9वीं-11वीं कक्षा के 96 प्रतिशत छात्र फेल होना दिल्ली के सरकारी स्कूलों  में शिक्षा स्तर की बदहाली को दर्शाता है।- चौ0 अनिल कुमार

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*शिक्षा मंत्री और शिक्षा निदेशक द्वारा परीक्षा परिणामों में सुधार करने के निर्देश से क्या छात्रों का शिक्षा स्तर बढ़ सकता है? – चौ0 अनिल कुमार

*अनुबंधित कर्मचारियों को पक्का करने का वादा करके सत्ता हथियाने के बाद हजारों कर्मचारियों को मेयर ने नौकरी से निकाल कर आप पार्टी का असली चेहरा उजागर कर दिया है।- चौ0 अनिल कुमार
 
 दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष चौ0 अनिल कुमार ने कहा कि दिल्ली में अरविन्द केजरीवाल सरकार के बदहाल शिक्षा व्यवस्था के दिल्ली मॉडल की पोल खुल चुकी है। आप सरकार के वर्ल्ड क्लॉस एजुकेशन सिस्टम में दिल्ली सरकार के स्कूलों की 11वीं और 9वीं कक्षा के 96 प्रतिशत छात्र फेल होना साबित करता है कि केजरीवाल दिल्ली के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे है। उन्होंने कहा कि केजरीवाल के लाख दावों के बावजूद दिल्ली में शिक्षा के स्तर गिरावट आई है, क्योंकि 60 छात्रों की कक्षा में यदि 4-5 छात्र ही पास हो रहे है। केजरीवाल सरकार की शिक्षा बदहाली और नाकामी का यह सबसे बड़ा प्रमाण है।

चौ0 अनिल कुमार ने कहा कि यह पहला मौका नही है जब दिल्ली सरकार के स्कूलों के छात्रों का परीक्षा परिणाम में इतनी बड़ी गिरावट आई है, इससे पूर्व भी 2015 में तत्कालीन शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने परीक्षा परिणामों के लिए हजारां छात्रों को 9वीं क्लॉस में रखा और उन्हें स्कूल से निकाल दिया था। उन्होंने कहा कि पिछले 8 वर्षों से सरकारी स्कूलों में शिक्षा गेस्ट टीचरों द्वारा दिलाई जा रही है क्योंकि स्कूलों में पी.जी.टी. और टी.जी.टी. टीचर, प्रिंसिपल, वाईस प्रिंसिपल की भारी कमी है, जो कि वर्तमान में आए परीक्षा परिणामों के लिए मुख्य कारक है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में युवा वर्ग का भविष्य अरविन्द केजरीवाल की गलत नीतियों के कारण अंधकारमय होगा क्योंकि बेहतर शिक्षा मॉडल की बात तो करते है परंतु छात्रों को गुणवत्ता वाली शिक्षा मुहैया कराने में पूरी विफल रहे है और अपनी नाकामी को छुपाने के लिए शिक्षा मंत्री और शिक्षा निदेशक 5 अप्रैल तक नतीजे सुधारने का निर्देश स्कूलों को दे रहे है। 

चौ0 अनिल कुमार ने कहा कि आम आदमी पार्टी दिल्ली नगर निगम और दिल्ली विधानसभा में पूर्ण बहुमत देने वाली दिल्ली की जनता से किए गए वायदों को नजरअंदाज करके पहले दिल्ली सरकार और निगम में भी कर्मचारी विरोधी नीति अपना रही है, जो दिल्ली वालों के साथ धोखा है। मेयर द्वारा हॉर्टिकल्चर एवं अन्य विभागों में कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों के अनुबंध के विस्तार को अधिकारियों पर दबाव डालकर निरस्त किया जा रहा है जो पूरी तरह अनैतिक है। उन्होंने कहा कि निगम चुनावों में कांट्रेक्ट, अनियमित व अनुबंधित कर्मचारियों को पक्का करने का वादा करके सत्ता हथियाने वाली आम आदमी पार्टी का यह निर्णय पूरी तरह से गरीब विरोधी है। उन्होंने कहा कि महापौर डा0 शैली ओबेरॉय के निर्देशानुसार 1 अप्रैल से निगम के हजारों अनुबंधित कर्मचारियों को नौकरी चली गई है, जबकि दिल्ली नगर निगम के अधिकांश नियमित पक्के कर्मचारी सेवानिवृत्त हो रहे है।

चौ0 अनिल कुमार ने कहा कि आम आदमी पार्टी ने जो दिल्ली सरकार में किया वहीं नीति दिल्ली नगर निगम में भी करने जा रही है। पूर्व में दिल्ली सरकार ने अनुबंधित कर्मचारियों की जगह आम आदमी पार्टी के वालियंटरों को नौकरी पर भर्ती किए थे, शायद महापौर ऑबराय की मंशा भी अरविन्द केजरीवाल के हुक्म का पालन करके दिल्ली नगर निगम में आम आदमी पार्टी के वालियंटरों और कार्यकर्ताओं को भर्ती करना है। उन्होंने कहा कि दिल्ली नगर निगम के हजारों ठेके कर्मचारियों को हटाने से एक अप्रैल से निगम के पार्को के रख रखाव पर असर पड़ रहा है। माली और चौकीदार की कमी से पार्क असामाजिक तत्वों का ठिकाना बन जाऐंगे। महापौर के इस गरीब विरोधी निर्णय का दिल्ली कांग्रेस विरोध दर्ज कराती है।

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