आम आदमी पार्टी ने एलजी पर दिल्ली हज कमेटी में असंवैधानिक नियुक्ति करने का लगाया आरोप

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  • दिल्ली सरकार द्वारा हज कमेटी में नामित सदस्यों को एलजी ने बदल दिया और भाजपा नेता को इसका अध्यक्ष बना दिया- सौरभ भारद्वाज
  • हज कमेटी के छह सदस्य सर्वसम्मति से अध्यक्ष का चुनाव करते हैं, एलजी ने चतुराई से सदस्यों को बदल कर भाजपा नेता को अध्यक्ष बना दिया- सौरभ भारद्वाज
  • बीजेपी ने अपनी पार्टी के दो कार्यकर्ताओं कौसर जहां और मोहम्मद साद को हज कमेटी का सदस्य बनाया- सौरभ भारद्वाज
  • मोहम्मद साद के पास स्कॉलर की डिग्री नहीं होने के बावजूद ‘मुस्लिम धर्मशास्त्र के जानकार व्यक्ति’ के रूप में नियुक्त किया गया- सौरभ भारद्वाज
  • उपराज्यपाल को संविधान, पार्टी कार्यकर्ताओं को हज समिति के सदस्यों के रूप में बेइमानी से चुनने की अनुमति नहीं देता है- सौरभ भारद्वाज

आम आदमी पार्टी ने एलजी पर दिल्ली हज कमेटी में असंवैधानिक नियुक्ति करने का आरोप लगाया है। ‘आप’ के वरिष्ठ नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली सरकार द्वारा हज कमेटी में नामित सदस्यों को एलजी ने बदल दिया और भाजपा नेता को इसका अध्यक्ष बना दिया। हज कमेटी के छह सदस्य सर्वसम्मति से अध्यक्ष का चुनाव करते हैं। एलजी ने चतुराई से सदस्यों को बदल कर भाजपा नेता को अध्यक्ष बना दिया। बीजेपी ने अपनी पार्टी के दो कार्यकर्ताओं कौसर जहां और मोहम्मद साद को हज कमेटी का सदस्य बनाया। मोहम्मद साद के पास स्कॉलर की डिग्री नहीं होने के बावजूद ‘मुस्लिम धर्मशास्त्र के जानकार व्यक्ति’ के रूप में नियुक्त किया गया। उपराज्यपाल को संविधान, पार्टी कार्यकर्ताओं को हज समिति के सदस्यों के रूप में बेइमानी से चुनने की अनुमति नहीं देता है।

आम आदमी पार्टी के मुख्य प्रवक्ता और विधायक सौरभ भारद्वाज ने पार्टी मुख्यालय में आज महत्वपूर्ण प्रेस वार्ता को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि ‘आम आदमी पार्टी को हज कमेटी में झटका मिला है। पहली बार भाजपा की कार्यकर्ता अध्यक्ष पद के लिए चुनी गई हैं’। इसे ऐसा दर्शाया जा रहा है जैसे मानो भारतीय जनता पार्टी कितना बड़ा चुनाव जीतकर आई हो। जबकि मुझे नहीं लगता कि किसी ने हज समिति के चुनाव के बारे में इतनी चर्चा सुनी होगी। क्योंकि यह मात्र 6 लोगों का चुनाव होता है। इन 6 लोगों को चुनी हुई सरकार द्वारा हज समिति में भेजा जाता है। इसके बाद आम राय से एक व्यक्ति को हज समिति का अध्यक्ष बनाया जाता है। मगर इस बार हज समिति के चुनाव में उपराज्यपाल ने दिल्ली के लोगों के साथ बेईमानी की है। जिस हज समिति के लिए सदस्यों के नाम चुनी हुई सरकार भेजा करती थी, उसे एलजी ने चोरी-छुपे बदलकर इसमें नए नामों को शामिल किया है। जब भाजपा ने नाम ही बदल दिए हैं तो इन्हीं के चुने हुए व्यक्ति सदस्य बने हैं। उन्हीं में से एक व्यक्ति को अध्यक्ष बना दिया गया। इसमें भाजपा के लिए ऐसी कोई बड़ी उपलब्धि की बात नहीं थी। यह काम इन्होंने बेईमानी से किया है।

उन्होंने कहा कि 6 सदस्यों की समिति में दो सदस्य विधायक होते हैं। क्योंकि भाजपा के पास कोई मुस्लिम विधायक नहीं है और दिल्ली विधानसभा में पहले से मुस्लिम विधायक मौजूद हैं। इसलिए इन्हें मजबूरन आम आदमी पार्टी के विधायक अब्दुल रहमान और हाजी यूनुस को समिति में शामिल करना पड़ा। यह भी हो सकता है कि अगली बार से हज समिति पर कब्जा करने के लिए भारतीय जनता पार्टी अपने दो-तीन सदस्यों का धर्म परिवर्तन करा दे और उन्हें मुस्लिम बना दे। इससे की हज कमेटी पर कब्जा हो सके, क्योंकि एलजी की सोच कहीं तक भी जा सकती है।

विधायक सौरभ भारद्वाज ने कहा कि इस कमेटी में एक सांसद को शामिल किया जाता है। इसलिए भाजपा ने अपने सांसद गौतम गंभीर को हज समिति का सदस्य बनाया है। एक पार्षद का नाम भी शामिल करना होता है लेकिन भाजपा के पास मुस्लिम पार्षद भी नहीं है। इसलिए उन्होंने कांग्रेस की पार्षद नाजिया दानिश को समिति का सदस्य बनाया। एलजी ने बेईमानी कर चुनी हुई सरकार के पार्षद का नाम शामिल करने के बजाए कांग्रेस पार्टी की पार्षद को समिति में शामिल किया है। इसके अलावा समिति में दो और सदस्यों के नाम शामिल किए जाने थे तो वहां भाजपा ने अपने ही दो व्यक्तियों का नाम शामिल किया है। भाजपा ने कौसर जहां को समिति का सदस्य बनाया। क्योंकि वह साफ तौर पर भाजपा की वकालत करती नजर आती हैं। दूसरा नाम मोहम्मद साद का शामिल किया गया है, जोकि एक स्कॉलर है। इन्हें स्कॉलर कोटे से इस समिति का सदस्य बनाया गया है। हैरानी की बात यह है कि हज समिति के चुनाव के दौरान जब उनसे पूछा गया कि क्या आपके पास स्कॉलर की डिग्री है? तो उनका जवाब था अभी डिग्री नहीं आई है, मगर ढाई साल में आ जाएगी। यानी जिस तथाकथित स्कॉलर के पास मुस्लिम लॉ बोर्ड या इससे जुड़े किसी भी कोर्स की डिग्री ही नहीं है। उसे भी इस तरह बेईमानी से हज समिति में शामिल किया गया है।

उन्होंने कहा कि हज समिति के चुनाव में एलजी ने पहले बेइमानी से सदस्यों को बदला और फिर बंदूक की नोक पर इसका नोटिफिकेशन जारी कराया। यह दिल्ली के लिए बहुत शर्म की बात है। मुझसे पत्रकारों ने पूछा कि क्या आप इस मामले को लेकर कोर्ट में जाएंगे ? तो मैंने सोचा कि अक्सर दो सरकार के बीच में एक लिहाज का रिश्ता होता है। हालांकि हर चीज के लिए कानून तो बना हुआ है। मगर कई चीजें लिहाज से चलती हैं। ‘मान लीजिए आप किसी शादी में आमंत्रित हैं और आप वहां बारात में दूल्हे की तरह सज-संवर कर चले जाएं, तो आपको कोई शादी से बाहर नहीं निकालेगा। मगर समाज में एक लिहाज होता है कि दूल्हा ही सज-संवर कर आएगा। ऐसा नहीं होता कि कोई व्यक्ति बारात में दूल्हे की तरह सज-संवर कर आ जाए और कहे कि मैं ही दूल्हा हूं। अब यही काम हमारे एलजी कर रहे हैं। राजनीति, प्रजातंत्र और संवैधानिक ढांचे के अंदर जो लिहाज किया जाता है, एलजी उसे भी खत्म करते जा रहे हैं। वह सारे इंस्टीट्यूशंस को खत्म करते जा रहे हैं। जबकि एलजी के पास ऐसी कोई शक्ति नहीं है कि वह इस तरह बेइमानी से हज समिति के अंदर सदस्य बनाएं। मगर इसके बावजूद उन्होंने यह काम किया। एलजी ने एक बार फिर पूरी दिल्ली को शर्मसार कर दिया है।

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