साइबर फ्रॉड को लेकर पुलिस लगातार लोगों को अलर्ट करती रही है। विशेषकर डिजिटल अरेस्ट के नाम पर आप ठगी का शिकार ना बन जाए। सरकार ने आपके मोबाइल पर एक रिंग भी सक्रिय करी थी। सतर्क रहने का संदेश सुना जाता था। आप डिजिटल अरेस्ट के नाम पर ठगी का शिकार न बन जाए। डिजिटल अरेस्ट कभी नहीं किया जाता है। साइबर फ्रॉड करने वालों के लिए डिजिटल अरेस्ट एक हथियार है। लेकिन शातिर साइबर ठग ठगी करने का कोई ना कोई नया तरीक़ा ढूँढ निकाल लेते हैं। इस बार शातिर ठगों द्वारा डिजिटल अरेस्ट करने ठगी का नया तरीक़ा ढूंढ निकाला है। डिजिटल अरेस्ट के नाम पर आपकी सारी व्यक्तिगत बैंक खातों की डिटेल लेकर पर्सनल लोन खाते ले लेते फिर उस लोन के पैसे को शातिर ठग अपने खातों में ट्रांसफर कर लेते थे। इसके लिए ठगों ने शेल कंपनियां बना फ़र्ज़ी खाते खोले जाते थे। इन फ़र्ज़ी खाते खोलने के बदले में मोटी रक़म दी जाती थी। सैंट्रल जिला पुलिस की साइबर सेल के द्वारा एक ऐसे डिजिटल अरेस्ट के नाम पर ठगी करने वाले गिरोह का भंडाफोड़ किया है। जो देश में सैकड़ों लोगों को डिजिटल अरेस्ट के नाम पर ठगी का शिकार बना चुके हैं। पुलिस ने इस मामले में पाँच आरोपियों को गिरफ़्तार किया है। पकड़े गए आरोपियों का नाम लोकेश गुप्ता मुकुंदपुर का रहने वाला है। मनोज कुमार चौधरी हापुड़ उत्तर प्रदेश का रहने वाला है। मोहित जैन ग्रेटर नोएडा का रहने वाला है। केशव कुमार गौतम बुद्ध नगर का रहने वाला है। पांचवां आरोपी सैफ़ अली शाहदरा का रहने वाला है। पुलिस के अनुसार एक महिला शिकायतकर्ता से साइबर ठगों ने ख़ुद को NCB अधिकारी बताया और बाद में खुद को पुलिस उपायुक्त बताया। महिला को धमकाया कि उसके आधार कार्ड का इस्तेमाल आपराधिक गतिविधियों में किया गया है और उसे कानूनी कार्रवाई की धमकी दी।उसे एक स्काइप आईडी NCB विभाग से जुड़ने के लिए कहा गया, जहाँ धोखेबाजों ने धोखाधड़ी को असली दिखाने के लिए नकली NCB पहचान पत्र और पत्र दिखाए। दबाव में, उसे बैंक विवरण, डेबिट कार्ड की तस्वीरें, ओटीपी साझा करने और अंततः अपना पैसा “सुरक्षित खातों” में स्थानांतरित करने के लिए प्रेरित किया गया। पीड़िता ने पहले अपने आईसीआईसीआई खाते से ₹89,286 किसी अन्य बचत खाते में स्थानांतरित किए और बाद में ₹19,92,921 (उसकी जानकारी के बिना उसके आईसीआईसीआई बैंक खाते में जमा किया गया एक व्यक्तिगत ऋण) की राशि, जिसे उसे मेसर्स लोकेज इनोवेशन प्राइवेट लिमिटेड के नाम से पीएनबी बैंक खाते में स्थानांतरित करने के लिए प्रेरित किया गया था। साइबर सेल मध्य जिला में मामला दर्ज किया गया टीम ने दिल्ली, हापुड़ और ग्रेटर नोएडा में कई ऑपरेशन किए। तकनीकी निगरानी, सीडीआर/आईपीडीआर विश्लेषण और ग्राउंड इंटेलिजेंस की मदद से एक संदिग्ध/आरोपी लोकेश गुप्ता की पहचान हुई, जिसे 23 सितम्बर को दिल्ली के बुराड़ी मुकुंदपुर जनता विहार से गिरफ्तार किया गया। उसने खुलासा किया कि दो फर्जी फर्म लोकेज इनोवेशन प्राइवेट लिमिटेड और अजलोके सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड दुकान संख्या 01, सुखशांत कॉम्प्लेक्स, मंगल पांडे नगर, मेरठ, उत्तर प्रदेश खोली गईं और उसे और अजय कुमार को दोनों फर्मों का निदेशक बनाया गया और लोकेश गुप्ता को काम के लिए और उन दोनों कंपनियों के नाम पर बैंक खाते खुलवाने के लिए 1.5 लाख रुपये मिले। आरोपी लोकेश गुप्ता ने आगे खुलासा किया कि उसने बैंक खातों के सभी दस्तावेज दीपक गोयल नाम के व्यक्ति को दे दिए हैं और मनोज चौधरी दीपक गोयल का पार्टनर है। लोकेश गुप्ता की निशानदेही पर आरोपी मनोज चौधरी को 25 सितम्बर को (हापुड़, उत्तर प्रदेश) से गिरफ्तार किया गया और मनोज चौधरी की निशानदेही पर आरोपी मोहित जैन उर्फ रिंकू और केशव कुमार को भी 26 सितम्बर को गौरसिटी मॉल, ग्रेटर नोएडा, उत्तर प्रदेश से गिरफ्तार किया गया और उनके पास से भारी मात्रा में आपत्तिजनक सामग्री बरामद की गई। इसके बाद, मोहित जैन की निशानदेही पर एक और आरोपी सैफ अली को शाहदरा, दिल्ली से गिरफ्तार किया गया। वह मोहित जैन उर्फ रिंकू और केशव कुमार के लिए फर्जी फर्म और बैंक खाते खोलने के लिए लोगों की व्यवस्था करता था, जिसके लिए उसे ₹7 लाख मिलते थे। कड़ी पूछताछ के दौरान, आरोपियों ने खुलासा किया कि वे एक अखिल भारतीय संगठित धोखाधड़ी गिरोह का हिस्सा थे। यह गिरोह लोगों को फर्जी फर्म खोलने के लिए व्यवस्थित रूप से गुमराह करता था और फर्जी फर्मों के नाम से बैंक खाते खोलता था। आरोपी मोहित जैन ने खुलासा किया है कि वह इन बैंक खातों में प्राप्त ठगी की राशि का 2% से 3% प्राप्त करता था और आगे खाताधारकों को पैसे मुहैया कराता था। बताया जाता है बरामद चेकबुक से जुड़े बैंक खाते, राष्ट्रीय साइबर अपराध पोर्टल के आंकड़ों के अनुसार, देश भर में 473 शिकायतें है। जिनमें 2025 में दिल्ली के 24 मामले शामिल हैं। आइए देखते हैं टोटल ख़बरें के वरिष्ठ संवाददाता राजेश खन्ना कि इस विशेष रिपोर्ट में
पुलिस ने आरोपियों के क़ब्ज़े से 14 एंड्रॉइड मोबाइल फोन, 40 चेक बुक , 33 सिम कार्ड, 15 स्टाम्प , 22 स्टाम्प पेपर ,1 डेबिट/क्रेडिट कार्ड स्वैपिंग मशीन ,1 आईडीएफसी फर्स्ट बैंक स्कैनर,14 पैन कार्ड ,19 डेबिट कार्ड ,7 डिजिटल हस्ताक्षर,1 इंटरनेट बैंकिंग कुंजी ,1 एक लग्ज़री कार बरामद करी है। पुलिस मामले की जाँच में जुट गई है। टोटल ख़बरें दिल्ली से राजेश खन्ना की विशेष रिपोर्ट।