विद्याधर से विद्यासागर’ प्रदर्शनी में आचार्य श्री 108 विद्यासागर महाराज का जीवन व विरासत का हुआ प्रदर्शन

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*क्षमा ही मानवता का सार और मैत्रीपूर्ण समाज की नींव है” – विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता

*जैन दर्शन का क्षमावाणी संदेश आज के समय में अत्यंत प्रासंगिक है” – गुप्ता

“क्षमा ही मानवता का सार है और समाज को जोड़ने की आधारशिला है” यह बात दिल्ली विधानसभा के माननीय अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने आज दिल्ली विधानसभा परिसर में आयोजित क्षमावाणी पर्व कार्यक्रम के दौरान कही।उन्होंने कहा कि क्षमा के माध्यम से हम क्रोध और अहंकार से ऊपर उठते हैं। बल प्रतिशोध में नहीं, बल्कि मेल-मिलाप में है।इस अवसर पर विधानसभा उपाध्यक्ष मोहन सिंह बिष्ट भी उपस्थित रहे।

गुप्ता ने कहा कि दस दिनों तक मनाया गया दसलक्षण पर्व केवल अनुष्ठान नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि और अनुशासन का संदेश देता है। क्षमावाणी पर्व इसका अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण दिन है, जिसमें हम एक-दूसरे से जाने-अनजाने में हुई गलतियों के लिए क्षमा मांगते हैं और आपसी भाईचारा एवं सद्भाव को मजबूत करते हैं।

अध्यक्ष ने कहा कि जैन दर्शन का क्षमा और सहिष्णुता का संदेश आज के समय में और भी प्रासंगिक है। यदि हम इसे अपने दैनिक जीवन में अपनाएँ तो समाज में शांति, एकता और सौहार्द स्थापित हो सकता है।

इस अवसर पर गुप्ता ने बताया कि क्षमावाणी पर्व व्यक्तिगत आत्मशुद्धि के साथ-साथ सामाजिक उत्थान का भी प्रतीक है। उन्होंने सभी नागरिकों से अहिंसा, आत्मसंयम और करुणा के आदर्शों को अपनाने का आह्वान किया।

कार्यक्रम में पूज्य श्रमणी आर्यिका रत्न 105 श्री पूर्णमति माताजी अपने संघ सहित पधारीं। श्रद्धालुओं ने पूज्य संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज तथा आचार्य श्री समयसागर जी महाराज के उपदेशों से आध्यात्मिक प्रेरणा प्राप्त की।

इस अवसर पर “विद्याधर से विद्यासागर” प्रदर्शनी का उद्घाटन भी किया गया, जिसमें आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज के तप, साहित्य एवं समाज विकास हेतु योगदान की झलक प्रस्तुत की गई।

कार्यक्रम का समापन शांति, एकता और समाज की आध्यात्मिक उन्नति की सामूहिक प्रार्थना के साथ हुआ।

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