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रहीस भारती केवल एक नाम नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक आंदोलन हैं। वे भारत और विशेष रूप से राजस्थान की समृद्ध लोक परंपराओं, संगीत, नृत्य और जीवन-दर्शन को विश्वपटल पर पहुँचाने वाले अग्रदूत हैं। पिछले 25 वर्षों में 119 देशों में प्रस्तुतियाँ देकर उन्होंने न केवल भारतीय संस्कृति की गरिमा बढ़ाई है, बल्कि सांस्कृतिक कूटनीति का एक नया मार्ग प्रशस्त किया है। लोक से विश्व तक’ एक सांस्कृतिक अभियान रहीस भारती का कार्य केवल मंचीय प्रदर्शन नहीं, बल्कि भारत की आत्मा को जीवंत रूप में विश्व के समक्ष प्रस्तुत करना है। उन्होंने राजस्थानी लोकधारा, सूफ़ी संगीत, भक्ति गीत और पारंपरिक नृत्यों को ऐसे प्रस्तुत किया कि वे केवल मनोरंजन नहीं रहे, बल्कि साधना और सेवा बन गए। वे “Vocal for Local” की भावना को वैश्विक पहचान दिलाने वाले अग्रणी कलाकारों में शामिल हैं। रहीस भारती: भारत और राजस्थान की लोक आत्मा के सच्चे वैश्विक प्रचारक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की प्रस्तुति ओलंपिक खेल – एथेंस, 2004 क्वीन एलिज़ाबेथ द्वितीय की डायमंड जुबिली लंदन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वागत समारोह पेरिस (2015 व 2023) डिज़नीलैंड पेरिस 4 महीने की रेज़िडेंसी, 50 लाख दर्शकों के समक्ष WOMAD फेस्टिवल यूके, फ़ॉर्मूला 1 सिंगापुर कोलोन फ़िलहारमोनिक हॉल जर्मनी अमेरिका, कनाडा, जापान और पूरे यूरोप में सैकड़ों प्रस्तुतियाँ राजस्थानी लोक परंपरा का नवजागरण 700 ग्रामीण लोक कलाकारों को अंतरराष्ट्रीय मंच दिलाकर उन्होंने न केवल रोज़गार, बल्कि सांस्कृतिक आत्म-सम्मान प्रदान किया। मंगणियार, लंगा, कालबेलिया, नट, डाड़ी, कलवत आदि समुदायों को वैश्विक पहचान दिलाई। उनके नेतृत्व में बना समूह धोद राजस्थान का पारंपरिक संगीत एवं नृत्य समूह आज विश्वभर में राजस्थान की सांस्कृतिक राजदूत संस्था के रूप में प्रतिष्ठित है।
वसुधैव कुटुम्बकम का सजीव प्रतीक
रहीस भारती, एक मुस्लिम कलाकार होते हुए भी, राम, मीरा, गणपति और संत रामदेव जी के भजनों की प्रस्तुति करते हैं यह भारत की धार्मिक सहिष्णुता और साझा सांस्कृतिक विरासत का अनुपम उदाहरण है। वे आज के समय में सर्वधर्म समभाव और सांस्कृतिक एकता के जीवंत प्रतीक बन चुके हैं। देखिए दिल्ली मिरर न्यूज़ कि यह रिपोर्ट

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