दिल्ली सरकार के स्कूलों में प्राथमिक कक्षाओं में बच्चों के सीखने का साथी बन रहा तकनीकी आधारित नया इनोवेटिव लर्निंग प्रोसेस

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*टेक्नोलॉजी के ज़रिए खेल-खेल में कॉनसेप्ट्स सीख रहे बच्चे,परीक्षा के लिए रटने की आदत हुई छूमंतर

*शिक्षा मंत्री आतिशी ने एसकेवी आरामबाग में किया इस अनूठे लर्निंग प्रोसेस का निरीक्षण, बच्चों से चर्चा कर जाना उनका अनुभव

*पढ़ाई जब रटने के बजाय समझ आधारित हो तो बढ़ती है बच्चों की रुचि-शिक्षा मंत्री आतिशी

*इन क्लासेज़ में असेसमेंट भी बना मज़ेदार, सेल्फ-पेस्ड असेसमेंट द्वारा बच्चों में बढ़ा उत्साह

*बेहतर एकेडमिक प्लानिंग के लिये साल में एक बार के बजाय सीखने के हर स्तर पर हो असेसमेंट, सीखने का ये नया तरीक़ा इस दिशा में निभा रहा अहम भूमिका

*प्राथमिक कक्षाओं में ही बच्चों में सीखने को लेकर उत्सुकता को देखकर साफ़ की शिक्षा विभाग सही दिशा में काम कर रहा है-शिक्षा मंत्री आतिशी

*सीखने-सिखाने की प्रक्रिया में अपनाए इस बदलाव से बढ़ा बच्चों का अटेंडेंस, 7 से 10% तक की वृद्धि देखने को मिली

*केजरीवाल सरकार के सभी सर्वोदय स्कूलों में कक्षा दूसरी से पाँचवी तक में अपनाया गया सीखने का ये अनूठा तरीक़ा

प्राथमिक कक्षाओं में लर्निंग को और भी ज़्यादा रोचक बनाने की दिशा में केजरीवाल सरकार अपने स्कूलों में लगातार इनोवेटिव तरीक़ों को अपना रही है। इस दिशा में केजरीवाल सरकार के सभी सर्वोदय स्कूलों में कक्षा 2 से पाँच के लिए एक अनूठे तकनीकी आधारित लर्निंग प्रोसेस को अपनाया गया है।

सीखने की इस अनूठी प्रक्रिया और बच्चों पर इसके प्रभाव को जानने के लिए शिक्षा मंत्री आतिशी ने सोमवार को सर्वोदय कन्या विद्यालय, आरामबाग का दौरा कर क्लासरूम का निरीक्षण किया व बच्चों से बातचीत की। बता दें कि, एक पायलट प्रोजेक्ट के बाद, दिल्ली सरकार के सभी सर्वोदय स्कूलों में तकनीकी आधारित लर्निंग प्रोसेस शुरू किया गया है।

बता दें कि, केजरीवाल सरकार के सर्वोदय स्कूलों में अपनाया गया ये लर्निंग प्रोसेस एक सॉफ्टवेयर व टेक्नोलॉजी बेस्ड इंटरवेंशन है, जिसका उद्देश्य सीखने-सिखाने के पारंपरिक तरीक़े से उलट क्लास को मज़ेदार बनाते हुए बच्चों की गतिशीलता को बढ़ाना है और लर्निंग प्रक्रिया में छात्रों की रुचि को बढ़ाना है। ये छात्रों को विभिन्न विषयों के बारे में गहराई से जानने के साथ-साथ पीयर असेसमेंट और सेल्फ असेसमेंट को भी प्रोत्साहित करता है। ऐसे में लर्निंग प्रोसेस में छात्रों की रुचि बढ़ने के साथ-साथ उनकी अटेंडेंट भी बढ़ी है।

क्लासरूम के निरीक्षण के मौक़े पर उत्साह व्यक्त करते हुए शिक्षा मंत्री आतिशी ने कहा कि, ऐसे अनूठे इनोवेशन हमारी शिक्षा प्रणाली के लिए एक गेम-चेंजर साबित हो सकते है। ये प्रक्रिया न केवल सीखने की पूरी प्रक्रिया में बच्चों की रुचि बनाये रखती है बल्कि लगातार हर स्टेज पर बच्चों का असेसमेंट भी होता रहता है। जिससे शिक्षक बच्चों की सीखने संबंधित ज़रूरतों को समझते है और अपने पढ़ाने के तरीक़ों में बदलाव ला पाते है।

उन्होंने कहा कि जब पढ़ाई रटने के बजाय समझ आधारित हो जाती है तो बच्चों की रुचि बढ़ती है। और सीखने के इस अनूठे प्रक्रिया में हमें इसके नतीजे भी देखने को मिले है। जहां क्लासरूम में न केवल बच्चों की भागीदारी बढ़ी है बल्कि क्लासरूम के अटेंडेंट में भी लगभग 7 से 10% की वृद्धि देखने को मिली है।

उन्होंने कहा कि, सीखने की पारंपरिक पद्धति के उलट इस अनूठी प्रक्रिया का फोकस यह आईडिया है कि शिक्षा प्रत्येक छात्र के लिए रोमांचक और प्रेरक होनी चाहिए। हमारा मानना ​​है कि जब छात्र सक्रिय रूप से सीखने में शामिल होते हैं, तो वे रटने के बजायें कॉनसेप्ट्स की गहरी समझ विकसित करते हैं और लाइफटाइम स्किल्स डेवलप करते है।

उल्लेखनीय है कि कांत लर्निंग अमेरिकी आईआईटियन हृदयेश कांत द्वारा डेवलप्ड एक हाईली एंगेज्ड लर्निंग प्रोसेस है। यह हर स्तर पर हर बच्चे तक क्वालिटी एजुकेशन पहुँचाने की दिशा में एक शानदार समाधान है।
इस प्रक्रिया का मुख्य सिद्धांत छात्रों की ऊर्जा और रुचि का उपयोग करना, पीयर लर्निंग व असेसमेंट को बढ़ावा देना और कक्षा के भीतर कम्पटीशन की बेहतर भावना को बढ़ावा देना है।

कैसे काम करता है ये लर्निंग प्रोसेस?

-> छात्रों को क्रमबद्ध तरीके से टीवी के सामने बैठाया जाता है। बैठने का क्रम टीवी के बगल में लीडर बोर्ड पर दिखाई देता है।

-> कठिनाई के बढ़ते स्तर की स्क्रिप्ट वाले सवालों को टीवी पर दिखाया जाता हैं।

-> छात्र टीवी स्क्रिप्ट के निर्देशानुसार सवालों के जबाव लिखते है और फिर एक-दूसरे के उत्तर जांचते हैं।

-> सही जबाव देने वाले विद्यार्थियों को लीडर बोर्ड में ऊपर ले जाया जाता है और उनकी सीटों की अदला-बदली भी की जाती है।

-> जैसे ही छात्र लीडर बोर्ड के शीर्ष पर पहुंचते हैं, तो उन्हें उन्हें अगली लाइन में भेज दिया जाता है जहां उन्हें उच्च स्तर की कठिनाई वाले सवालों का हल निकालना होता है।

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