आज शारदीय नवरात्रि का पहला दिन है. नवरात्रि के नौ दिन मां के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है. आज पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा का विधान है. नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना की जाती है. कलश स्थापना के साथ नौ दिनों तक श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ करना बहुत शुभ माना जाता है. दुर्गा सप्तशती में 13 अध्यायों और 700 श्लोक हैं. इनके माध्यम से मां दुर्गा की आराधना की जाती है.
दुर्गा सप्तशती के 13 अध्यायों में मां दुर्गा के तीन चरित्रों के बारे में बताया गया है जिन्हे प्रथम, मध्यम और उत्तम के नाम से जाना जाता है. दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है. इसके पाठ से माता रानी प्रसन्न होती हैं और व्यक्ति की हर मनोकामना पूरी करती हैं. दुर्गा सप्तशती पाठ करने के भी कुछ खास नियम होते हैं. आइए जानते हैं कि दुर्गा सप्तशती का पाठ करते समय कौन सी सावधानियां बरतनी चाहिए.
दुर्गा सप्तशती का पाठ करते समय रखें ये सावधानियां
- शास्त्रों के अनुसार दुर्गा सप्तशती का पाठ उस व्यक्ति को जरूर करना चाहिए जिसने अपने घर में कलश स्थापिता किया है.
- श्री दुर्गा सप्तशती की पुस्तक हाथ में लेकर नहीं पढ़ना चाहिए. इसके लिए सबसे पहले एक साफ चौकी पर लाल कपड़ा बिछा लें. इस पर दुर्गा सप्तशती पुस्तक रखें और कुमकुम, चावल और फूल से इसकी पूजा करें. इसके बाद ही पाठ का आरंभ करें.
- पाठ शुरू करने से पहले और खत्म करने के बाद हर बार इसके नर्वाण मंत्र ‘ओं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे’ का जाप जरूर करना चाहिए. तभी यह पाठ पूर्ण माना जाता है.
- दुर्गा सप्तशती का पाठ करते समय तन और मन को पूरी तरह साफ रखें. स्नान करने के बाद साफ वस्त्र धारण करें. इसके बाद ही दुर्गा सप्तशती का पाठ शुरू करें.
- दुर्गा सप्तशती का पाठ करते समय हर एक शब्द का सही और स्पष्ट उच्चारण करना जरूरी है. यह पाठ तेज आवाज में नहीं करना चाहिए.