पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा के निर्देशानुसार दिल्ली के 25 औद्योगिक क्लस्टरों की ‘कंसेंट’ प्रक्रिया फिर से शुरू; डीपीसीसी फिर से शुरू करेगा ‘कंसेंट टू एस्टैब्लिश’ और ‘कंसेंट टू ऑपरेट’ की प्रक्रिया

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  • डीपीसीसी ने एमपीडी-2021 के तहत पुनर्विकास के लिए अधिसूचित 25 औद्योगिक क्लस्टरों के ‘कंसेंट टू एस्टैब्लिश’ और ‘कंसेंट टू ऑपरेट’ की प्रक्रिया फिर से शुरू की।
  • माननीय मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने इसे ‘पर्यावरण एक्शन प्लान 2025’ की दिशा में एक अनिवार्य कदम बताया।
  • जल, वायु, धूल, प्लास्टिक, ई-वेस्ट और ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण के नियम सख्ती से लागू किए जाएंगे।
  • “यह निर्णय दिल्ली को स्वच्छ और हरित उद्योगों की ओर ले जाने वाला परिवर्तन है,” मंत्री सिरसा ने कहा।

इंडस्ट्रियल क्लस्टरों को सुव्यवस्थित करने और प्रदूषण नियंत्रण उपायों को मज़बूत करने के लिए, दिल्ली पॉल्यूशन कंट्रोल कमिटी (DPCC) ने राजधानी दिल्ली के 25 अधिसूचित औद्योगिक क्लस्टरों के लिए ‘कंसेंट टू एस्टैब्लिश’ और ‘कंसेंट टू ऑपरेट’ की प्रक्रिया को फिर से शुरू कर दिया है। इन क्लस्टरों में मास्टर प्लान ऑफ़ दिल्ली 2021 (MPD-2021) के तहत रिडेवलपमेंट की अनुमति वर्षों से रुकी हुई थी।

लंबे समय से रुकी प्रक्रिया 2023 के बाद शुरू की गई है। इसे माननीय उद्योग मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा के नेतृत्व में दोबारा शुरू किया गया है। उद्योग विभाग ने यह बताया है कि पुनर्विकास के लिए नई समय-सीमाएं दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) द्वारा विचाराधीन हैं और उद्योग क्षेत्रों का पुनर्विकास उसी के अनुसार किया जाएगा।

मंत्री सिरसा ने कहा कि यह निर्णय सिर्फ प्रशासनिक अनुमति से जुड़ा नहीं है, बल्कि यह दिल्ली में पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार और सजग उद्योग को बढ़ावा देने की दिशा में एक जरूरी कदम है। ‘कंसेंट’ के आवेदन प्रक्रिया को फिर से शुरू करके हम सुनिश्चित कर रहे हैं कि कोई भी औद्योगिक गतिविधि पर्यावरणीय जांच के बिना न चले। यह हमारे ‘पर्यावरण एक्शन प्लान 2025’ का एक महत्वपूर्ण चरण है।

डीपीसीसी निम्नलिखित प्रदूषण नियंत्रण मानकों का पालन सुनिश्चित करेगा:

  • गंदे पानी और अपशिष्ट जल शोधन की निगरानी
  • हवा और धूल नियंत्रण के लिए आधुनिक तकनीक का उपयोग
  • प्लास्टिक और ई-वेस्ट के सुरक्षित निपटान के उपाय
  • ध्वनि और हानिकारक अपशिष्टों पर नियंत्रण

पर्यावरण मंत्री सिरसा ने आगे कहा, “पुनर्विकास और ‘कंसेंट’ प्रणाली के ज़रिए पर्यावरणीय नियमों का पालन जवाबदेही का एक निरंतर चलने वाला तंत्र है।”

यह कदम दिल्ली सरकार की ओर से यह स्पष्ट संदेश देता है कि औद्योगिक विकास और पर्यावरणी संरक्षण को एक साथ लेकर चलना अब ज़रूरी है और पर्यावरण की अनदेखी अब स्वीकार नहीं की जाएगी।

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