एंटी करप्शन ब्यूरों द्वारा जांच में पाए गए तथ्य ने भी साबित कर दिया कि पेनिक बटन के नाम पर केजरीवाल सरकार ने करोड़ों रुपये का घोटाला किया है – वीरेन्द्र सचदेवा

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*जांच में पाया गया कि नियंत्रण कक्ष में अधिकांश डिस्प्ले स्क्रीन काम नहीं कर रही थी और अधिकांश बसों में कंट्रोल रूम की नेटवर्क कनेक्टिविटी नहीं है – वीरेन्द्र सचदेवा

*रिपोर्ट के मुताबिक पेनिक बटन के द्वारा एक भी शिकायत कंट्रोल और कमांड रूम में दर्ज ना होने की बात आश्चर्यजनक है – वीरेन्द्र सचदेवा

*करोड़ों रुपये के हुए पेनिक बटन के नाम पर घोटाले को लेकर दिल्ली भाजपा अध्यक्ष के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल उपराज्यपाल से करेगा मुलाकात – रामवीर सिंह बिधूड़ी

*जांच पूरी होने तक नैतिक आधार पर कैलाश गहलोत अपने पद से इस्तीफा दें – रामवीर सिंह बिधूड़ी

दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष वीरेन्द्र सचदेवा और नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने आज एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन कर पेनिक बटन घोटाले पर एंटी करप्शन ब्यूरों द्वारा विजलेंस विभाग को सौंपी गई रिपोर्ट का स्वागत किया और कहा कि दिल्ली भाजपा द्वारा पेनिक बटन घोटाले में लगाए गए सभी आरोप जांच में अभी तक सही साबित हुए हैं और जांच में संलिप्त सभी आरोपियों का भी जल्द से जल्द खुलासा होगा। संवाददाता सम्मेलन मे प्रदेश प्रवक्ता हरीश खुराना एवं वीरेन्द्र बब्बर उपस्थित थे।

वीरेन्द्र सचदेवा ने कहा कि दिल्ली परिवहन विभाग ने पेनिक बटन के नाम पर करोड़ों रुपये का घोटाला किया है। अक्टूबर, 2020 में, मेसर्स टीसीआईएल ने मेसर्स एमएपीएल के साथ पांच सालों के लिए एक समझौता किया जिसके मुताबिक हर डीटीसी और क्लस्टर बस में 2 वायरलेस वॉकी-टॉकी, 3 सीसीटीवी, 1 जीपीएस सिस्टम और 10 पैनिक बटन लगाए जाने हैं। जिसके रखरखाव शुल्क के रूप में प्रति बस लगभग 3000/- रुपये प्रति माह चार्ज कर रहा है। दिल्ली में डीटीसी और कलस्टर मिलाकर कुल बसों की संख्या 4500 है तो प्रति माह चार्ज के रुप में 1,35,000,00 ( एक करोड़ 35 लाख रुपये) वसूल किए जा रहे है।

सचदेवा ने कहा कि राजधानी में एक लाख 12 हजार टैक्सियां रजिस्टर्ड हैं। पहले प्रति टैक्सी 9000 रुपए के हिसाब से कुल राशि 100 करोड़ 80 लाख रुपए किये जा रहे थे जो अब बढ़ाकर 15 हजार रुपये कर दिये। इतना ही नहीं इसकी रिनिवल फीस अलग से भी वसूल की जा रही है। इस तरह पांच वर्ष में पैनिक बटन के नाम पर केजरीवाल सरकार ने पांच सालों में 800 करोड़ रुपये वसूल किये हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री केजरीवाल से जवाब मांगा है कि जब पेनिक बटन काम नहीं कर रहे हैं और एक भी शिकायत दर्ज नहीं की गई तो पेनिक बटन के नाम पर दिल्ली में बस, ऑटो वालों को लूटने का काम क्यों कर रहे हैं।

दिल्ली भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि जांच के दौरान यह भी पाया गया कि नियंत्रण कक्ष में अधिकांश डिस्प्ले स्क्रीन काम नहीं कर रही थी। अधिकांश बसों में कंट्रोल रूम की नेटवर्क कनेक्टिविटी नहीं है। इसके अलावा, दर्शन केंद्रों (सीसीटीवी निगरानी कक्ष) की निगरानी योग्य ऑपरेटरों द्वारा नहीं की जा रही है क्योंकि मेसर्स एमएपीएल ने कमॉड रुम (सीसीटीवी निगरानी कक्ष) के लिए अपने ऑपरेटर उपलब्ध नहीं कराए हैं। इतना ही नहीं इस पेनिक बटन के द्वारा एक भी शिकायत कंट्रोल और कमांड रूम में दर्ज नहीं की गई है। यानि पेनिक बटन सिर्फ एक दिखावा सिद्ध हुआ जबकि इसका कोई उपयोग नही हो सका। इसका कारण बिल्कुल स्पष्ट है जब कमॉड रुम में ऑपरेटर नहीं है और नेटवर्क कनेक्टिवीटि भी काम नहीं कर रहा है तो फिर किसी भी आपातकाल स्थिति में कैसे पता किया जा सकता है।

सचदेवा ने कहा कि निरीक्षण के दौरान बसों में लगे सभी पैनिक बटन दबाए गए हैं, लेकिन कंट्रोल रूम से कोई जवाब नहीं मिला है। ड्राइवरों और कंडक्टरों से स्थापित पैनिक बटन की कार्यप्रणाली के बारे में पूछताछ की गई, जिसमें उन्होंने बताया कि उन्हें पैनिक बटन दबाते समय नियंत्रण कक्ष से अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है। उन्होंने कहा कि पेनिक बटन सिर्फ केजरीवाल के लूट का एक हथियार साबित हुआ है और इसकी आड़ में अरविंद केजरीवाल ने बस एवं आटॉ चालकों को लूटने का काम किया है।

रामवीर सिंह बिधूड़ी ने कहा कि हमने पहले भी पेनिक बटन दबाकर मीडिया के सामने दिखाया था जिसपर कोई जवाब नहीं आया था और जांच में भी ठीक वहीं बात सामने आई है। केजरीवाल सरकार पेनिक बटन के नाम पर टैक्सी और बस वालों से सैकड़ों करोड़ रुपए वसूल कर रही है और पांच रुपए के प्लास्टिक बटन लगाकर सबको गुमराह करने का काम किया गया है। हम जांच एजेंसियों को धन्यवाद देना चाहेंगे कि अखबारों में छपी खबर के आधार पर जांच शुरू हुई और आज वह जांच सिद्ध हुआ।

बिधूड़ी ने कहा कि दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल माननीय उपराज्यपाल महोदय से मिलेगा और करोड़ों रुपए के हुए इस पेनिक बटन घोटाले को लेकर एक ज्ञापन सौपेगा। साथ ही उन्होंने मांग की कि जब तक जांच चल रही है तब तक अपनी नैतिक जिम्मेदारी मानते हुए परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत अपने पद से इस्तीफा दें।

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