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भारत पाकिस्तान विभाजन के बाद अब सिंधी समाज कही न कही अपने आप को अपेक्षित महसूस कर रहा है। इसकी वजह ये हैं की सिंधी समाज के लोगों की माँगो को लेकर कोई भी राजनीतिक पार्टी गंभीरता नहीं दिखा रही है। सिंधी समाज के लोगों का कहना है कि वह अपना मूल सिंध राज्य को छोड़कर मजबूरी में भारत के विभिन्न राज्य सहित दुनिया के किसी भी स्थान में जाकर बसने वाले सिंधी समाज को भारत में अपनी संस्कृति, भाषा, खान-पान वाला राज्य नहीं मिला। जबकि भारत पाकिस्तान विभाजन के समय अपना सब कुछ छोड़कर खाली हाथ आने वाला सिंधी समाज अपने ईमानदारी और मेहनत के बलबूते अब सबसे अधिक टेक्स देने वाला समाज होने का दावा कर रहा है। सिंधी समाज का मानना है सरकार किसी की भी हो पर सभी ने सिंधी समाज की भावनाओं का अनदेखा किया जिस कारण आज सिंधी समाज की संस्कृति, भाषा, खान-पान लुप्त होने के कगार पर खड़ा है जबकि सिंधी समाज जो सिंधु नदी के किनारे बसा सिंध राज्य के मूल निवासी अपनी सभ्यता से दुनिया को सभ्यता सिखाया वही सिंधी समाज अपनी सभ्यता को बचाने के लिए फिर से एकजुट हो रहे हैं। शनिवार को दिल्ली के राजेंद्र नगर में स्थित सिंधू भवन में समाज के लोगों द्वारा एक विशेष बैठक का आयोजन किया गया। इस बैठक में सिंध राज्य की माँग और सिंधी समाज के कुछ माँगे रखी गई। दादा सतराम ममतानी मेमोरियल समिति जनकपुरी के संयोजक राज ममतानी विजय ईसरानी, प्रगतिशील सिन्धी समाज समिति अध्यक्ष अशोक लालवानी, सिंधी कौंसिल ऑफ़ इंडिया, उत्तर भारत के अध्यक्ष जगदीश नागरानी सिंधु समाज दिल्ली अध्यक्ष, महासचिव नरेश बेलानी की अध्यक्षता में अनेकों सिंधी ठिकानों, सिंधी पंचायतों, सिंधी समाजिक संस्थओं के प्रमुखों ने भारत में सिन्धी राज्य की स्थापना के लिए एक स्वर में एकजुट हुए हैं। आइए देखते हैं टोटल ख़बरें के वरिष्ठ संवाददाता राजेश खन्ना की इस विशेष रिपोर्ट में सिंधी समाज के लोगों की क्या माँगे हैं। मीडिया से बात करते हुए समाज के पदाधिकारियों ने क्या कहा।

आपको बता दें कि सिंधी समाज देश भर में क़रीब एक करोड़ लोग होने का दावा करते हैं और राज्य की माँग को लेकर और सिंधी समाज के हितों के लिए सरकार समाज की माँगो पर विचार करेगी या नहीं यह तो भविष्य में ही पता चल पाएगा। टोटल ख़बरें दिल्ली से राजेश खन्ना की विशेष रिपोर्ट।

इसकी जानकारी विजय इसरानी अध्यक्ष प्रगतिशील सिंधी समाज ) ने पत्रकारों को दिया।
इस अवसर पर श्री महेश मलकानी (कोलकाता ) ने कहा आज सिंधी समाज की संस्कृति, भाषा, खान-पान लुप्त होने के कगार पर खड़ा है। इसके लुप्त होने का मूल कारण सिंधु समाज का अपना संस्कृति, भाषा, खान-पान वाला कोई राज्य नहीं है जिस कारण भावी पीढ़ी को अपने संस्कृति, भाषा, खान-पान का ज्ञान नहीं मिल पाता और वो जहां है वही की संस्कृति, भाषा, खान-पान वाला बन जाता है इसलिए सिंधु राज्य के लिए कोर्ट सहित सभी संवैधानिक तरिके अपनाकर सिंधु राज्य की स्थापना करके रहेंगे इसी का आज सभी ने मिलकर बिगुल बजाया है। अब पूरा सिंधु समाज एक होकर उसके साथ खड़े हैं जो सिंधी समाज की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए सिंधु राज्य की स्थापना में हमारा साथ देंगे।
इस अवसर पर श्री अशोक लालवानी (अध्यक्ष, सिंधी कौंसिल ऑफ़ इंडिया, उत्तर भारत) ने कहा जब तक सिंधी समाज को सिंधु राज्य ना मिले तब तक भारत सरकार सिंधु समाज की भावनाओं को ध्यान रखते हुए कम से कम राज्य स्तर का नई दिल्ली में जल्द से जल्द सिंधु भवन बनाये ताकि सिंधु भवन के जरिये दुनिया में रहने वाले सिंधी समाज अपनी संस्कृति, भाषा, खान-पान, इत्यादि को संजोये रखने में सहायक हो। आगे श्री नरेश बेलानी (महासचिव, सिंधु समाज दिल्ली) ने कहा सिंधु राज्य की स्थापना के लिए सिंधी समाज ने अब अपनी राजनितिक मतभेद को छोड़ने के लिए भी तैयार हो गये हैं। इसलिए अब सभी राजनितिक पार्टियां सिंधी समाज को आनी वाली सभी चुनाव में बराबरी का स्थान दें। अन्यथा जो भी सिंधी समाज को महत्व देगा अब सभी सिंधी समाज एक सुर में उसके साथ खड़ा नजर आएगा। इस कार्यक्रम में श्री भरत वाटवानी (वरिष्ठ उपाध्यक्ष, प्रगतिशील सिन्धी समाज समिति), श्री महेश मलकानी (कोलकोता), श्री कुमार रामचंदानी (गांधीधाम), श्री किशोर गृगलानी (अहमदाबाद), श्री राजा राम (लखनऊ), श्रीं ओम प्रकाश कुकरेजा (अध्यक्ष, मयूर विहार), श्री गौतम थावानी (सचिव प्रगतिशील) इत्यादि उपस्थित थे।

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