भाजपा सरकार फसल पर एमसपी को लागू करने में देरी करके व्यापारियों को फायदा पहुॅचा रही है, जबकि किसानों को सरसों की फसल पर प्रति बीघा 4750 रुपये तक नुकसान हो रहा है – देवेन्द्र यादव

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दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष देवेन्द्र यादव ने कहा कि भाजपा शासित केन्द्र सरकार की किसानों के प्रति दोहरी नीति के कारण किसानों को उनकी फसल पर एमएमपी मूल्य नही मिल रहा है। पूंजीपतियों का संरक्षण करने वाली भाजपा सरकार सरसों की फसल पर एमएसपी को 1 अप्रैल से पंजीकरण कराऐंगी जबकि फसल 15 फरवरी से ही मंडियों में आना शुरु हो चुकी है। श्री यादव ने कहा कि सरकार द्वारा सरसों की एमएसपी खरीद में देरी के कारण किसानों को प्रति क्विंटल 950 रुपये का नुकसान हो रहा है। क्योंकि सरसों की एमएसपी खरीद का तय मूल्य 5950 रुपये है जबकि मंडियों का दाम 5000 रुपये प्रति क्विंटल है। किसानों को प्रति बीघा नुकसान 4750 रुपये हो रहा है क्योंकि एक बीघा में 5 क्विंटल सरसों होता है। 10 बीघा जमीन की सरसों की फसल का नुकसान 47,500 रुपये तक हो रहा है।

देवेन्द्र यादव ने कहा कि किसान सरकार से पिछले 3 वर्षों से लगातार एमएसपी पर सरसों की खरीद को 15 फरवरी से लागू करने का अनुरोध कर रही है, परंतु भाजपा पूंजीपतियों और व्यापारियों को फायदा पहुॅचाने के एमएसपी मूल्य पर खरीद के लिए पंजीकरण में जानबूझकर देरी करती है। उन्होंने कहा कि सरकार का बाजार भाव और एमएसपी खरीद पर कोई नियंत्रण नही है क्योंकि गेंहू की एमएसपी खरीद मूल्य 2525 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि मंडियों में गेंहू 2800 रुपये प्रति क्विंटल तक बिक रहा है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने पूंजीतियों के हित में पहले तीन काले कृषि कानूनों को जबरन लागू किया, परंतु किसानों के लम्बे विरोध और विपक्ष के दबाव के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने देशव्यापी माफी मांग कर कृषि कानूनों को वापस तो ले लिए लेकिन किसानों की मांगों को मानने पर अभी तक कोई फैसला नही लिया गया है।

देवेन्द्र यादव ने कहा कि भाजपा और आम आदमी पार्टी दोनो किसान विरोधी है। 3 काले कृषि कानूनों को लागू करने में दोनो पार्टियां एकमत थी। पिछले 13 महीनों से धरने पर बैठे किसानों को पंजाब में बलपूर्वक हटाया गया है। गौरतलब है कि धरने पर बैठे किसानों को हटाने की कार्यवाही से इनका किसान विरोधी चेहरा पंजाब से दिल्ली तक दिखाई दे रहा है। भाजपा की तानाशाही के चलते किसानां की आवाज का दबाया जा रहा है।

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