पर कौन गया? कोई प्रधानमंत्री नहीं गया, कोई लेखक नहीं गया, कोई खिलाड़ी नहीं गया, भाजपा के संस्थापक जाकर, भारतीय जनता पार्टी के मार्गदर्शक मंडल के चेयरमैन ने जाकर वहां जाकर क्या बोला, अभी भी वो लिखा हुआ है, अगर मैं झूठ बोल रहा हूं तो वहां लिखा हुआ है कि Jinnah was the biggest secular ये मैंने नहीं बोला, ये आडवाणी जी ने बोला है तो ये जो बीजेपी के जितने लोग आज इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग की बात कर रहे हैं वो पहले आडवाणी जी से जाकर पूछे कि हमने तो इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग की बात की है, जो मुस्लिम लीग आपके दिल के करीब है वो जिन्ना की मुस्लिम लीग है, क्योंकि उसके साथ मिलकर तो आपने बंगाल में सरकार बनाई है, श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने कोलिशन गर्वनमेंट जो थी बंगाल में, वो मुस्लिम लीग के साथ मिलकर बनाई है तो राहुल गांधी जी ने आईयूएमएल के हवाले से कहा है और भारत में अगर कोई पॉलिटिकल पार्टी रजिस्टर्ड है तो वो सेक्यूलर होगी ही अन्यथा भारत का निर्वाचन आयोग उस पार्टी का रजिस्ट्रेशन क्यों आगे बढ़ाएगा, क्यों उस पार्टी को पॉलिटिकल पार्टी रहने देगा। हमने जिन्ना की पार्टी की बात नहीं की है भारतीय जनता पार्टी के सारे मित्रों से मैं ये कहना चाहता हूं और सारे मित्रों को मेरा ये कहना है आज शाम को या तो आप आडवाणी जी के घर जाएं, उनसे पूछें कि वहां सैल्यूट, सलामी क्यों दी थी, जिन्ना को सबसे बड़ा सेक्यूलर क्यों बताया था? हमने तो बताया नहीं, हमने तो आईयूएमएल की बात की इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग जो कि केरल की एक पार्टी है उसकी बात की, आप जो मुस्लिम लीग की बात करते हो, वो आपने जिन्ना को सबसे बड़ा सेक्यूलर बताया, उस जिन्ना की मुस्लिम लीग के साथ बैठकर आपने बंगाल में सरकार चलाई, उसका जवाब दीजिए।
एक अन्य प्रश्न के उत्तर में प्रो० वल्लभ ने कहा कि मोहन भागवत जी ने आज बिल्कुल सही बात बोली है और मोदी जी को इसका उत्तर देना चाहिए। जब मोदी जी ने कोरिया में जाकर बोला अरे यार भारत में तो जन्म लेना ही बेकार, ये मैंने नहीं बोला, आप वीडियो देखिएगा, ये मैंने नहीं बोला, ये भारत के प्रधानमंत्री जी ने बोला, भागवत जी ऐसे व्यक्ति को प्रधानमंत्री पद पर क्यों आपने बैठाया हुआ है जो भारत का अपमान विदेश में जाकर कर रहा है, मैंने नहीं बोला जब मोदी जी ने जापान में नोटबंदी के तुरंत बाद जाकर बोला बेटी की शादी है और पैसे नहीं है, मजा आ गया जैसे उनको।
मतलब इतना प्रसन्न तो मैं आपको कसम खाकर बोलता हूं कोई धांसु चुटकले पर भी नहीं होता, जितनी प्रसन्नता मोदी जी ने टोक्यो में ताली पीट-पीटकर भारत के मध्यम आय वर्गीय परिवारों का, निम्न आय वर्गीय परिवारों का उपहास उड़ाया था। मोहन भागवत जी मोदी जी से जवाब मांगिएगा, जब मोदी जी ने अमेरिका में जाकर कहा कि 2014 के पहले सांप सपेरों वाला देश था भारत। भागवत जी, मोदी जी विदेश की धरती पर बैठकर देश का अपमान कर रहे थे उनसे जवाब मांगिएगा। राहुल गांधी जी ने आज तक विदेश की धरती पर जाकर भारत का अपमान छोड़ो, भारत का जहां पर अपमान होने की संभावना होती है, वो उस पटल पर नहीं बैठते, उन्होंने जाकर अपनी बात कही कि बेरोजगारी और महंगाई मुख्य समस्या है इस देश की, सोशल फेबरिक और संविधान को डेंट मारा जा रहा है उन्होंने ये बात कही, उन्होंने जाकर ये नहीं कहा कि मुझे शर्म आती है कि मेरा जन्म भारत में हुआ, जो कि देश के प्रधानमंत्री ने कोरिया में कहा, उन्होंने जाकर मध्यम आय वर्गीय परिवारों का और निम्न आय वर्गीय परिवारों का उपहास नहीं उड़ाया, उन्होंने ये नहीं होने दिया कि प्रधानमंत्री ऑस्ट्रेलिया का उनको बोल रहा आप बॉस हो और 2 विश्वविद्यालयों ने भारत के 5 राज्यों के छात्रों को बोला, आप यहां पर एडमिशन नहीं ले सकते।
काहे के बॉस हैं ऐसे, ये कौन से बॉस हैं, जिस देश के प्रधानमंत्री अगर बॉस हैं, उस देश के नागरिकों का अगर अपमान हो रहा है उस देश में तो प्रधानमंत्री का मान नहीं बढ़ सकता है। मोदी जी अगर ऑस्ट्रेलिया जाते हैं तो वो इंडिविजुअल कैपेसिटी से नहीं जाते हैं, उनके आने का, जाने का, ठहरने का, खाने का, पीने का, सारा खर्चा भारत के करदाता वहन करते हैं तो जब वो किसी देश में बाहर जाते हैं तो वो भारत के लोगों को रिप्रजेंट करते हैं, अगर उस देश में भारत के लोगों का अपमान हो रहा है और मोदी जी आपका मान हो रहा है तो आपका मान हो ही नहीं सकता, क्योंकि जब तक देश के लोगों का मान नहीं बढ़ेगा, देश के प्रधानमंत्री का मान नहीं बढ़ सकता तो भागवत जी आपसे आगृह है मेरा कि आज तुरंत आप आईए और प्रधानमंत्री कार्यालय में जाकर इन तीनों जो मैंने उदाहरण दिए, इसका उत्तर माननीय प्रधानमंत्री जी से लीजिए और अगर आपके कंट्रोल में मोदी जी हैं, जो कि मुझे लगता है आज-कल नहीं है, अगर आपके कंट्रोल में हैं तो उनसे शाम को माफी मंगवाईए, क्योंकि आपके अनुसार उन्होंने देश का अपमान किया है।