मोदी सरकार की आयुष्मान भारत योजना में 1.68 करोड़ फर्जी अकाउंट, लोगों के इलाज के नाम पर हो रहा करोड़ों का घोटाला- प्रियंका कक्कड़

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  • सीएजी की रिपोर्ट के मुताबिक योजना के 11 करोड़ बेनिफिसियरीज में से करीब 3.67 करोड़ संदिग्ध और 1.69 करोड़ फर्जी हैं- प्रियंका कक्कड़
  • रिपोर्ट में साफ बताया गया है कि आयुष्मान योजना के तहत मृतक लोगों को भी पैसा दिया जा रहा है, एक ही आईडी से अलग-अलग अस्पतालों में एक ही समय में इलाज किया जा रहा है- प्रियंका कक्कड़
  • सीएजी के मुताबिक पूरे देश में आयुष्मान योजना के तहत 26 हजार पैनल में शामिल किए गए हैं लेकिन अस्पतालों में डॉक्टर से लेकर मशीनें और बेड़ तक नहीं हैं- प्रियंका कक्कड़
  • सदन में एक आंकड़ा पेश किया गया था कि योजना के तहत लगभग 5-6 लाख बेनिफिसियरीज रोज वेरीफाई हो रहे हैं, लेकिन 10 लाख लोग एक अमान्य नंबर पर पंजीकृत हैं, वो कौन हैं? – प्रियंका कक्कड़
  • ग्लोबल बर्डन आफ डिजीज इंडेक्स नाम की स्टडी बताती है कि मोदी सरकार हेल्थ पर जीडीपी का 2 फीसदी से भी कम खर्च करती है, हेल्थ में हमारी रैंक 154/180 है- प्रियंका कक्कड़
  • डब्ल्यूएचओ के मुताबिक हेल्थ स्पेंडिंग में भारत 191 देशों में 184वें नंबर पर आता है, इससे साफ दिखता है कि केंद्र सरकार की स्वास्थ्य प्राथमिकता नहीं है- प्रियंका कक्कड़
  • सीएम अरविंद केजरीवाल जी अक्सर कहते हैं कि ‘हम गरीबी से बस एक मेडिकल बिल दूर हैं’, उस सेक्टर के लिए कोई योजना आज भी नहीं है- प्रियंका कक्कड़

आम आदमी पार्टी की मुख्य प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने बताया कि मोदी सरकार की आयुष्मान भारत योजना में 1.68 करोड़ फर्जी अकाउंट हैं। लोगों के इलाज के नाम पर करोड़ों का घोटाला हो रहा है। सीएजी की रिपोर्ट के मुताबिक योजना के 11 करोड़ बेनिफिसियरीज में से करीब 3.67 करोड़ संदिग्ध और 1.69 करोड़ फर्जी हैं। रिपोर्ट में साफ बताया गया है कि आयुष्मान योजना के तहत मृतक लोगों को भी पैसा दिया जा रहा है। एक ही आईडी से अलग-अलग अस्पतालों में एक ही समय में इलाज किया जा रहा है। सीएजी के मुताबिक पूरे देश में आयुष्मान योजना के तहत 26 हजार पैनल में शामिल किए गए हैं लेकिन अस्पतालों में डॉक्टर से लेकर मशीनें और बेड़ तक नहीं हैं। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक हेल्थ स्पेंडिंग में भारत 191 देशों में 184वें नंबर पर आता है, इससे साफ दिखता है कि केंद्र सरकार की स्वास्थ्य प्राथमिकता नहीं है। सीएम अरविंद केजरीवाल जी अक्सर कहते हैं कि ‘हम गरीबी से बस एक मेडिकल बिल दूर हैं’। उस सेक्टर के लिए कोई योजना आज भी नहीं है।

आम आदमी पार्टी की वरिष्ठ नेता और मुख्य प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने आज पार्टी मुख्यालय में महत्वपूर्ण प्रेसवार्ता को संबोधित किया। प्रियंका कक्कड़ ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2018 में कहा था कि भगवान ने उनको दरिद्र नारायण की सेवा करने का एक अवसर दिया है। इसके चलते उन्होंने प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना की शुरुआत की, जिसको हम आयुष्मान भारत के नाम से भी जानते हैं। इसमें ऐसे परिवार आते हैं जिनकी कुल मासिक आय 10 हजार या उससे कम है। यह योजना सिर्फ ऐसे गरीब लोगों के लिए है। अगर ऐसे लोगों को किसी ने फ्रिज या मोबाइल गिफ्ट कर दिया हो, तो भी वह इस योजना का लाभ नहीं ले सकते हैं। इसके अलावा पिछली सरकार की तरफ से शुरू की गई दो ऐसी योजनाओं को आयुष्मान भारत योजना में शामिल कर दिया गया। इस योजना का खूब प्रचार किया गया। पीएम मोदी जी ने खुद बताया कि लोग इस योजना को मोदी केयर भी कहने लगे हैं। इसके डिजिटिलाजेशन पर भी खूब खर्च और प्रचार किया गया, ताकि हम लोग इस योजना से प्रभावित हो सके हैं।

उन्होंने कहा कि लोगों को स्वास्थ्य के ऊपर सबसे ज्यादा खर्चा टेस्ट, दवाई और एंटीबायोटिक में होता है। ऐसे में संभव है कि किसी आदमी को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत ही नहीं पड़े। आईसीएमआर के मुताबिक हमारे देश में करीब 10.1 करोड़ लोगों को डायबिटीज हैं। ऐसे में संभंव है कि डायबिटीज वाले मरीज को अस्पताल में भर्ती होने की जरुरत ही न पड़े, सिर्फ जांच और दवाइयों की जरूरत पड़े। ऐसे में आयुष्मान भारत योजना इन लोगों पर लागू नहीं होगी, क्योंकि अस्पताल में भर्ती होना जरूरी है। तभी आयुष्मान भारत योजना का लाभ ले सकेंगे। अगर किसी को कैंसर है तो ऑपरेशन तो कवर होगा, लेकिन उसके डिस्चार्ज के 15 दिन तक की ही दवाइयां योजना से दी जाएंगी। पीएम मोदी ने कैंसर की दवाइयां 800 फ़ीसदी महंगी कर दी। ऐसे में जो लोग 200-300 रुपए कमाकर अपने परिवार का पेट पालते हैं, वह कैसे दवाईयां खरीदेंगे?

प्रियंका कक्कड़ ने कहा कि स्टडी ‘ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज इंडेक्स’ के मुताबिक हमारी सरकार लोगों की हेल्थ पर जीडीपी का 2 फीसदी से भी कम खर्च करती है। हेल्थ पर खर्च करने के मामले में हमारी रैंक 154/180 है, जोकि बहुत निचले स्तर पर है। प्रधानमंत्री मोदी ने कल सदन में डब्ल्यूएचओ का एक आंकड़ा बताया था, उसी डब्ल्यूएचओ के मुताबिक हेल्थ स्पेंडिंग में भारत 191 देशों में 184 नंबर पर है। इससे दिखता है कि केंद्र सरकार की स्वास्थ्य प्राथमिकता नहीं है। नीति आयोग की 2021 की रिपोर्ट के मुताबिक देश में लगभग 40 करोड लोग मध्यम वर्ग से हैं। यह लोग प्राइवेट मेडिकल हेल्थ इंश्योरेंस भी नहीं ले सकते हैं। इनकी इनकम 10 हजार प्रति महीने से भी ज्यादा है। ऐसे में वह आयुष्मान भारत योजना का लाभ नहीं ले सकते हैं।

उन्होंने कहा कि सीएजी की रिपोर्ट से ऐसा प्रतीत होता है कि टैक्स का पैसा मोदी केयर के प्रचार में जरूर लगा है, लेकिन बेनिफिसरी तक नहीं पहुंचा है। इस योजना के तहत बताया जाता है कि 26 हजार अस्पताल पैनल में शामिल किए गए हैं। लेकिन सीएजी की रिपोर्ट कहती है कि अस्पतालों में बहुत जगह डॉक्टर, एमआरआई मशीन, सीटी स्कैन मशीन और बेड तक नहीं हैं। अस्पतालों में न्यूनतम जरुरत की मशीनें भी नहीं हैं। वहीं मोदी सरकार का कहना है कि मिनिमम रिक्वायरमेंट रखने की कोई जरूरत नहीं है। इससे साफ है की खानापूर्ति की जा रही है। सोचिए जिस अस्पताल में फैसिलिटी, डॉक्टर, बेड नहीं हैं तो लोगों का इलाज कैसे हो रहा है।

प्रियंका कक्कड़ ने कहा कि सदन में एक आंकड़ा पेश किया गया था जिसमें बताया गया कि इस योजना के लगभग 5-6 लाख लोग प्रतिदिन वेरीफाई किया जा रहे हैं। वहीं सीएजी की रिपोर्ट बता रही है करीब 10 लाख लोग एक अमान्य मोबाइल नंबर से रजिस्टर हैं। यह कौन लोग हैं? कैग रिपोर्ट बताती है कि मृतक लोगों को भी इसके तहत पैसा जा रहा है। एक ही आईडी के जरिए अलग-अलग हॉस्पिटल में एक ही समय पर इलाज किया जा रहा है। अभी 11 करोड बेनिफिसरी हैं, जिनमें से करीब 3.67 करोड़ बेनिफिसरी संदिग्ध हैं। रिपोर्ट यह भी बताती है कि करीब 1.69 करोड़ फर्जी बेनेफिशरी है, जिनका कोई अस्तित्व ही नहीं है।

उन्होंने कहा कि मैं मानती हूं कि यह चोर एथिकल होंगे, तो भी 1.68 करोड़ जो फर्जी अकाउंट है। अगर उन्होंने 50 हजार भी इस स्कीम से निकाले हैं तो भी सीधा-सीधा 8445 करोड़ का घपला बनता है। यह पैसा कहां जा रहा है? यह दरिद्र नारायण का पैसा कौन खा रहा है? क्या मोदी जी इसकी जांच करेंगे। यह स्कीम सिर्फ पेपर और टीवी पर अच्छी लगती है, इसकी हकीकत क्या है वह कल कैग रिपोर्ट ने साफ कर दी है। इसकी हकीकत आप लोग उत्तर प्रदेश में जाकर देख सकते हैं> जहां पर अस्पतालों में कोई सुविधा नहीं है। नीति आयोग ने भी उत्तर प्रदेश को हेल्थ के मामले में काफी नीचे रखा है। यही कारण है कि उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश का भी गरीब व्यक्ति इलाज कराने दिल्ली आते हैं। दिल्ली सरकार के जीटीबी हॉस्पिटल में अभी करीब 50 फीसदी लोग उत्तर प्रदेश से आए हैं। अगर उनको यूपी में इलाज मिल रहा होता, तो यहां आने की जरूरत ही नहीं थी। सीएजी रिपोर्ट ने बताया कि सबसे ज्यादा फर्जीवाड़ा मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और गुजरात में हो रहा है। ऐसे में बहुत जरूरी है कि इसकी जांच हो कि दरिद्र नारायण का पैसा कौन खा रहा है?

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