- हमने इन क्षेत्रों को कंफर्मिंग जोन में तब्दील करने की दिशा में काम करने के लिए बड़ी पहल की है, ताकि इसे सही पहचान मिल सके- अरविंद केजरीवाल
- इस प्रोजेक्ट के तहत हम उद्योगों को बढ़ावा देने और अधिक रोजगार पैदा करने में मदद करने के लिए इन क्षेत्रों का संपूर्ण पुनर्विकास करेंगे- अरविंद केजरीवाल
- उद्योगपतियों के सहयोग के बिना यह प्रोजेक्ट सफल नहीं हो सकता, अच्छी बात है कि सभी एसोसिएशन ने अपना पूरा समर्थन दिया है- अरविंद केजरीवाल
- पहले चरण में लेआउट, दूसरे चरण में बुनियादी ढांचे और तीसरे चरण में सार्वजनिक सुविधाओं का विकास किया जाएगा- अरविंद केजरीवाल
- हम कंसल्टेंट का पैनल बनाएंगे, जिसका 90 फीसद खर्च दिल्ली सरकार देगी और 10 फीसद इंडस्ट्री एसोसिएशन को देना होगा- अरविंद केजरीवाल
- नॉन कन्फॉर्मिंग इंडस्ट्रीयल एरिया के पुनर्विकास करने से 10-15 लाख लोगों को रोजगार मिल सकेगा- अरविंद केजरीवाल
- सीएम अरविंद केजरीवाल ने नॉन कंफर्मिंग इंडस्ट्रीयल एरिया के लिए लेआउट प्लान की प्रक्रिया शुरू करने के लिए उद्योगपतियों के साथ की बैठक
केजरीवाल सरकार ने नॉन कंफर्मिंग इंडस्ट्रीयल एरिया को विश्वस्तरीय पहचान देने के लिए एक बड़ी पहल की है। इस पहल के तहत इन क्षेत्रों का संपूर्ण पुनर्विकास किया जाएगा। इससे न सिर्फ दिल्ली की अर्थव्यवस्था को रफ्तार मिलेगी, बल्कि लाखों रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे। इस संबंध में शुक्रवार को सीएम अरविंद केजरीवाल ने इन क्षेत्रों के उद्यमियों से मुलाकात कर पूरा प्लान रखा। सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि हमने नॉन कंफर्मिंग इंडस्ट्रीयल एरिया को कंफर्मिंग जोन में तब्दील करने की दिशा में काम करने के लिए बड़ी पहल की है, ताकि इसे सही पहचान मिल सके। हमने इन एरिया का तीन चरणों में पुनर्विकास करने के लिए पॉलिसी बनाई है। हम उद्योगों को बढ़ावा देने और अधिक रोजगार पैदा करने में मदद करने के लिए इन सभी एरिया का संपूर्ण पुनर्विकास करेंगे। सीएम ने सभी एसोसिएशन का समर्थन मिलने पर खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि उद्योगपतियों के सहयोग के बिना यह प्रोजेक्ट सफल नहीं हो सकता है। दिल्ली सचिवालय में आयोजित बैठक में उद्योग मंत्री सौरभ भारद्वाज, सभी इंडस्ट्री एसोसिएशन के पदाधिकारी और स्थानीय विधायकों ने हिस्सा लिया।
जिस तेजी से दिल्ली का विस्तार हुआ, उतनी तेजी से डीडीए जरूरी सुविधाएं नहीं मुहैया करा पाई- अरविंद केजरीवाल
उद्यमियों को संबोधित करते हुए सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली का विकास बहुत ही अनियोजित तरीके से हुआ है। दिल्ली में कोई प्लानिंग नहीं हुई। लोगों को जहां जगह मिलती गई, वे बसते गए। लोगों ने कहीं अपने मकान बनाए तो कहीं दुकाने और इंडस्ट्री शुरू कर दी। ऐसे में डीडीए की यह जिम्मेदारी थी कि वो इंडस्ट्री और रिहायशी इलाकों के लिए अलग से जगह की प्लानिंग करे और लोगों के लिए घर व दुकान बनाने के लिए जगह दे। मगर जिस तेजी से दिल्ली का विस्तार हुआ, उतनी तेजी से डीडीए जरूरी सुविधाएं मुहैया नहीं करा पाई। दूसरी तरफ, दिल्ली में इंडस्ट्री के लिए जमीन की मांग बहुत तेजी से बढ़ती गई लेकिन डीडीए इसके लिए कोई प्लानिंग नहीं कर पाई। ऐसे में दिल्ली में कई रिहायशी और अनधिकृत इलाकों में जहां लोगों को जगह मिलती गई, उन्होंने वहीं अपनी इंडस्ट्री शुरू कर दी। दिल्ली में ऐसे क्षेत्रों को अनुचित तरीके से इस्तेमाल होने वाले इलाके या नॉन कंफर्मिंग इंडस्ट्रीयल एरिया कहा गया है। क्योंकि यहां पानी, सीवर, सड़क किसी भी चीज की व्यवस्था नहीं है और न ही इंडस्ट्री के लिए कोई इंफ्रास्ट्रक्चर है और केवल जुगाड़ से ही काम चलता है।
नॉन कंफर्मिंग इंडस्ट्रीयल एरिया में अभी तक कोई पुनर्विकास कार्य नहीं हुआ- अरविंद केजरीवाल
सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली सरकार ने एक योजना बनाई है। इसके तहत यह अगर कोई नॉन कंफर्मिंग इंडस्ट्रीयल एरिया 4 हेक्टेयर में फैला हुआ है और उसमें 70 फीसद से ज्यादा इंडस्ट्री बसी हुई हैं तो उसे नॉन कंफर्मिंग नोटिफाइड इंडस्ट्रीयल एरिया बनाया जाएगा। इसके तहत पूरे दिल्ली में सर्वे कर 26 नॉन कंफर्मिंग इंडस्ट्रीयल एरिया को चिनहित किया गया है, जिसमें एक गोदाम क्लस्टर भी शामिल है। इसके बाद डीडीए ने लगभग दो दशक पहले एक आदेश जारी किया कि दिल्ली में जितने भी नॉन कंफर्मिंग नोटिफाइड इंडस्ट्रीयल एरिया हैं, वो अपना लेआउट प्लान बनाकर खुद अपना पुनिर्विकास करें या फिर इसे एमसीडी से कराएं। आदेश में यह भी कहा गया कि अगर ऐसा नहीं करते हैं तो उन्हें नॉन कंफर्मिंग इंडस्ट्रीयल क्षेत्रों के अंदर अपनी इंडस्ट्री को बंद करना पड़ेगा। इस आदेश को आए हुए भी लगभाग 20 साल बीत चुके हैं, मगर आज तक न तो इन इंडस्ट्री का कोई लेआउट प्लान बना है और न ही कोई पुनिर्विकास हुआ है। एमसीडी और इंडस्ट्री एसोसिएशन दोनों ने इस दिशा में कुछ काम नहीं किया है।
नॉन कंफर्मिंग इंडस्ट्रीयल एरिया में अलग-अलग एजेंसियां वसूली और उत्पीडन करती हैं- अरविंद केजरीवाल
सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि हम इन इंडस्ट्रीज को बंद नहीं करा सकते हैं, क्योंकि ऐसा करना बहुत बड़ी मानव त्रासदी ला सकता है। आज इन 26 नॉन कंफर्मिंग इंडस्ट्रीयल एरिया में 51 हजार इंडस्ट्रीज संचालित होती हैं, जिसमें सीधे तौर पर 5 लाख लोगों को रोजगार मिलता है। वहीं, 10 लाख लोगों को किसी न किसी तरह से इन इंडस्ट्रीज के जरिए रोजगार मिलता है। ऐसी स्थिति में इन इंडस्ट्री को बंद करना सही नहीं होगा। इन इंडस्ट्रीज को लेकर सुप्रीट कोर्ट ने सरकार को कई बार यह आदेश दिए हैं कि अगर इन इलाकों को नियमित नहीं किया गया तो इन्हें बंद करना पड़ेगा और समय-समय पर इन इंडस्ट्रिज के उपर कोर्ट की तलवार चलती रही। वहीं, नॉन कंफर्मिंग इंडस्ट्रीयल एरिया में अलग-अलग एजेंसियां वसूली और उत्पीडन करती हैं। इंडस्ट्रीज को इन एजेंसियों को पैसे देने पडते हैं।
नॉन कंफर्मिंग औद्योगिक एरिया का तीन चरणों में विकास किया जाएगा- अरविंद केजरीवाल
सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि हमने यह पता करने की कोशिश की कि आखिर नॉन कंफर्मिंग इंडस्ट्रीयल एरिया का लेआउट प्लान क्यों नहीं बन पा रहा है? तब पता लगा कि लेआउट प्लान बनाने में मोटा खर्चा है और इंडस्ट्रीयल एसोसिएशन ये खर्चा नहीं देना चाहती हैं। इसलिए अब दिल्ली सरकार ने एक पहल करते हुए नॉन कंफर्मिंग औद्योगिक एरिया के इंडस्ट्री और गोदाम क्लस्टर का पुनर्विकास करने के लिए एक पॉलिसी बनाई है। इसके तीन चरण है। पहले चरण में हम एक कंसल्टेंट का पैनल बनाएंगे और उनके सभी के रेट तय करेंगे। उसमें से जो भी कंसल्टेंट उपयुक्त लगे, उस कंसल्टेंट को इंडस्ट्री एसोसिएशन ले सकती है। उस कंसल्टेंट का 90 फीसद खर्चा दिल्ली सरकार देगी और केवल 10 फीसद इंडस्ट्री को देना होगा। लेआउट योजना स्थानीय इंडस्ट्री एसोसिएशन या सोसायटी के साथ साझेदारी में सलाहकारों द्वारा तैयार की जाएगी। अगर कॉमन फैसिलिटी या सड़कों के निर्माण के दौरान किसी की थोड़ी जमीन आ जाए तो इसमें इंडस्ट्रीज को सहयोग देना होगा। इंडस्ट्रीज के सहयोग के बिना यह पुनर्विकास योजना सफल नहीं हो पाएगी। दिल्ली सरकार दिल खोलकर ये पॉलिसी इंडस्ट्रीज के लिए लेकर आई है। जिसके पहले चरण में सभी को साथ लेकर पूरे इंडस्ट्रीयल एरिया के सदस्यों की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी।
इन एरिया के पुनर्विकास से कारोबार के साथ ही रोजगार के भी अवसर भी बढ़ेंगे- अरविंद केजरीवाल
सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि योजना के दूसरे चरण में बुनियादी ढांचे का पुनर्विकास किया जाएगा। जिसके तहत सीवेज, सामान्य अपशिष्ट उपचार संयंत्र, पेयजल आपूर्ति, औद्योगिक अपशिष्ट निपटान की व्यवस्था और सड़कों को बेहतर किया जाएगा। तमाम बेसिक सुविधाएं दूसरे चरण में दी जाएगी। वहीं, तीसरे चरण में कॉमन फैसिलिटीज तैयार की जाएगी। इसके तहत एक्सपीरियंस सेंटर, प्रोसेसिंग सेंटर, ट्रेनिंग सेंटर, बिजनेस कन्वेंशन सेंटर, रॉ मेटिरियल बैंक समेत तमाम तरह की सुविधाओं उपलब्ध कराई जाएगी। जिन 26 नॉन कन्फॉर्मिंग एरिया में आज लोग जाना तक नहीं चाहते हैं, हम उन्हें एक वर्ल्ड क्लास सेंटर बनाना चाहते हैं। इनके पुनर्विकास के बाद इन एरिया से नॉन कन्फॉर्मिंग एरिया का ठपा हट जाएगा और ये कन्फॉर्मिंग एरिया बन जाएंगे। इसके अलावा इन क्षेत्रों में उद्यमियों का विकास और पॉर्टनरशीप बहुत तेजी के साथ होगा। साथ ही दोगुने रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे। वर्तमान में इन नॉन कन्फॉर्मिंग एरिया में 5 लाख लोग काम करते हैं, तो भविष्य में 10-15 लाख लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार मिल सकेगा। ये एक एतिहासिक अवसर है। हम चाहते हैं कि दिल्ली के नॉन कन्फॉर्मिंग एरिया को विश्वस्तरीय सुविधाओं के साथ कन्फॉर्मिंग एरिया बनाया जाए। इसलिए दिल्ली सरकार सभी इंडस्ट्री एसोसिएशन के सदस्यों से यह आग्रह करती है कि वे अपने-अपने इलाकों में इस पहल को सफल बनाने में पूरा योगदान दें।
सीएम अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा कि नॉन कंफर्मिंग इंडस्ट्रीयल एरिया के लिए लेआउट प्लान की प्रक्रिया शुरू करने के लिए आज दिल्ली के उद्योगपतियों से मुलाकात की। हमने इन क्षेत्रों को कंफर्मिंग जोन में तब्दील करने की दिशा में काम करने के लिए बड़ी पहल की है, ताकि इसे सही पहचान मिल सके। इस प्रोजेक्ट के तहत हम उद्योगों को बढ़ावा देने और अधिक रोजगार पैदा करने में मदद करने के लिए इन एरिया का संपूर्ण पुनर्विकास करेंगे। उद्योगपतियों के सहयोग के बिना यह प्रोजेक्ट सफल नहीं हो सकता, अच्छी बात है कि सभी एसोसिएशन ने अपना पूरा समर्थन दिया है।
दिल्ली के ये हैं नॉन कंफर्मिंग इंडस्ट्रीयल एरिया
दिल्ली में कुल 26 नॉन कंफर्मिंग इंडस्ट्रीयल एरियाज हैं जिसमें आनंद पर्बत, शाहदरा, समयपुर बादली, जवाहर नगर, सुल्तानपुर माजरा, हस्तसाल पॉकेट-ए, हस्तसाल पॉकेट-डी, नरेश पार्क एक्सटेंशन, लिबासपुर, पीरागढ़ गांव, ख्याला, शालामार गांव, न्यू मंडोली, नवादा, रिठाला, स्वर्ण पार्क मुंडका, हैदरपुर, करावल नगर, डाबरी, बसई दारापुर, प्रहलादपुर बांगर, मुंडका उद्योग नगर दक्षिण, फिरनी रोड मुंडका, रनहोला, नंगली सकरवाती और टिकरी कलां शामिल हैं। इसी के साथ गोदाम क्लस्टर के लिए मुंडका (उत्तर) क्लस्टर का पुनर्वास किया जाना है। इन सभी नॉन कंफर्मिंग इंडस्ट्रीयल क्षेत्रों की अधिसूचना का कार्य 1990 में शुरू हुआ था और 2021 तक जारी रहा।
दिल्ली मास्टर प्लान 2021 के तहत किया जाएगा इन एरिया का विकास
दिल्ली मास्टर प्लान 2021 के तहत नॉन कंफर्मिंग इंडस्ट्रीयल एरियाज में इंडस्ट्रीज और गोदाम क्लस्टर्स के पुनर्विकास के लिए अधिसूचना जारी की गई है। इसमें कई नियम व शतें हैं। पहला नॉन कंफर्मिंग इंडस्ट्रीयल एरिया को कम के कम 4 हेक्टेयर जमीन में फैला होना चाहिए। सर्वे के आधार पर क्लस्टर के अंदर 70 फीसद से अधिक जमीन पर औद्योगिक गतिविधि होनी चाहिए, तभी उसे पुनर्विकास के लिए योग्य माना जाएगा। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली द्वारा ऐसी क्लस्टर्स की अधिसूचना के बाद उनके पुनर्विकास के लिए सोसायटी के परामर्श पर इसे स्थानीय निकाय और लैंड ओनिंग एजेंसी द्वारा तैयार किया जाएगा। अभी तक दिल्ली के 26 नॉन कंफर्मिंग इंडस्ट्रीयल एरियाज को पुनर्विकास के लिए अधिसूचित किया गया है। गोदामों या वेयर हाउसिंग गतिविधियों के ऐसे नॉन कंफर्मिंग क्लस्टर जहां कम से कम 2 हेक्टेयर के आसपास क्षेत्रफल हो और क्लस्टर के अंदर 55 फीसद से ज्यादा इंडस्ट्रीयल प्लाट्स हैं, उनका वास्तविक सर्वे के आधार पर चिंहित कर पुनर्विकास किया जा सकता है। इस प्रावधान के तहत मुंडका (नार्थ) गोदाम क्लस्टर को पुनर्विकास के लिए अधिसूचित किया गया है।