· सीवरेज/मलप्रवाह-पद्धति संबंधित शिकायतों में 75% की उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जो 2019 में 78,997 से बढ़कर 2022 में 1,38,545 हो गई।
· बढ़ते तापमान मीथेन गैस उत्सर्जन और लैंडफिल आग में योगदान करते हैं। उदाहरण के लिए, गाजीपुर लैंडफिल में 2019-2020 में 14 बार आग लगी, और भलस्वा लैंडफिल में 2021-2022 में 12 बार आग लगी।
· इन आगों से सांस संबंधी बीमारियां होती हैं, जिसके 2021 में दिल्ली नगर निगम (दि.न.नि.) और राज्य अस्पतालों में 2,07,752 मामले सामने आए।
· एस.डब्ल्यू.एम. नियम 2016 द्वारा अनिवार्य रूप से दिल्ली नगर निगम (एम.सी.डी) में स्रोत पृथक्करण में कमी है। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डी.पी.सी.सी) एस.डब्ल्यू.एम कार्य योजना के अनुसार, फरवरी 2023 तक, 250 वार्डों में से केवल 12 (5%) वार्ड स्रोत पर 100% पृथक्करण कर रहे हैं।
· एम.सी.डी लैंडफिल में भेजा जाने वाला कचरा 2019-20 में 51% से बढ़कर 2021-22 में 54% हो गया।
· 2022 में, 20 एस.टी.पी (मलजल उपचार संयंत्र ) में से 6 एस.टी.पी बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (बी.ओ.डी.) (30 मिलीग्राम / लीटर) के लिए डी.पी.सी.सी मानदंडों को पूरा करने में विफल रहे, जबकि 20 एस.टी.पी में से कुल 10 एस.टी.पी बी.ओ.डी (20 मिलीग्राम / लीटर) के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सी.पी.सी.बी.) मानदंडों को पूरा करने में विफल रहे।
· दिल्ली में औसत वार्षिक ए.क्यू.आई.(वायु गुणवत्ता सूचकांक) का स्तर 2020 को छोड़कर पिछले सात वर्षों में ‘खराब’ रहा है। इसके अलावा, 2022 में, 201 (55%) दिनों में ‘खराब’ (ए.क्यू.आई रेंज 201-300) या ‘बहुत खराब’ (ए.क्यू.आई रेंज 301-400)था।
प्रजा फाउंडेशन ने ‘दिल्ली में नागरिक मुद्दों की स्थिति पर रिपोर्ट, 2023’ जारी की। इस रिपोर्ट का उद्देश्य ठोस अपशिष्ट प्रबंधन (एस.डब्ल्यू.एम), सीवरेज/मल उपचार, वायु और पानी की गुणवत्ता की बढ़ती समस्याओं को समझना है,जो दिल्ली के जलवायु परिवर्तन को प्रभावित करता हैं।
इन बढ़ती शंकाओं के साथ समग्र नागरिक शिकायतों की संख्या में 36% यानि कि 2019 में 3,30,099 से 2022 में 4,47,468 तक की वृद्धि हुई है, विशेषकर, सीवरेज से संबंधित शिकायतों में 75% की वृद्धि हुई, जो 2019 में 78,997 से बढ़कर 2022 में 1,38,545 हो गई। इसके अतिरिक्त, ‘जल संदूषण’ के बारे में शिकायतें 2019 में 35,679 से 39% बढ़कर 2022 में 49,492 हो गईं।
मिलिंद म्हस्के, सी.ई.ओ, प्रजा फाउंडेशन ने बताया, कि “केंद्र सरकार द्वारा एस.डब्ल्यू.एम नियम 2016, स्रोत पर कचरे के प्रभावी संग्रह और पृथक्करण को अनिवार्य करता है। हालांकि, दि.न.नि. को सुधार की आवश्यकता है – उदाहरण के लिए, दि.न.नि घर से कूड़ा एकत्रण करने का 100% दावा करती है, जबकि ‘कचरा एकत्र नहीं किये जाने’ संबंधित शिकायतें 2016 में 1,068 से 285% बढ़कर 2022 में 4,117 हो गईं। इसके अलावा, दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डी.पी.सी.सी.) एस.डब्ल्यू.एम. एक्शन प्लान बताता है कि स्रोत पृथक्करण में कमी है । फरवरी 2023 तक, 250 वार्डों में से केवल 12 (5%) वार्ड स्रोत पर 100% पृथक्करण कर रहे हैं।“
म्हस्के ने जोड़ते हुए कहा कि, “एस.डब्ल्यू.एम नियम 2016 के साथ, राष्ट्रीय नगर कार्य संस्थान (एन.आई.यू.ए.) ने अपशिष्ट उत्पादन को कम करने, स्रोत पर कचरे को संसाधित करने और लैंडफिल में भेजे गए कचरे को कम करने के लिए एकीकृत