- डीजेबी उपाध्यक्ष ने मोलरबंद सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता बढ़ाने के दिए निर्देश, 1 एमजीडी होगी क्षमता
- गौतमपुरी क्षेत्र के अन्य इलाकों और एम्स आयुर्वेद को मोलरबंद सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट से जोड़ा जाएगा, सीवर नेटवर्क का होगा विस्तार : सोमनाथ भारती
- मोलरबंद सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के शोधित पानी का गैर पीने योग्य कार्यों में इस्तेमाल करने के लिए प्लांट में फिलिंग स्टेशन बनाने का निर्देश, पीने के पानी की होगी बचत : सोमनाथ भारती
- स्लज से बनाई जाएगी ब्रिक्स, प्लांट में बंद पड़ी ब्रिक्स मशीन होगी चालू ,स्लज ब्रिक्स का किसानों को मुफ्त में होगा वितरण : सोमनाथ भारती
दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष सोमनाथ भारती ने शनिवार को बदरपुर क्षेत्र स्थित मोलरबंद वेस्ट वाटर(सीवरेज) ट्रीटमेंट प्लांट का निरीक्षण किया। इस दौरान डीजेबी उपाध्यक्ष ने प्लांट के संचालन का निरीक्षण किया और अधिकारियों से इस प्लांट में सीवर के पानी को शोधित करने के लिए इस्तेमाल की जा रही तकनीक की जानकारी ली। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि मोलरबंद प्लांट की क्षमता बढ़ाकर 1 एमजीडी की जाए। साथ ही प्लांट के शोधित पानी की गुणवत्ता का स्तर 10/10 किया जाए और आस पास के क्षेत्रों के सीवर नेटवर्क को इस प्लांट से जोड़ा जाए।उन्होंने बताया कि अधिकारियों से कहा गया है कि इस प्लांट के शोधित पानी का गैर पीने योग्य कार्यों में इस्तेमाल करने के लिए मोलरबंद प्लांट में फिलिंग स्टेशन का निर्माण किया जाए। इसके अलावा उन्होंने स्लज से ब्रिक्स बनाने वाली मशीन को चालू करने का निर्देश देते हुए कहा कि दिल्ली जल बोर्ड द्वारा आस पास के किसानों को खेती में इस्तेमाल करने के लिए स्लज ब्रिक्स का मुफ्त वितरण किया जाएगा। निरीक्षण के दौरान दिल्ली जल बोर्ड के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे।
यमुना की सफाई और पेयजल के लिए डीजेबी का “10/10 प्लान”
मोलरबंद सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का निरीक्षण करने के बाद दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष सोमनाथ भारती ने कहा कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में दिल्ली के सीवर के पानी को ट्रीट करने के लिए दिल्ली में 35 एसटीपी काम कर रहे हैं। इन प्लांट्स में प्रतिदिन 547 एमजीडी सीवेज को ट्रीट किया जा रहा है। दिल्ली जल बोर्ड यमुना को साफ करने के लिए सभी एसटीपी के शोधित पानी मानक 10/10 तक पहुंचाने का प्रयास कर रहा है। सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के 10 / 10 मानक के शोधित पानी का इस्तेमाल सबसे पहले गैर पीने योग्य कार्यों जैसे निर्माण कार्य, उद्योगों , पार्कों की सिंचाई, सड़कों की सफाई और कृषि में इस्तेमाल की कोशिश की जा रही है। ऐसा करने से पीने के पानी की काफी बचत की जा सकती है। सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के शोधित पानी का दूसरा उपयोग करते हुए दिल्ली को झीलों का शहर बनाने के लिए इस पानी से आर्टिफिशियल झीलों का निर्माण कर ग्राउंड वाटर को रिचार्ज किया जाए। दिल्ली सरकार की योजना है कि इस पानी से ग्राउंड वाटर को रिचार्ज करने के बाद ट्यूबवेल लगाकर पानी को वापिस निकाला जाए, फिर आर ओ प्लांट लगाकर इस पानी को ट्रीट कर सिस्टम में वापिस लाकर पीने का पानी उपलब्ध कराना है।
मोलरबंद प्लांट की क्षमता बढ़कर होगी 1 एमजीडी
इसी के मद्देनजर दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष सोमनाथ भारती ने आज मोलरबंद सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का दौरा किया। इस सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता 0.6 एमजीडी है। दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष ने अधिकारियों को इस प्लांट की क्षमता बढ़ाकर 1 एमजीडी करने के निर्देश दिए गए। उन्होंने बताया कि मोलरबंद सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के शोधित पानी की गुणवत्ता को 10 / 10 करने के प्रयास किए जा रहे है। यह प्लांट 30/50 स्टैंडर्ड के मुताबिक डिजाइन किया गया है लेकिन बेहतर संचालन और प्रबंधन के चलते इसके शोधित पानी की गुणवत्ता का स्तर 11/22 का है। इस प्लांट की गुणवत्ता को बेहतर बनाने की यहां काफी संभावनाएं है। अधिकारियों से कहा गया है कि गौतमपुरी क्षेत्र के अन्य इलाकों में सीवर लाइन बिछाकर मोलरबंद सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता में बढ़ोतरी की जाए। इसके अलावा अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि निकटवर्ती एम्स आयुर्वेदा को इस प्लांट से जोड़ कर उसका सीवर भी यही शोधित किया जाए।
मोलरबंद प्लांट में बनेगा फिलिंग स्टेशन
प्लांट के निरीक्षण के दौरान दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष द्वारा अधिकारियों से कहा गया कि यहां पर एक नए फिलिंग स्टेशन का निर्माण किया जाए। ताकि प्लांट के शोधित पानी का इस्तेमाल गैर पीने योग्य कार्यों में किया जा सके। इससे पीने के पानी की काफी बचत की जा सकती है।
स्लज ब्रिक्स बनाने वाली मशीन होगी चालू, किसानों को मुफ्त वितरण
उन्होंने कहा कि सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट से निकलने वाला स्लज खेती के लिए काफी फायदेमंद होता है। यहां स्लज बनाने वाली एक मशीन बंद पड़ी है।अधिकारियों से कहा गया है कि इस मशीन को चालू किया जाए और स्लज से ब्रिक्स का निर्माण किया जाए। स्लज ब्रिक्स आस पास के किसानों को दिल्ली जल बोर्ड द्वारा मुफ्त उपलब्ध कराई जाएगी।