कांग्रेस बोली- नेशनल हेराल्ड मामले में राजनीतिक प्रतिशोध के तहत हुई ईडी की कार्रवाई 

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*मोदी सरकार विपक्षी नेताओं को डराने और जनता के मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए कर रही ईडी का दुरुपयोग

*जब कोई पैसा या संपत्ति स्थानांतरित नहीं हुई है, तो मनी लॉन्ड्रिंग कैसे हुई

कांग्रेस पार्टी ने नेशनल हेराल्ड मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की कार्रवाई को राजनीतिक प्रतिशोध करार दिया और कहा कि मोदी सरकार विपक्षी नेताओं को डराने व जनता के मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए ईडी का दुरुपयोग कर रही है। ईडी की इस गलत कार्रवाई के विरोध में कांग्रेस ने बुधवार को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन भी आयोजित किए, जिनमें लाखों लोगों ने भाग लेकर अपना समर्थन दिया। 

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन ने कहा कि नेशनल हेराल्ड अखबार पंडित नेहरू जी ने आजादी से पूर्व शुरू किया था, जो आजादी के बाद से आर्थिक तंगी से जूझ रहा था। कांग्रेस पार्टी ने इसे कर्ज देकर चलाया। उन्होंने पूछा कि इसमें भ्रष्टाचार कहां है। उन्होंने कहा, अब मोदी सरकार का कहना है कि कर्ज लेकर इसे चलाना गलत है। सच्चाई ये है कि भाजपा सिर्फ विपक्ष को डराना चाहती है, वो कानून के खिलाफ जाकर काम कर रही है। 

नई दिल्ली स्थित कांग्रेस कार्यालय में पत्रकार वार्ता करते हुए कांग्रेस संचार विभाग के प्रभारी महासचिव जयराम रमेश और राज्यसभा सांसद डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी में ईडी की कार्रवाई को कानून का मजाक बताते हुए इसे पूरी तरह तथ्यहीन करार दिया।

जयराम रमेश ने कहा कि पिछले दो दिन से प्रतिशोध, उत्पीड़न और धमकी देने की राजनीति जारी है। कांग्रेस नेतृत्व खासतौर पर कांग्रेस संसदीय दल की चेयरपर्सन सोनिया गांधी जी और नेता विपक्ष राहुल गांधी को जानबूझकर निशाना बनाया गया। जनता के मुद्दों, विदेश नीति और आर्थिक संकट से ध्यान हटाने के लिए ये प्रयास किया जा रहा है। 

वहीं डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि इस मामले में बिना किसी पैसे के लेनदेन के मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाया जा रहा है। उन्होंने नेशनल हेराल्ड मामले की पृष्ठभूमि बताते हुए कहा कि नेशनल हेराल्ड अखबार को प्रकाशित करने वाली एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) को कांग्रेस ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान स्थापित किया था। आर्थिक संकट के कारण अलग-अलग समय में कांग्रेस ने इस कंपनी को ऋण दिया। कई दशकों में यह राशि बढ़कर कुल 90 करोड़ रुपये हो गई। एजेएल के पुनर्गठन के लिए तय हुआ कि इसे ऋण-मुक्त बनाया जाए। इसके लिए यंग इंडिया नामक एक गैर-लाभकारी कंपनी बनाई गई और एजेएल के 90 करोड़ रुपये के ऋण को यंग इंडिया को स्थानांतरित कर दिया गया। एजेएल और नेशनल हेराल्ड को मजबूत करने के लिए इस ऋण को हिस्सेदारी में बदला गया।

सिंघवी ने आगे बताया कि इस कंपनी से गैर-लाभकारी कंपनी कितना भी लाभ कमाए, लेकिन एक भी पैसा लाभांश दिया नहीं जा सकता। ये सीधे तौर पर सेक्शन-आठ के तहत प्रतिबंधित है। इसके तहत कोई वेतन, कोई अन्य सुविधाएं भी नहीं दी जा सकतीं। उन्होंने बताया कि यंग इंडिया कंपनी ने न ही कोई संपत्ति खरीदी और न ही बेची। एजेएल की सारी संपत्तियों का मालिकाना हक अब भी उसके पास ही है; अंतर केवल इतना है कि अब एजेएल की 90-99 प्रतिशत शेयर होल्डिंग यंग इंडिया के पास है। यंग इंडिया में कुछ निदेशक हैं, जिन्हें कोई लाभांश भी नहीं मिलता। उन्होंने पूछा कि जब कोई पैसा या संपत्ति स्थानांतरित नहीं हुई है, तो मनी लॉन्ड्रिंग कैसे हुई।

उन्होंने कहा कि सरकार ने ईडी को अपना इलेक्शन डिपार्टमेंट बना रखा है, और राजनीतिक प्रतिशोध के लिए उसका बार-बार दुरुपयोग किया जा रहा है। ईडी के मामलों में सजा की दर एक प्रतिशत है। ईडी ने जो मामले दर्ज किए हैं, उनमें से 98 प्रतिशत सत्तारूढ़ दल के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ हैं।

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