*दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेन्द्र सचदेवा ने केजरीवाल से पांच सवाल पूछकर मांगे जवाब
*अरविंद केजरीवाल एक केन्द्र शासित प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं उनकी पात्रता केवल टाइप 7 बंगले की है, ऐसे में PWD अधिकारियों ने कैसे इतना भव्य बंगला बना डाला – वीरेन्द्र सचदेवा
*जब दिल्ली अर्बन आर्ट कमीशन ने सौंदर्यीकरण एवं रेनोवेशन की अनुमति तक देने से मना कर दिया था तब PWD ने किसके दबाव में बंगला नवीकरण किया – वीरेन्द्र सचदेवा
*केंद्र सरकार एवं उपराज्यपाल से हमारी मांग है कि सिर्फ PWD अधिकारियों को ही नहीं बल्कि अरविंद केजरीवाल को भी नोटिस देकर मुख्यमंत्री आवास रेनोवेशन में किए गए भ्रष्टाचार पर सवाल पूछा जाना चाहिए – रामवीर सिंह बिधूड़ी
दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेन्द्र सचदेवा एवं नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने आज एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन कर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बंगले के निर्माण की जांच कर रहे सतर्कता विभाग के द्वारा PWD के अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी होने के फैसले का स्वागत किया और कहा कि अब सी.एम. बंगला स्कैम में हुए भ्रष्टाचार की परत खुलेंगी और अब शीघ्र मुख्यमंत्री केजरीवाल को कानून एवं दिल्ली वालों को जवाब देना होगा। संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में प्रदेश प्रवक्ता श्री हरीश खुराना एवं मीडिया रिलेशन विभाग के सह-प्रमुख श्री विक्रम मित्तल उपस्थित थे।
दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेन्द्र सचदेवा ने केजरीवाल सरकार से पांच सवाल पूछते हुए कहा कि प्रशासनिक व्यवस्थाओं के अनुसार अरविंद केजरीवाल एक केन्द्र शासित प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं उनकी पात्रता केवल टाइप 7 बंगले की है, ऐसे में PWD अधिकारियों ने कैसे इतना भव्य बंगला बना डाला? क्या इतना सरकारी धन लगाने से पहले PWD ने पूरे बंगला परिसर की मिल्कियत की जांच करवाई, खसरा रिकार्ड अनुसार इस भूमी की मिल्कियत स्टेट बैंक आफ इंडिया की बनती है? उन्होंने सवाल पूछा कि PWD ने तर्क दिया है कि पुराना बंगला 1942-43 का बना था इसका जीवन केवल 55 साल था ऐसे में क्या PWD कोई सबूत दिखा सकती है कि यह 1942 का बना बंगला था और 2019-20 में यह टूटने योग्य हो गया था?
सचदेवा ने केजरीवाल से आगे सवाल पूछते हुए कहा कि PWD अधिकारी बताए जब प्रारम्भिक प्रस्ताव में केवल रिपेयर, रिनोवेशन एवं सौंदर्यीकरण की बात थी तो पूरा बंगला नया कैसे बना डाला? जब केवल बंगले की प्रारम्भिक कार्य लागत 7.62 करोड़ थी तो बिना स्वीकृति 33.20 करोड़ कैसे खर्च डाले? जब दिल्ली अर्बन आर्ट कमीशन ने सौंदर्यीकरण एवं रिनोवेशन की अनुमति तक देने से मना कर दिया था तब PWD ने किसके दबाव में बंगला नवीकरण किया? क्या PWD ने दिल्ली नगर निगम से कोई नक्शा स्वीकृति या फिर ओकूपेंसी सर्टिफिकेट लिया? उन्होंने आखिरी में सवाल पूछते हुए कहा कि PWD अधिकारियों ने किसके दबाव में जानबूझकर कर 9.99 करोड़ से छोटे वर्क आर्डर बनाये ताकि ना टेंडर करना पड़े ना PWD सचिव की स्वीकृति लेनी पड़े?
वीरेंद्र सचदेवा ने आरोप लगाया कि केजरीवाल के पी.ए. हर दिन के काम की मॉनिटरिंग कर रहे थे आखिर वह किसके कहने पर काम करवा रहे थे इसका जवाब भी केजरीवाल को देना चाहिए। इतना ही नहीं सबूत साफ कहता है कि केजरीवाल के प्रभाव में सारे कानून तोड़े जा रहे थे जिसका जवाब भी केजरीवाल को देना चाहिए। उन्होंने कहा कि बिना विभाग वाले मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपनी जिम्मेदारियों से भागते रहते हैं और पूरा दिन सिर्फ बाथरुम में कितने लाख वाला पत्थर लगाना है और कितने लाख का घर में पर्दा यह सोचते हैं।
सचदेवा ने कहा कि सतर्कता विभाग ने जो नोटिस जारी किया है उसमें साफ लिखा गया है कि तथ्यों से साफ है कि अधिकारियों ने मानक संचालन प्रक्रियाओं के सभी नियमों का उल्लंघन किया है और माननीय मुख्यमंत्री, जो प्रत्यक्ष लाभार्थी हैं, के प्रभाव में अपने पद का दुरुपयोग किया। उन्होंने कहा कि यह नोटिस पायदान की पहली सीढ़ी है इसके शीर्ष पायदान पर दिल्ली का मुख्यमंत्री है जो भ्रष्टाचार का प्रतीक है, वह जल्द ही जेल के अंदर होगा।
रामवीर सिंह बिधूड़ी ने कहा दिल्ली के मुख्यमंत्री ने ज़ब अपने घर में रेनोवेशन का कार्य शुरू करवाया उसी वक्त भाजपा विधायकों ने मुख्यमंत्री आवास के बाहर जमा हुए और मुख्यमंत्री को 24 जून को ज्ञापन दिया। जिसको सभी अखबारों ने प्रमुखता से छापा भी। ज्ञापन में हमने लिखा कि जो रेनोवेशन हो रहा है उसके लिए अर्बन आर्ट कमीशन से अनुमति नहीं ली गई है। मुख्यमंत्री अगर पुराने घर को तोड़कर नया घर बनान चाहते हैं तो नक्शा पास करना होगा, लेकिन उसके लिए दिल्ली सरकार की मलकीयत होनी जरुरी है जबकि अधिकारियों ने पहले ही मुख्यमंत्री केजरीवाल को यह जानकारी दे दी थी लेकिन अरविंद केजरीवाल बिना रुके जैसे ही 10 करोड़ रूपये घर रेनोवेशन के लिए उपलब्ध कराया और धीरे-धीरे उन्होंने अपने घर पर 53 करोड़ रूपये खर्च कर डाले।
रामवीर सिंह बिधूड़ी ने कहा कि अपना घर बनाने के लिए केजरीवाल ने बगल में दो कोठियों को गैर कानूनी तरीके से खाली कराकर उन्हें भी अपने हिस्से में ले लिया। 21 अधिकारियों के फ्लैट खाली कराया और 8 फ्लैट तोड़े गए। भाजपा विधायकों ने यह मुद्दा ज़ब विधानसभा में उठाया कि हमने पूछा था कि जो 53 करोड़ खर्च किये गए तो उसके लिए किससे अनुमति ली गई, इस पर अरविंद केजरीवाल भाग खड़े हुए। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार और उपराज्यपाल से हमारी मांग है कि नोटिस सिर्फ अधिकारियों को देने से काम नहीं चलेगा बल्कि नोटिस अरविंद केजरीवाल को भी देना चाहिए कि भाजपा विधायकों ने ज़ब इस पर ज्ञापन दिया उसके बावजूद घर बनाने का कार्य क्यों नहीं रोका गया।