अखिलेश यादव से मिले सीएम अरविंद केजरीवाल, केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ दिल्लीवालों को मिला सपा का साथ

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  • दिल्लीवालों को अपना अधिकार पाने में 8 साल लग गए, लेकिन मोदी जी ने 8 दिन में अध्यादेश लाकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया- अरविंद केजरीवाल
  • मोदी जी के दिल में काला था, तभी वे सुप्रीम कोर्ट की छुट्टियां होने के बाद अध्यादेश लाए और उसके आदेश को रद्द किया- अरविंद केजरीवाल
  • अगर राज्यसभा में केंद्र का यह बिल गिर गया तो पूरे देश में संदेश जाएगा कि मोदी सरकार फिर नहीं आ रही- अरविंद केजरीवाल
  • दिल्ली को लेकर केंद्र सरकार का अध्यादेश लोकतंत्र विरोधी सोच का परिणाम है, सपा राज्यसभा में इसका विरोध करेगी- अखिलेश यादव
  • अरिवंद केजरीवाल के शिक्षा-स्वास्थ्य के क्षेत्र में किए जा रहे अच्छे काम भाजपा को रास नहीं आ रहा है, वो घबराई हुई है- अखिलेश यादव
  • भाजपा को दिल्ली की सातों लोकसभा सीटें हारने का डर सता रहा है, इसलिए दिल्लीवालों के खिलाफ ये अध्यादेश लाया गया- अखिलेश यादव
  • यह लड़ाई केवल दिल्ली के लोगों की नहीं है, बल्कि देश के 140 करोड़ लोगों के अधिकारों को बचाने की है- भगवंत मान

दिल्ली को लेकर केंद्र सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश के खिलाफ समाजवादी पार्टी भी राज्यसभा में दिल्ली की जनता का समर्थन करेगी। बुधवार को लखनऊ में सीएम अरविंद केजरीवाल ने सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात कर उनसे समर्थन मांगा। केंद्र के अध्यादेश पर लंबी चर्चा के बाद सपा मुखिया अखिलेश यादव ने अपना पूरा समर्थन देने का एलान किया। इस दौरान सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली के लोगों को अपना अधिकार पाने में 8 साल लग गए, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी जी को हमारे अधिकार छीनने में केवल 8 दिन लगे। अगर सभी गैर भाजपा दल एकजुट हो जाते हैं तो इस बिल को राज्यसभा में गिराया जा सकता है। वहीं, सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने केंद्र के अध्यादेश को लोकतंत्र विरोधी सोच का परिणाम बताया और कहा कि हम राज्यसभा में इस बिल का विरोध करेंगे। इस दौरान पंजाब के सीएम सरदार भगवंत मान, राज्यसभा सदस्य संजय सिंह व दिल्ली की शिक्षा मंत्री आतिशी के अलावा सपा के वरिष्ठ नेता शिवपाल यादव समेत कई वरिष्ठ नेता मौजूद रहे।

बैठक के उपरांत एक संयुक्त प्रेस वार्ता कर सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली के लोग वोट डालकर अपनी सरकार चुनते हैं और उम्मीद करते हैं कि सरकार उनके सपनों और जरूरतों को पूरा करेगी। हमारा संविधान भी यही कहता है और यही भारतीय जनतंत्र भी है। दिल्ली में फरवरी 2015 में आम आदमी पार्टी की सरकार बनी। इसके मात्र तीन महीने बाद मई में मोदी सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर हमारी सारी शक्तियां छीन लीं। चुनी हुई सरकार के पास ट्रांसफर-पोस्टिंग, अफसरों के काम न करने या भ्रष्टाचार करने पर उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही करने या नई रिक्तियां बनाने का जो अधिकार था, उसे छीन लिया गया। इसके बावजूद हमने बहुत काम किया। हमने इतना अच्छा काम किया कि हम एक बार फिर भारी बहुमत से जीते और हमें 70 में से 62 सीटें मिलीं।

सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि आठ साल तक कोर्ट में अपने अधिकार की लड़ाई लड़ने के बाद 11 मई को सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने पांच-शून्य से फैसला सुनाया कि सारी शक्तियां चुनी हुई सरकार के पास होनी चाहिए। अगर चुनी हुई सरकार के पास अफसरशाही को नियंत्रित करने की शक्तियां नहीं होगी तो वो सरकार काम नहीं कर सकती। यह संविधान के खिलाफ है। सुप्रीम कोर्ट ने बहुत ही स्पष्ट और बड़ा आदेश दिया था। दिल्ली के लोगों को अपना अधिकार पाने में आठ साल लग गए, लेकिन मोदी जी को हमारे अधिकार छीनने में मात्र आठ दिन लगे। 11 मई को सुप्रीम कोर्ट का आदेश आया और 19 मई को मोदी जी ने अध्यादेश पारित कर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पलट दिया। चूंकि 19 मई की शाम पांच बजे सुप्रीम कोर्ट की छुट्टियां शुरू हो गईं। इसलिए 19 मई की रात के अंधेरे में 10 बजे मोदी सरकार ने अध्यादेश जारी कर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया। जो यह दिखाता है कि उनके दिल में काला था। अगर वो दो दिन पहले अध्यादेश पारित करते तो हम सुप्रीम कोर्ट में जाकर उस पर स्टे ऑर्डर ले आते, लेकिन अभी सुप्रीम कोर्ट बंद हैं। अभी हमें महीने भर इंतजार करना पड़ेगा। सुप्रीम कोर्ट खुलेगा तो हम उसके पास जरूर जाएंगे।

‘‘आप’’ के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कहा कि लोकसभा में भाजपा का बहुमत है, लेकिन राज्यसभा में नहीं है। राज्यसभा में 238 सदस्यों में से भाजपा के केवल 93 सदस्य ही हैं। इसलिए अगर सभी गैर-भाजपा राजनीतिक दल एक साथ आ जाएं तो इस अध्यादेश को राज्यसभा में गिराया जा सकता है। अगर यह अध्यादेश गिर गया तो यह मानकर चलिए कि ये 2024 का सेमी-फाइनल हो जाएगा। अगर राज्यसभा में केंद्र का यह बिल रद्द हो जाता है तो देश भर में ये संदेश जाएगा कि मोदी सरकार फिर नहीं आ रही है। उन्होंने सपा प्रमुख अखिलेश यादव का धन्यवाद करते हुए कहा कि अखिलेश जी ने हमें पूरा आश्वासन दिया है कि राज्यसभा में जब यह बिल आएगा तो वे दिल्लीवालों का पूरा समर्थन करेंगे और इस बिल का विरोध करेंगे।

इस दौरान समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि दिल्ली को लेकर केंद्र सरकार का जो अध्यादेश आया है, हम उसके खिलाफ दिल्ली की जनता का समर्थन करेंगे। यह अध्यादेश लोकतंत्र विरोधी है और इसके पीछे की सोच गैर लोकतांत्रिक है। उन्होंने ‘‘आप’’ के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को भरोसा देते हुए कहा कि समाजदावी पार्टी की तरफ से दिल्ली की जनता को पूरा समर्थन मिलेगा। उन्होंने आगे कहा कि सीएम अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में दिल्ली में ‘‘आप’’ की सरकार शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में बहुत अच्छा काम कर रही है। यह बात भारतीय जनता पार्टी को रास नहीं आ रही है। देश में अगर कोई अच्छे काम को बिगाड़ने का काम कर रहा है तो वो सिर्फ भाजपा ही है। भाजपा के लोग अरविंद केजरीवाल के अच्छे काम और उनकी सोच को देखकर घबरा रहे हैं। भाजपा को दिल्ली की सभी सातों सीटें हारने का डर सता रहा है। भाजपा को लग रहा है कि दिल्ली की जनता कहीं उसे सात/जीरो पर न लाकर खड़ा दे। इसलिए दिल्ली के लोगों के खिलाफ यह अध्यादेश लाया गया है। सपा मुखिया ने दोहराते हुए कहा कि मैं आम आदमी पार्टी का पूरा साथ दूंगा और सपा के सभी सदस्य राज्यसभा में “आप” का समर्थन करेंगे।

वहीं, पंजाब के सीएम भगवंत मान ने कहा कि यह लड़ाई केवल दिल्ली के लोगों की नहीं है बल्कि यह 140 लोगों के अधिकारों को बचाने की लड़ाई है। एक तरफ हम भारत को सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश कहते हैं और दूसरी तरफ लोकतंत्र पर अध्यादेश की कुल्हाड़ी चलती हैं। गवर्नर के जरिए सरकारों को तंग किया जाता है। गवर्नर को आदेश है कि अगर उन्होंने दो-तीन दिन में चुनी हुई सरकार को तंग नहीं किया तो फिर उनके पास फोन आ जाता है। इसलिए देश के लोगों को इलेक्टिड और सिलेक्टेड में फर्क करना होगा। दिल्ली में पूरे देश के लोग रहते हैं। केंद्र सरकार ने यह अध्यादेश लाकर पूरे देश पर कुल्हाड़ी चलाई है। ये गैर भाजपा शासित पूर्ण राज्यों को भी काम नहीं करने देते हैं। इस बार हमने बजट सत्र बुलाने के लिए राज्यपाल को पत्र लिखा तो उन्होंने इजाजत देने से इन्कार कर दिया। इसके लिए हमें सुप्रीम कोर्ट तक जाना पड़ा। गैर भाजपा शासित राज्यों के राज्यभवन भाजपा के मुख्यालय और राज्यपाल उसके स्टार प्रचारक बन गए हैं। केंद्र सरकार को सबको साथ लेकर चलिए और जनता द्वारा चुनी हुई सरकारों का साथ देना चाहिए। केंद्र सरकार को राज्यों के अधिकार नहीं छीनने चाहिए।

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