कंझावला कांड के आरोपी भाजपा नेता हैं, इस कारण उप राज्यपाल और दिल्ली पुलिस आरोपियों को बचाने में जुटी- आतिशी

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आम आदमी पार्टी के विधायक दल ने आज पुलिस आयुक्त से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा है। मामले में आरोपियों को बचाने वाले डीसीपी समेत पुलिस अधिकारियों को बर्खास्त करने की मांग की है। आम आदमी पार्टी ने कहा है कि इस घटना के आरोपी भाजपा से जुड़े हैं। दिल्ली पुलिस भाजपा के दवाब में आए बिना आरोपियों पर सख्त से सख्त कार्रवाई करे। इस मामले को रेयर ऑफ रेयरेस्ट मानते हुए आरोपियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए। आम आदमी पार्टी की वरिष्ठ नेता आतिशी ने कहा कि कंझावला कांड आरोपी के भाजपा नेता होने की वजह से उप राज्यपाल और दिल्ली पुलिस उसे बचाने में जुटे हैं। एलजी के पास सीएम अरविंद केजरीवाल के काम रोकने के लिए 24 घंटे हैं लेकिन दिल्ली की महिलाओं को सुरक्षा देने के लिए दिन में एक मिनट भी नहीं हैं। दिल्ली के लोगों को चिंता है कि उनके घर की महिलाएं-बेटियां अपने घरों से बाहर कैसे निकलें। इस प्रकार की हिंसा किसी भी महिला के साथ हो सकती है। ऐसा दरिंदगी भरा अपराध होता है तो लगता है कि पूरा पुलिस विभाग ऊपर से नीचे तक आरोपियों को बचाने में लगा हुआ है। आरोपियों के साथ-साथ मामले को कमजोर करने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ भी कड़ा एक्शन लिया जाए, ताकि आगे पुलिस वालों में भी डर रहे कि अगर वह कानून व्यवस्था कायम नहीं रखेंगे तो उनके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई होगी। पुलिस कमिश्नर ने कहा है कि अपनी जांच के बाद दोषी पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई करेंगे। उम्मीद है कि उनके यह खोखले शब्द नहीं हैं। आम आदमी पार्टी के विधायक सौरभ भारद्वाज ने कहा कि पुलिस बड़ी बात छुपाते हुए बयान दे रही है कि इस घटना से जुड़ी हुई पहली कॉल 3:22 पर आई थी। उसके भाई ने हादसे की पीसीआर कंप्लेन 112 नंबर पर रात को 2:18 पर की है। पुलिस कमिश्नर को पूछा कि क्या यह सही है कि पहली पीसीआर कॉल आप जो बता रहे थे, उससे भी 1 घंटे पहले की है तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। पुलिस आयुक्त दिल्ली के लोगों को बताएं कि किन दोषी पुलिस अधिकारियों को बर्खास्त करेंगे और किन लापरवाह पुलिस अधिकारियों को सस्पेंड करेंगे। उन्होंने कहा कि केजरीवाल सरकार की तरफ से इस परिवार की हर संभव मदद की जाएगी। बच्ची की मां के इलाज से लेकर आर्थिक मदद दी जाएगी। सीएम ने प्रॉसीक्यूशन विभाग को कह दिया है कि दिल्ली का सबसे बढ़िया क्रिमिनल लॉयर उस लड़की को दिया जाएगा, ताकि पुलिस की अगर कुछ कमियां भी हों तो उनसे भी पार पा सकें। पुलिस अधिकारियों ने मृतक बच्ची की एफआईआर को कमजोर किया है। उससे जुड़ी एफआईआर को 15 घंटे तक डिले किया और पोस्टमार्टम को 36 घंटे तक लेट किया। इससे साफ है कि लोकल पुलिस मामले को दबाने का हर संभव प्रयास कर रही थी। एफआईआर को कमजोर कर रही थी और आरोपियों की वकालत कर रही थी। इस दौरान आम आदमी पार्टी के विधायक सोमनाथ भारती, कुलदीप कुमार, प्रमिला टोकस, संजीव झा, दिनेश मोहनिया, अब्दुल रहमान सहित अन्य मौजूद रहे।

आम आदमी पार्टी के विधायकों के प्रतिनिधिमंडल ने कंझावला कांड में पुलिस आयुक्त से मुलाकात की। दिल्ली के अलग-अलग क्षेत्रों से आए 12 विधायकों ने पुलिस आयुक्त को ज्ञापन सौंपा। आम आदमी पार्टी की वरिष्ठ नेता और विधायक आतिशी ने इस संबंध में कहा कि दिल्ली के लोगों की मांगे रखने के लिए हम गए थे। दिल्ली के लोगों को चिंता है कि उनके घर की महिलाएं-बेटियां अपने घरों से बाहर कैसे निकलें, जब इस प्रकार की हिंसा किसी भी महिला के साथ हो सकती है। जब ऐसा दरिंदगी भरा अपराध होता है तो लगता है कि पूरा पुलिस विभाग ऊपर से नीचे तक आरोपियों को बचाने में लगा हुआ है। भले वह पुलिस अधिकारी हो, जिसकी लापरवाही से 12 किलोमीटर तक बेटी घिसटती हुई चली गई लेकिन किसी ने कोई एक्शन नहीं लिया। वह पुलिस अधिकारी हो जिसकी पीसीआर वैन को कॉल किए गए लेकिन उन पर कोई रिस्पांड नहीं किया। वह पुलिस अधिकारी हो जिन्होंने एफआईआर सिर्फ एक आरोपी के खिलाफ दर्ज की। वह पुलिस अधिकारी जिन्होंने कमजोर धाराओं में एफआईआर दर्ज की ताकि आरोपी बच जाएं। इसके अलावा भले वह डीसीपी हो, जिन्होंने आरोपियों का बचाव किया। जिस तरह से मीडिया वालों को धमकाया कि आप बलात्कार और हत्या की बात मत करिए। उनके ट्विट को डिलीट कराया गया। हम चाहते हैं कि आरोपियों की सजा के साथ-साथ पुलिस अधिकारियों के खिलाफ भी कड़ा एक्शन लिया जाए, ताकि आगे पुलिस वालों में भी डर रहे कि अगर वह जनता की नहीं सुनेंगे और शिकायतें दर्ज नहीं करेंगे तो उनके खिलाफ भी सख्त से सख्त कार्रवाई होगी।

विधायक आतिशी ने कहा कि उनकी मांगे सुनने के बाद पुलिस कमिश्नर ने कहा है कि वह अभी अपनी जांच कर रहे हैं। इसमें जो भी पुलिस अधिकारी लापरवाही के दोषी पाए जाएंगे या जिन्होंने अपनी ड्यूटी ठीक से नहीं निभाई है और आरोपियों का जिन्होंने बचाव किया है, उन पर भी कार्रवाई की जाएगी। हम उम्मीद करते हैं कि पुलिस कमिश्नर की यह खोखले शब्द नहीं है। क्योंकि आज यह मुद्दा गरम है। पुलिस अधिकारियों पर भी कार्रवाई की जाए क्योंकि दिल्ली की जनता की यही मांग है।

विधायक सौरभ भारद्वाज ने कहा कि मुझे कल कुछ फोन कॉल आए, जिसमें बताया गया कि अभी तक जो पुलिस बड़ी बात छुपाते हुए बयान दे रही है कि इस घटना से जुड़ी हुई पहली कॉल 3:22 पर आई थी। मुझे किसी ने फोन करके बताया है कि उसके अपने भाई ने इस हादसे की पीसीआर कंप्लेन 112 नंबर पर रात को 2:18 पर की है। उसके 5 मिनट बाद पीसीआर से फोन आया और बताया कि सभी पुलिस चौकियों और पीसीआर पर यह मैसेज फ्लैश कर दिया गया है की ग्रे कलर की गाड़ी लड़की को घसीटती हुई लेकर जा रही है। मैंने पुलिस कमिश्नर को पूछा कि क्या यह सही है कि पहली पीसीआर कॉल आप जो बता रहे थे उससे भी 1 घंटे पहले की है तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। बस इतना कहा कि जितनी भी शिकायतें पीसीआर की आती हैं वह सारा डाटा इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड में उपलब्ध रहता है।

हमने कमिश्नर से पूछा कि आपका डीसीपी जिसने पत्रकारों को फोन करके धमकाया और उनके ट्वीट डिलीट कराए कि आप यह कैसे कह सकते हैं कि कि शायद इस बच्ची के साथ रेप हुआ है या कोशिश हुई है। उस डीसीपी को क्या हक था कि उसने पत्रकारों को धमकाया। इसके अलावा एक पत्रकार को इन्होंने गिरफ्तार किया। उसे थाने के अंदर बंद रखा क्योंकि उसने पुलिस से सवाल किए थे। डीसीपी ने इसपर दुख तो जताया और कहा कि हम इस पर कुछ करेंगे लेकिन क्या करेंगे यह अभी तक नहीं बताया है

उन्होंने कहा कि हमने तीसरा सवाल किया की जो मीडिया की महिला पत्रकार हैं, वह इस खबर की सच्चाई को निकालने थाने पहुंची। उनके साथ पुलिस के लोगों ने बदतमीजी की। उनके साथ धक्का-मुक्की की। वह टीवी पर साफ-साफ तौर पर चला है। पुलिस आयुक्त ने कहा कि हम इस मामले को भी देख रहे हैं। लेकिन उन्होंने कोई ठोस बात नहीं कि वह डीसीपी और पुलिस वालों के पर क्या एक्शन लेंगे। हमें उम्मीद थी कि कोई ठोस बात दिल्ली के लोगों को बताएं कि किन लोगों को बर्खास्त करेंगे और किन लोगों को सस्पेंड करेंगे।

विधायक सौरभ भारद्वाज ने कहा है कि मुख्यमंत्री ने कहा है कि इस परिवार की हर संभव मदद की जाएगी। बच्ची की मां को किडनी की बीमारी है। उनकी भी मदद की जाएगी और आर्थिक मदद भी की जाएगी। इसके अलावा सीएम ने प्रॉसीक्यूशन विभाग को कह दिया है कि दिल्ली का सबसे बढ़िया क्रिमिनल लॉयर उस लड़की को दिया जाएगा, ताकि पुलिस की अगर कुछ कमियां भी हो तो उनसे भी पार पा सकें। लेकिन अगर एक बार एफआईआर को कमजोर कर दिया जाए तो हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक कोई भी ठीक नहीं कर सकता है। यह काम उन पुलिस अधिकारियों ने किया है मृतक बच्ची की एफआईआर को इस तरह से कमजोर किया। उससे जुड़ी एफआईआर को 15 घंटे तक डिले किया। जबकि पोस्टमार्टम को 36 घंटे से ज्यादा देर तक लेट किया। इसका कोई जवाब भी नहीं है कि इतनी लचर एफआईआर क्यों की गई और क्यों पोस्टमार्टम को डिले किया गया। क्यों उस बच्ची की मां से बॉड़ी की शिनाख्त नहीं कराई गई। क्यों बच्ची के परिवार को अंधेरे में रखा गया। इससे एक इंडिकेशन साफ है कि लोकल पुलिस मामले को दबाने का हर संभव प्रयास कर रही थी। एफआईआर को कमजोर कर रही थी और आरोपियों की वकालत कर रही थी।

आम आदमी पार्टी के विधायकों ने पुलिस आयुक्त को ज्ञापन सौंपकर की यह पांच मांग

  1. डीसीपी की ओर से आरोपियों को बचाया जा रहा था, ऐसे में डीसीपी को बर्खास्त किया जाए।
  2. उस मार्ग पर जितने भी पुलिसकर्मी नियुक्त थे, उन सभी को बर्खास्त किया जाए।
  3. जिस व्यक्ति ने एफआईआर दर्ज की और हल्की धाराएं लगायी, उसको बर्खास्त किया जाए।
  4. इस मामले को रेयर ऑफ रेयरेस्ट मानते हुए सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए।
  5. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस घटना के आरोपियों का राजनीतिक रसूख है, दिल्ली पुलिस राजनीतिक दवाब में आए बिना आरोपियों पर सख्त से सख्त कार्रवाई करे।
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