राजकोट हादसे पर बोली कांग्रेस- गुजरात सरकार खुद लोगों की जान के साथ खिलवाड़ कर रही

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*सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के सिटिंग जज की देखरेख में हो जांच

*हादसे के जिम्मेदार बड़े अधिकारियों के नाम भी एफआईआर में शामिल किए जाएं

कांग्रेस ने गुजरात के राजकोट स्थित गेम जोन में आग लगने से 31 लोगों की मौत को लेकर प्रदेश की भाजपा सरकार को निशाने पर लिया है। गुजरात कांग्रेस अध्यक्ष व राज्य सभा सांसद शक्ति सिंह गोहिल ने कहा कि खुद गुजरात सरकार लोगों की जान के साथ खिलवाड़ कर रही है। 

नई दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय में पत्रकार वार्ता करते हुए शक्ति सिंह गोहिल ने कहा कि राजकोट के एक गेम जोन में आग लगने से 31 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई। इस गेम जोन में फायर सेफ्टी, आने-जाने के अलग रास्ते, आवासीय क्षेत्र से दूरी जैसे किसी भी सुरक्षा नियम का पालन नहीं किया गया था। राजकोट में इतना भयावह हादसा होने के बाद भी सरकार गंभीर नहीं है। लोगों के जान-माल के सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकार की होती है, लेकिन आज सरकार ही इसके साथ खिलवाड़ कर रही है। भाजपा के तमाम नेता इस गेम जोन में आते-जाते हैं। जब बड़े-बड़े अधिकारियों का इस गेम जोन में आना-जाना हो, तो फिर छोटे अधिकारी इसे अवैध बताकर बंद कैसे करा सकते हैं। इन अधिकारियों को सस्पेंड कर सरकार क्या साबित करना चाहती है। 

गोहिल ने कहा कि गुजरात के राजकोट में हुआ हादसा, पहला हादसा नहीं है। सूरत में एक एजुकेशन इंस्टीट्यूट में 22 बच्चों की जान चली गई थी। सूरत में पीड़ित परिवारों ने कहा हमें आज तक न्याय नहीं मिला, लेकिन राजकोट के बच्चों को न्याय मिलना चाहिए। इसी तरह, वडोदरा में नाव डूबने से 14 बच्चों की जान चली गई। उस मामले में भी कोई एक्शन नहीं लिया गया। बनासकांठा में ब्रिज गिरने से कई लोगों की जान चली गई। जो कंपनी ये ब्रिज बना रही थी, उसे पहले भी ब्लैकलिस्ट किया गया था। लेकिन जैसे ही उसने भाजपा को चंदा दिया, उसे ये ब्रिज बनाने का काम मिल गया। 

कांग्रेस नेता ने कहा कि गुजरात सरकार में अच्छे और ईमानदार अफसरों को अलग कर, सरकार की जी-हुजूरी करने वाले अफसरों को जगह दी गई है। हालात ये हैं कि गुजरात में अच्छे अफसरों को साइडलाइन कर उनका करियर खत्म किया जा रहा है। इसी का नतीजा है कि लोगों की जान से खिलवाड़ हो रहा है।

गोहिल ने मांग करते हुए कहा कि इस हादसे के लिए जिम्मेदार बड़े अधिकारियों के नाम भी एफआईआर में शामिल किए जाएं। सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के सिटिंग जज की देखरेख में इस हादसे की जांच हो। इस हादसे के पीड़ित परिवारों को उचित मुआवजा दिया जाए।

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