जागरण फिल्म फेस्टिवल में दूसरा दिन: शिल्पा शेट्टी, मधु, कृति खरबंदा औरअन्य सितारों ने सिनेमा पर चर्चा की, प्रेरित किया और जश्न मनाया

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भारत की वाइब्रंट फिल्म इंडस्ट्री का दिल यानी मुंबई एक बार फिर सिनेमा के जादू से सराबोर है। 12वें जागरण फिल्म फेस्टिवल (जेएफएफ) का आयोजन जारी है और देशभर से आए दर्शकों को आकर्षित कर रहा है। भारत के सबसे बड़े ट्रैवलिंग फिल्म फेस्टिवल के रूप में प्रसिद्ध जेएफएफ हमेशा से ही कहानी कहने की कला और इसकी परिवर्तनकारी शक्ति का जश्न मनाने का एक मंच रहा है। भारतीय सिनेमा की सुंदरता को प्रदर्शित करने की समृद्ध परंपरा के साथ इस साल के संस्करण में फिल्म निर्माताओं, अभिनेताओं, उद्योग जगत के विशेषज्ञों और सिनेमा प्रेमियों की एक बेहतरीन मिश्रित प्रस्तुति देखने को मिल रही है, जो “गुड सिनेमा फॉर एव्रीवन” की अवधारणा को सामने ला रहा है।
पिछले 100 दिनों में, इस फेस्टिवल ने 18 शहरों और 11 राज्यों की यात्रा की, विविधता और समावेशिता के लिए व्यापक रूप से सराहना प्राप्त की। 4,787 प्रस्तुतियों में से 78 भाषाओं की 292 उत्कृष्ट फिल्मों का चयन किया गया, जिनमें फीचर फिल्में, शॉर्ट फिल्में और डॉक्यूमेंट्रीज़ शामिल हैं। इस साल के जागरण फिल्म फेस्टिवल के अंतिम पड़ाव के रूप में मुंबई में इसका समापन हो रहा है, जहां दूसरे दिन बॉलीवुड के दिग्गज सितारे, प्रसिद्ध फिल्म निर्माता और नए उभरते कलाकार एक साथ मंच पर आए। इस दिन ने फिल्म प्रेमियों को विचारोत्तेजक पैनल चर्चाओं, निजी अनुभवों और प्रेरणादायक दृष्टिकोणों के आनंद से अभिभूत कर दिया।
फेस्टिवल के दूसरे दिन की शुरुआत एक विशेष ‘इन कन्वर्सेशन’ सत्र के साथ हुई, जिसमें ‘रोजा’ फिल्म की प्रसिद्ध अभिनेत्री मधु ने अपनी अनूठी शैली में अपने करियर के दिलचस्प पहलुओं को साझा किया। उन्होंने अपने शुरुआती दिनों को याद करते हुए बताया कि कैसे वह शूटिंग के दौरान गांवों के लॉज में ठहरती थीं और किस तरह उन्होंने ए.आर. रहमान के संगीत की महानता को महसूस किया। सबसे रोचक क्षण तब आया जब मधु ने ‘रोजा’ के हिंदी डबिंग के अनुभव को साझा किया। उन्होंने बताया, “मैं यह जानकर हैरान रह गई कि हिंदी संस्करण में मेरी आवाज़ किसी और ने डब की थी, जबकि मैंने तमिल संस्करण के लिए नौ दिन तक मेहनत की थी। मैंने फिर एक दिन में ही हिंदी डबिंग पूरी की ताकि फिल्म की वास्तविकता बनी रहे।” इसके अलावा, उन्होंने स्वीकार किया कि अभिनय कभी उनके कॅरियर प्लान का हिस्सा नहीं रहा है। उन्होंने कहा, “यह मेरा भाग्य था, जिसने मुझे इस उद्योग में पहुंचाया।” सोशल मीडिया के प्रभाव पर चर्चा करते हुए, उन्होंने इसे एक वरदान बताया, जिससे कलाकार और प्रशंसक अब पहले से कहीं अधिक आसानी से जुड़ सकते हैं।
इसके बाद मंच पर आईं शिल्पा शेट्टी, जिन्होंने आत्म-विकास, बॉडी पॉजिटिविटी और सिनेमा की शक्ति पर एक प्रेरक चर्चा की। उन्होंने फिल्म उद्योग के बदलते दौर पर प्रकाश डाला, जब प्रशंसकों को सिनेमाघरों तक जाना पड़ता था, लेकिन आज डिजिटल युग में सितारे मात्र एक क्लिक की दूरी पर हैं। शिल्पा ने अपने कॅरियर के संघर्षों और सीखों को साझा किया। उन्होंने ‘बाज़ीगर’ में अपने किरदार को याद किया, खासतौर पर उस दृश्य को जब शाहरुख खान का किरदार उन्हें इमारत से धक्का दे देता है। उन्होंने माना कि उस समय वह बहुत युवा थीं और इतने नाटकीय दृश्य के प्रभाव को समझने में असमर्थ थीं। शिल्पा ने ‘धड़कन’ फिल्म के प्रति अपने विशेष लगाव को भी व्यक्त किया। अपनी सच्चाई के लिए मशहूर शिल्पा ने बॉडी पॉजिटिविटी के विषय पर खुलकर बात की और बताया कि कैसे उन्होंने वर्षों से अपनी इनसिक्योरिटी पर जीत हासिल की। उन्होंने सेल्फ-एक्सेप्टेंस को सबसे सशक्त यात्रा बताया और दर्शकों को प्रेरित किया कि वे आत्मविश्वास और नए दृष्टिकोण के साथ जीवन की चुनौतियों का सामना करें। उनकी बुद्धिमत्ता, खुलेपन और करिश्माई उपस्थिति ने दर्शकों को जीवन की चुनौतियों को आत्मविश्वास और नए दृष्टिकोण के साथ स्वीकार करने के लिए प्रेरित और प्रोत्साहित किया।


दूसरे दिन के एक और विशेष चर्चा सत्र में अभिनेत्री कृति खरबंदा और निर्देशक रत्ना सिन्हा ने भाग लिया। कृति ने ‘शादी में ज़रूर आना’ फिल्म की सफलता और अपने सफर के बारे में बताया कि कैसे दिल्ली से हैदराबाद और फिर बेंगलुरु तक की यात्रा ने उनके कॅरियर को आकार दिया। उन्होंने अपने माता-पिता को धन्यवाद दिया, जिन्होंने हमेशा उनके सपनों का समर्थन किया। उन्होंने राजकुमार राव जैसे प्रतिभाशाली सितारों के साथ काम करने के लिए आभार व्यक्त किया और इस बात पर जोर दिया कि खुद पर विश्वास करना कितना महत्वपूर्ण है।
रत्ना सिन्हा ने भी चर्चा में भाग लिया और बताया कि विक्की कौशल और राजकुमार राव जैसे अभिनेताओं की कास्टिंग भारतीय सिनेमा के लिए गेम-चेंजर साबित हुई है। महिला सशक्तिकरण पर चर्चा करते हुए, कृति ने कहा कि शादी कभी भी महिलाओं को उनके सपनों को पूरा करने से रोकने वाली नहीं होनी चाहिए। उन्होंने उभरते कलाकारों को खुद पर विश्वास बनाए रखने और निर्देशकों के विजन को बारीकी से समझने की सलाह दी। कृति ने युवाओं को निडर होने, अपने लक्ष्यों के लिए लड़ने और जुझारूपन अपनाने का सशक्त संदेश दिया। इस सत्र में बॉलीवुड के उभरते परिदृश्य और दर्शकों से सही मायने में जुड़ने वाली अधिक विषय-वस्तु वाली फिल्मों की आवश्यकता पर भी जीवंत चर्चा हुई।
दूसरा दिन ‘तुमको मेरी कसम’ फिल्म के प्रचार कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया, जहां फिल्म निर्माता विक्रम भट्ट और अभिनेत्री अदा शर्मा ने अपनी पेशेवर यात्राओं और सिनेमा उद्योग के बदलते स्वरूप पर विचार साझा किए। विक्रम भट्ट ने एक नए डिजिटल प्लेटफॉर्म के लॉन्च की घोषणा की, जहां उभरते हुए कलाकार अपनी प्रतिभा को दिखाने के लिए अपनी तस्वीर, छोटा वीडियो और भूमिका का विवरण साझा कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि अभिनय केवल सुंदरता पर निर्भर नहीं करता, बल्कि अभिनेता की आंखों में गहराई और भावनाएं भी महत्वपूर्ण होती हैं।

अदा शर्मा ने ‘द केरल स्टोरी’ में अपने गहन किरदार की कठिनाइयों को साझा किया। उन्होंने बताया कि इस किरदार के लिए गहन शोध के कारण वह मानसिक रूप से प्रभावित हुईं और यहां तक कि थेरेपी पर विचार किया ताकि भावनात्मक प्रभाव को कम किया जा सके। लेकिन अंत में, उन्होंने फिल्म की सफलता और दर्शकों पर इसके प्रभाव को लेकर गर्व महसूस किया। दिल को छू लेने वाली इस चर्चा ने सशक्त कहानियों को जीवंत करने में अभिनेताओं के सामने आने वाली व्यक्तिगत और व्यावसायिक चुनौतियों पर स्पष्ट दृष्टि डाली।
12वें जागरण फिल्म फेस्टिवल (जेएफएफ) का आयोजन सिनेमा और कहानी कहने की कला का जश्न मनाने के लिए जारी है। मुंबई में आने वाले दिनों में कई रोमांचक सत्र आयोजित किए जाएंगे, जिनमें ‘ग्रामर ऑफ सिनेमा’ पैनल प्रमुख रहेगा। इस पैनल में कुमुद मिश्रा, सौरभ सचदेवा, गोपाल दत्त और शुभ्रज्योति बरात थिएटर और सिनेमा के संबंध पर चर्चा करेंगे। इस पैनल को विदूषी चड्ढा मॉडरेट करेंगी।
नौ मार्च को फेस्टिव जारी रहेगा और इस दौरान शामिल लोग दिग्गज अभिनेता पंकज कपूर के साथ ‘इन कन्वर्सेशन’ का आनंद उठा सकेंगे। थिएटर एवं सिनेमा पैनल में मक़रंद देशपांडे, सीमा पाहवा, देव फौजदार और जयंत देशमुख शामिल होंगे। इसके अलावा ऑस्कर विजेता साउंड डिजाइनर रसूल पुकुट्टी के साथ इन कन्वर्सेशन होगा, जिसे महक कस्बेकर मॉडरेट करेंगी। 12वां जेएफएफ सिनेमा, कहानी कहने और रचनात्मकता का अद्भुत जश्न होगा।

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