संजय दत्त द्वारा प्रस्तुत और गुजरात में जन्मे, अमेरिका में पले-बढ़े जय पटेल की हॉलीवुड शॉर्ट फिल्म ‘आई एम गोना टेल गॉड एवरीथिंग’ सारी दुनिया मे चर्चा में है। फ़िल्म के सह निर्माता अभिषेक दुधैया हैं जिन्होंने अजय देवगन के साथ फ़िल्म भुज का निर्माण और निर्देशन किया था। दिल दहला देने वाली इस रीयलिस्टिक फ़िल्म की स्पेशल स्क्रीनिंग राजधानी दिल्ली में हुई, जहां चीफ गेस्ट के रूप में मुम्बई के पूर्व पुलिस कमिश्नर और भाजपा सांसद सत्यपाल सिंह उपस्थित रहे। सत्यपाल सिंह के अलावा यहां काफी गेस्ट्स आए जिन्हें निर्माता जय पटेल और अभिषेक दुधैया ने शॉल और ट्रॉफी देकर सम्मानित किया।
यहां उपस्थित मेहमानों में आचार्य शैलेश तिवारी वैदिक तंत्रगुरु, हिज़ एक्सेलेनसी गणबोल्ड डंबजाव, मंगोलिया के राजदूत, महामहिम श्री अल्बर्टो एंटोनियो गुआनी,
एंबेसेडर, उरुग्वे के वाणिज्य दूतावास, विजय भारद्वाज (को-इंचार्ज सोशल मीडिया वेस्टर्न यूपी बीजीपी), महामहिम श्री क्लाउडियो अंसोरेना मोंटेरो,
एम्बेस्डर, कोस्टा रिका गणराज्य के वाणिज्य दूतावास, श्री गिन्नी सी पास्कल, प्रथम सचिव,
कोटे डी आइवर के वाणिज्य दूतावास, सुश्री एनी के नान्दा, प्रथम सचिव, नामीबिया हाईकमीशन, जुंघवा किम, दक्षिण कोरिया के दूतावास, मुकेश कुमार मीणा, आईपीएस विशेष पुलिस आयुक्त दिल्ली, के एम गुप्ता, राज्य संयोजक – सीए सेल, भाजपा दिल्ली, बृजेश कुमार, करमवीर यादव, अश्विनी अग्रवाल संस्थापक और सीईओ
बिगहार्ट्स वेंचर एलएलपी, अनिल रोघा, प्रशांत शर्मा
स्पेशल अफेयर्स के प्रमुख
न्यूज इंडिया 24 × 7 और उदित आर्य सचिव सीएसएस फोरम भारत सरकार का नाम उल्लेखनीय है।
अहिंसा का सन्देश देती यह फिल्म अहिंसा के पुजारी और शांति दूत गांधीजी के जन्मदिन के अवसर पर 2 अक्टूबर को यूट्यूब पर रिलीज होगी। नॉर्वे फिल्म फेस्टिवल में ‘आई एम गोना टेल गॉड एवरीथिंग’ ने सर्वश्रेष्ठ शॉर्ट फिल्म का पुरस्कार जीता है। गोवा में आयोजित 50वें इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया में भी फिल्म की स्पेशल स्क्रीनिंग रखी गई।
19 मिनट की फिल्म ‘आई एम गोना टेल गॉड एवरीथिंग’ के बारे में निर्माता जय पटेल का कहना है कि इस फिल्म की पृष्ठभूमि सीरिया में चल रहा युद्ध है और कहानी का केंद्र यूसुफ नाम का एक बच्चा है। आतंकवादियों ने यूसुफ के पिता और माँ को मार डाला। युसूफ आतंकियों की गोलियों से बच जाता है लेकिन आतंकवादियों ने उस घर में आग लगा दी जिसमें यूसुफ गंभीर रूप से झुलस गया था। हालांकि, उसकी सात साल की बहन सामिया बच जाती है। युसूफ को अमेरिकन चैरिटी अस्पताल ले जाया गया। जहां यूसुफ ने खुलासा किया कि उसके माता-पिता को किसने मारा। इसके साथ ही वह कहता हैं “मैं ऊपरवाले को सब कुछ बता दूंगा… ” और यूसुफ अपनी आखिरी सांस लेता है। फिल्म यहीं खत्म हो जाती है लेकिन सभी को यह सोचने पर मजबूर कर देती है कि अब युद्ध-आतंकवाद खत्म हो जाना चाहिए।फिल्म में युसूफ का रोल अमेरिका में रहने वाले भारतीय मूल के विवान बिसोई ने निभाया है। यूसुफ के पिता अनीस की भूमिका बहुभाषी अभिनेता एस्सम फारिस ने निभाई है। जबकि युसूफ की सात साल की सगी बहन सामिया ने फिल्म में नूर का रोल प्ले किया है. आतंकवादी नेता की भूमिका अर्मेनियाई अमेरिकी अभिनेता रोमन मिचियन ने निभाई है। दिलचस्प बात यह है कि फिल्म की लेखिका कैथरीन किंग ने डॉक्टर एलिसा की भूमिका निभाई, जबकि डॉ मितुल त्रिवेदी की भूमिका निर्माता जय पटेल ने निभाई है।
फ़िल्म के सह निर्माता हरि के. वेदांतम हैं जो इसके डीओपी भी हैं। संजय दत्त ने फ़िल्म को प्रेजेंट किया है।