एनडीएमसी ने नेहरू पार्क में ट्यूलिप की बाहर के साथ हरियाली भरे नेहरू पार्क में ‘म्यूजिक इन द पार्क’ का आयोजन किया

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*पंडित नित्यानंद हल्दीपुर ने बांसुरी के साथ और उस्ताद शाहिद परवेज़ ने सितार पर “म्यूजिक इन द पार्क” में मंत्रमुग्ध करने वाली प्रस्तुति दी

वसंत ऋतु के स्वागत और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में ट्यूलिप के नए खिलने के लिए, नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी) ने स्पिक मैके के सहयोग से आज नेहरू पार्क, चाणक्यपुरी, नई दिल्ली में “म्यूजिक इन द पार्क” श्रृंखला 2024 का पहला संगीत कार्यक्रम आयोजित किया।

भारत सरकार की संस्कृति और विदेश राज्यमंत्री – श्रीमती मीनाक्षी लेखी भी दर्शकों में शामिल थीं और उन्होंने युवाओं और आम जनता के बीच हमारी पारंपरिक कला और संस्कृति के संरक्षण के लिए इस तरह के शास्त्रीय संगीत समारोह के आयोजन के लिए एनडीएमसी, स्पिक मैके और एसआरएफ फाउंडेशन के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने सभागार के बाहर और सभी के लिए निःशुल्क ऐसे कार्यक्रम से जुड़े सभी लोगों को धन्यवाद दिया।

पंडित नित्यानंद हल्दीपुर के हिंदुस्तानी बांसुरी वादन और तबले पर मिथिलेश कुमार झा के अद्भुत प्रदर्शन से दिल्ली एनसीआर क्षेत्र के हजारों दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए। उनके बाद सितार पर उस्ताद शाहिद परवेज़ ने तबले पर अकरम खान के साथ “म्यूजिक इन द पार्क” में मंत्रमुग्ध करने वाली प्रस्तुति दी। ट्यूलिप वॉक का आनन्द लेने आये हजारों पुष्प प्रेमियों ने भी संगीत समारोह को सुना और कलाकारों की संगीत धुनों पर झूम उठे।

‘म्यूजिक इन द पार्क सीरीज 2024’ का अगला म्यूजिक कॉन्सर्ट 09 मार्च, 2024 को नेहरू पार्क, चाणक्यपुरी, नई दिल्ली में होगा।

यह संगीत समारोह राष्ट्रीय राजधानी के हृदय स्थल के हरे-भरे क्षेत्र में वसंत ऋतु का जश्न मनाने के लिए एनडीएमसी के कार्यक्रमों की श्रृंखला का हिस्सा था। नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी) ट्यूलिप फेस्टिवल, म्यूजिक इन द पार्क, फ्लावर फेस्टिवल, रोज फेस्टिवल और फूड फेस्टिवल जैसे कार्यक्रमों की एक श्रृंखला के साथ वसंत ऋतु का जश्न मना रही है।

एनडीएमसी द्वारा अपने क्षेत्र में ऐसे कार्यक्रमों के आयोजन के पीछे का उद्देश्य महानगरों में व्यस्त दिनचर्या से दिन-ब-दिन बिगड़ती शहरी जिंदगी को उन्नत करना है। कला और संस्कृति को बढ़ावा देना एनडीएमसी अधिनियम-1994 की धारा 12 के तहत प्रदान किए गए परिषद के कार्यों में से एक है। यह प्रावधान परिषद को कला और संस्कृति को संग्रहालयों और सभागारों की सीमा से बाहर खुले में लाने की जिम्मेदारी देता है जहां आम जनता भाग ले सके।

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