*केजरीवाल कर रहे हैं यमुना पार की जनता के साथ भेदभाव की राजनीति- वीरेन्द्र सचदेवा
*पिछले तीन सालों के 1500 करोड़ और 2023-24 के बजट में 600 करोड़ रुपये यमुना पार विकास बोर्ड को उपलब्ध कराया जाए- रामवीर सिंह बिधूड़ी
*हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के बाद केजरीवाल सरकार ने छह सप्ताह के अंदर बोर्ड का गठन करने का आश्वासन दिया है- अभय वर्मा
दिल्ली भाजपा कार्यकारी अध्यक्ष वीरेन्द्र सचदेवा, नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी और विधायक अभय वर्मा ने आज एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन करके केजरीवाल सरकार पर दिल्ली के यमुना पार की जनता के साथ सौतेला व्यवहार करने का आरोप लगाया है। केजरीवाल सरकार ने पिछले 3 सालों में ट्रांस यमुना विकास बोर्ड का गठन नहीं किया जिसके कारण यमुना पार की जनता विकास कार्य से अछूती रही है। संवाददाता सम्मेलन में प्रदेश प्रवक्ता श्रीमती ऋचा पांडेय मिश्रा और अधिवक्ता श्री नलिन त्रिपाठी उपस्थित थे।
वीरेन्द्र सचदेवा ने कहा कि अरविंद केजरीवाल द्वारा बोर्ड का गठन ना करना गंदी राजनीति है और एक सोची समझी साजिश है। उन्हें दिल्ली की जनता से कोई मतलब नहीं है। अगर दिल्ली की जनता नरकीय जीवन जीने को मजबूर हैं तो उससे उन्हें कोई सरोकार नहीं क्योंकि बोर्ड के गठन के बाद केजरीवाल सरकार द्वारा हर साल पैसे देने पड़ेंगे जो केजरीवाल को मंजूर नहीं। उन्होंने कहा कि यमुना पार के सभी अनाधिकृत कॉलोनियों में सड़कों की हालत बदतर है, पानी की सुविधा नहीं है लेकिन केजरीवाल द्वेष और भेदभाव की राजनीति में मग्न है।
सचदेवा ने कहा कि दिल्ली के यमुना पार में 16 विधानसभाएं हैं और जब श्री मदन लाल खुरना जी मुख्यमंत्री थे तो ट्रांस यमुना विकास बोर्ड का गठन हुआ था जिसका कार्य अनाधिकृत कॉलोनियां की समस्याओं को समाधान करने का प्रयास करना था। इसका कारण था कि यमुना पार दिल्ली के अन्य क्षेत्रों की तुलना में पिछड़ा क्षेत्र माना जाता था लेकिन इस बार जब चुनाव हुआ तो यमुना पार के लोगों ने भाजपा को भरपूर स्नेह दिया। 6 विधायक, 2 सांसद, 35 निगम पार्षद सिर्फ यमुना पार से जीते और सिर्फ यही कारण है कि केजरीवाल ने बोर्ड का गठन नहीं किया।
रामवीर सिंह बिधूड़ी ने कहा कि जब दिल्ली सरकार का बजट 25000 करोड़ रुपये था तो यमुना पार विकास बोर्ड को 200 करोड़ रुपये प्रति वर्ष दिया जाता था और अब अगर बजट 75000 करोड़ रुपये हो गया तो बोर्ड को उसी के हिसाब से राशि दिया जाना चाहिए। उन्होंने केजरीवाल सरकार से मांग की कि पिछले तीन सालों के बदले 1500 करोड़ रुपये दिल्ली के यमुना पार के विकास के लिए दिया जाना चाहिए और साथ ही 2023-24 के बजट में 600 करोड़ रुपये यमुना पार विकास बोर्ड को उपलब्ध कराया जाए जिससे यमुना पार के लोगों का सर्वांगिण विकास हो सके।
अभय वर्मा ने कहा कि पिछले तीन सालों से लगातार संघर्ष के बाद जब केजरीवाल सरकार ने बोर्ड का गठन नहीं किया तो हमने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया जिसके बाद केजरीवाल सरकार ने छह सप्ताह के अंदर बोर्ड का गठन करने की बात कोर्ट में कही है। सरकार ने अपने जवाब में कहा है कि तीन सालों से इस बोर्ड का गठन नहीं किया गया है जिसके कारण यमुना पार का विकास ठप्प है। उन्होंने कहा कि केजरीवाल सरकार के निक्कमेपन के कारण बोर्ड का गठन ना करके अरविंद केजरीवाल ने बोर्ड को दिए जाने वाले पैसों से अपना चेहरा चमकाने का काम किया है।