आज सुंदर कांड का पाठ करने वाले केजरीवाल ने सार्वजनिक मंच से राम मंदिर के निर्माण पर दुख जताते हुए उसका विरोध किया था – बांसुरी स्वराज

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*केजरीवाल के विधायक राजेन्द्र गौतम तो विधानसभा के अंदर हिंदू ग्रंथ और रामायण का बहिष्कार कर भगवान राम को भगवान ना मानने की अपने विधायकों को शपथ दिलवा रहे थे – बांसुरी स्वराज

*एमसीडी चुनाव से पहले हनुमान चालिसा और अब लोकसभा चुनाव आने वाला है तो अरविंद केजरीवाल सुंदर कांड पढ़ने लगे हैं जो सिर्फ एक चुनावी अवसरवादिता है – बांसुरी स्वराज

दिल्ली भाजपा की मंत्री सुश्री बांसुरी स्वराज ने कहा है कि एक समय था जब मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सार्वजनिक मंच से राम मंदिर का विरोध करते हुए कहा था कि वह स्वयं और उनका परिवार काफी दुखी है कि राम मंदिर का निर्माण अयोध्या में किया जा रहा है लेकिन आज जब केजरीवाल के विरोध के बावजूद भव्य राम मंदिर बन रहा है तो आम आदमी पार्टी जो अपना रंग बदलने के लिए मशहूर है, उसके ऊपर भगवा रंग चढ़ा है।

बांसुरी स्वराज ने अरविंद केजरीवाल से सवाल करते हुए कहा कि आज केजरीवाल जो सुंदर पाठ पढ़ने जा रहे हैं, क्या उन्होंने अपने ही विधायक राजेन्द्र गौतम को न्योता दिया है। वही राजेन्द्र गौतम जिन्होंने दिसंबर 2023 में विधानसभा के अंदर हिंदू ग्रंथ और रामायण का बहिष्कार होने की बात कर रहे थे।

बांसुरी स्वराज ने कहा है की अरविंद केजरीवाल सुंदरकांड पाठ करना चाहते हैं तो पहले राजेन्द्रपाल गौतम जिन्होने सार्वजनिक शपथ ली थी कि भगवान राम और भगवान कृष्ण को भगवान नहीं मानना चाहिए। सुन्दर कांड पाठ से पहले केजरीवाल जवाब दें की वह अपने इस विधायक पर क्या कहेंगे।

बांसुरी स्वराज ने कहा कि अरविंद केजरीवाल जिस डी.एम.के. के साथ गठबंधन कर रहे हैं उस पार्टी के नेता तो सनातन संस्कृति और हिंदू धर्म की तुलना बिमारियों के साथ कर दी थी और सनातन को उखाड़ फेंकने की बात कर रहे थे, क्या वह भी केजरीवाल के साथ बैठकर सुंदरकांड का पाठ करेंगे या फिर उन्हें भी केजरीवाल ने न्योता दिया है।

दिल्ली भाजपा मंत्री ने कहा कि केजरीवाल का सुंदर कांड पढ़ना सिर्फ चुनाव से प्रेरित है और यह पहली बार नहीं हुआ है जब चुनाव आते ही केजरीवाल को राम याद आने लगते हैं। एमसीडी चुनाव से पहले हनुमान चालिसा और अब लोकसभा चुनाव आने वाला तो अरविंद केजरीवाल को सुंदर कांड पढ़ना है। उन्होंने कहा कि सुंदर पाठ करने के पीछे केवल अरविंद केजरीवाल का कोई चुनावी अवसरवादिता है।

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