नए फीस शुल्क विनियमन विधेयक के मूल में पारदर्शिता, जवाबदेही और निष्पक्षता: शिक्षा मंत्री

Listen to this article

*मनमानी शुल्क वृद्धि के मामलों में शिक्षा निदेशक को एक अभिभावक की शिकायत पर भी कार्रवाई करने का अधिकार होगा: आशीष सूद।

*सरकार शिक्षा प्रणाली के हर हितधारक के अधिकारों और उनसे सम्बंधित मामलों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है: आशीष सूद।

*यह विधेयक निजी स्कूलों की फीस मनमानी के संबंध में लंबे समय से लंबित पारदर्शिता और समानता लाने के लिए बनाया गया है- शिक्षा मंत्री।
दिल्ली के शिक्षा मंत्री, आशीष सूद ने आज दिल्ली विधानसभा में दिल्ली स्कूल शिक्षा (शुल्क के निर्धारण और विनियमन में पारदर्शिता) विधेयक, 2025 के संबंध में अभिभावकों के एक समूह के साथ चर्चा की। मंत्री ने धैर्यपूर्वक उनके विचारों को सुना और उनको आश्वस्त किया कि उक्त विधेयक सभी गैर-सहायता प्राप्त निजी स्कूलों में शुल्क विनियमन के लिए एक पारदर्शी, निष्पक्ष और जवाबदेह ढांचा स्थापित करने के उद्देश्य से एक ऐतिहासिक बिल है।

शिक्षा मंत्री ने कहा कि कुछ लोग उक्त विधेयक के बारे में कई तरह के भरम फैला रहे हैं। मंत्री महोदय ने स्पष्ट किया कि यह बिल सरकारी की शक्ति को कमजोर नहीं करता है, जैसा कि बताया जा रहा है। इसके विपरीत, यह विधेयक दिल्ली स्कूल शिक्षा अधिनियम, 1973 और उसके तहत बनाए गए नियमों के तहत मौजूदा कानूनी ढांचे को सुदृढ़ और मजबूत बनाता है। यह मौजूदा कानून को न तो बदल रहा है और न ही उससे अलग है, बल्कियह तो छात्रों और अभिभावकों के हित में अधिक मजबूत है।

आशीष सूद ने इस बात पर जोर दिया कि पहली बार, मनमानी शुल्क वृद्धि के मामलों में शिक्षा विभाग को किसी अभिभावक की एक शिकायत पर भी कार्रवाई करने का अधिकार होगा। विधेयक में एक बहु-स्तरीय शिकायत निवारण तंत्र बनाया गया है, जिसमें और अधिक शक्तियाँ शामिल हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि स्कूल का शुल्क उचित, न्यायोचित और गहन जांच के अधीन हैं। किसी भी अभिभावक को निहित स्वार्थों या गलत सूचना से गुमराह या प्रभावित नहीं होना चाहिए।

शिक्षा मंत्री ने अभिभावकों को विधेयक के प्रमुख प्रावधानों के बारे में भी बताया:

  • यह विधेयक दिल्ली के सभी निजी गैर-सहायता प्राप्त मान्यता प्राप्त स्कूलों पर लागू होगा।
  • प्रत्येक स्कूल को तीन साल का प्रस्तावित शुल्क ढांचा अग्रिम में जमा करना होगा, जिसमें बदलाव केवल तीन साल में एक बार ही किया जा सकेगा।
  • स्कूल, जिला और राज्य स्तर पर एक त्रि-स्तरीय नियामक और अपील प्रणाली स्थापित की जाएगी।
  • शुल्क निर्धारण के मानदंडों में बुनियादी ढांचा, स्टाफ वेतन और वार्षिक वृद्धि शामिल होगी, लेकिन मुनाफाखोरी पर सख्त प्रतिबंध होगा।
  • स्कूलों को सार्वजनिक रूप से वित्तीय रिकॉर्ड और प्रस्तावित शुल्क का खुलासा करना होगा।
  • अनधिकृत शुल्क वृद्धि के लिए, जुर्माना ₹1 लाख से ₹10 लाख तक होगा; बार-बार उल्लंघन करने पर दोगुना या तिगुना जुर्माना लगेगा।
  • यदि शुल्क संबंधी मुद्दों के कारण किसी छात्र को परेशान किया जाता है, अपमानित किया जाता है या निकाला जाता है, तो प्रति छात्र ₹50,000 का जुर्माना लगाया जाएगा।
  • बार-बार उल्लंघन के मामले में, स्कूल की मान्यता रद्द की जा सकती है, या सरकार उसके संचालन को अपने हाथ में ले सकती है।
  • शुल्क विवाद के दौरान, स्कूल केवल पिछले वर्ष के अनुसार शुल्क ले सकता है।

शिक्षा मंत्री ने आगे कहा कि सरकार शिक्षा प्रणाली के हर हितधारक के अधिकारों और उसके सम्बंधित मामलों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। यह विधेयक निजी स्कूल शुल्क संरचनाओं में लंबे समय से लंबित पारदर्शिता और समानता लाने के लिए बनाया गया है।

मंत्री ने अभिभावकों से विधेयक के लिए समर्थन की अपील की। उन्होंने कहा की आइए हम एक ऐसी शिक्षा प्रणाली के निर्माण के लिए हाथ मिलाएं जो निष्पक्ष, सुलभ और जवाबदेह हो, और माता-पिता, स्कूलों और सरकार के बीच आपसी विश्वास को और मजबूत करे।
आशीष सूद ने आगे कहा कि दिल्ली सरकार सभी के लिए गुणवत्तापूर्ण और सुलभ शिक्षा सुनिश्चित करने की अपनी अटूट प्रतिबद्धता को दोहराती है और प्रस्तावित कानून के सभी पहलुओं पर तथ्यों पर आधारित रचनात्मक बातचीत के लिए आमंत्रित करती है।

Print Friendly, PDF & Email

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *