कंगना रनौत बॉलीवुड की ऐसी एक्ट्रेस हैं जिन्हें अपने दम पर फिल्में चलाने के लिए पहचाना जाता है. अगर कंटेंट शानदार हो तो कंगना रनौत का कोई सानी नहीं. एक्टिंग में अव्वल और किरदार को परदे पर जिंदा करने के लिए पहचानी जाती हैं. लेकिन पिछले कुछ समय से वह अपना जादुई स्पर्श खो बैठी हैं. बैक टू बैक उनकी फिल्में फ्लॉप हो रही हैं. किरदारों से भी वह इंसाफ नहीं कर पा रही हैं. हाल ही में वह साउथ की फिल्म चंद्रमुखी 2 में नजर आईं और फिल्म बॉक्स ऑफिस पर पस्त हो गई. अब उनकी तेजस रिलीज हुई है. जानें कैसी है फिल्म, पढ़ें मूवी रिव्यू

तेजस की कहानी तेजस गिल की है. जो वायु सेना में पायलट है और अति उत्साही भी है. वह देश के लिए कुछ करना चाहती है और उसके लिए किसी चीज की परवाह भी नहीं करती है. तेजस पायलट बनती है और वह देश की खातिर मुश्किल से मुश्किल मिशन पर जाती है. फिल्म में इन्हीं मिशन की कहानी को दिखाया गया है और तेजस की बहादुरी को भी. लेकिन यहां गड़बड़ भी हो जाती है. पूरी फिल्म में एक हड़बड़ाहट नजर आती है और वो है कंगना रनौत को देश की खातिर मिशन पर भेजने की. इस तरह फिल्म कहानी के मोर्चे पर बेहद कमजोर है. देशभक्ति के जज्बे पर शानदार है. तेजस जैसी फिल्म बनाने के लिए जिस तरह का पैनापन कहानी में चाहिए था, वो मिसिंग है. इस तरह फिल्म की अवधि कम होने के बावजूद कहानी बांधकर नहीं रखती है और दर्शकों के साथ कनेक्शन नहीं बना पाती है.

तेजस का डायरेक्शन सर्वेश मेवाड़ा ने किया है. उन्होंने कहानी का विषय अच्छा चुना. एक्ट्रेस भी शानदार चुनीं. लेकिन वह ना तो कहानी में गहराई ला पाए, ना ही एक्ट्रेस के फुल पोटेंशियल का इस्तेमाल कर पाए और फिर टेक्नोलॉजी का दामन भी उस तरह से नहीं थाम पाए जो उनकी नैया पार लगा पाता. इस कमजोर डायरेक्शन फिल्म के पूरे जायके को बेमजा कर देता है. ऐसे में देशभक्ति का जज्बा और टॉप एक्ट्रेस का साथ होने पर भी डायरेक्टर कुछ भी आउट ऑफ द बॉक्स करने में नाकाम रहते हैं.

फिल्म ‘तेजस’ की एक और खामी है, इसके स्पेशल इफेक्ट्स। अपने पहले ही दृश्य में ये फिल्म स्पेशल इफेक्ट्स का सहारा लेती है और इसी के साथ ही एक ऐसा मूड दर्शकों का स्थापित कर देती है जिसमें आगे जो भी हवाई करतब कलाकार दिखाते हैं, उन्हें देखकर उनका रोमांच बढ़ता नहीं है। अयोध्या में बन रहे राम मंदिर का शुभारंभ होने से पहले ही उसमें खून खराबा दिखाने का भी असर अच्छा नहीं रहा। फिल्म की सिनेमैटोग्राफी साधारण है। हरि के वेदांतम के पास मौका था कि इस फिल्म की शूटिंग के दौरान वह अपने फ्रेम्स और शॉट टेकिंग में कुछ प्रयोग कर सकते थे, लेकिन पूरी फिल्म एक सेट पैटर्न में ही उन्होंने शूट की है। फिल्म की कहानी में चूंकि क्षेपक कथाएं हैं ही नहीं, इसलिए आरिफ शेख को भी फिल्म की एडिटिंग में कोई खास मेहनत करनी नहीं पड़ी होगी। उन्हें बस वर्तमान और अतीत के बीच साम्य बनाना था, जो उन्होने बना दिया है। फिल्म के पंजाबी गाने फिल्म को इसके मूल लक्ष्य से विचलित करते हैं। देखने वाली बात ये है कि जो किरदार इसमें अच्छी हिंदी बोल रहे हैं, वे गाने पंजाबी में गाते हैं और तेजस गिल के पिता जो खांटी सरदार नजर आते हैं, वह जब गाते हैं तो एक कमाल का हिंदी गाना गाते हैं। यही गाना फिल्म का सर्वश्रेष्ठ गाना है और फिल्म देखने के बाद याद भी रह जाता है।

अगर फिल्म की रेटिंग की बात करें तो हम इसे 5 में से 3 स्टार देंगे। ब्यूरो रिपोर्ट एंटरटेनमेंट डेस्क टोटल खबरे मुंबई,दिल्ली