सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता एवं लेखिका एलेक्सशेनदरा वीनस बख़्शी ने हाल ही में अपनी एक किताब लिखी । इस किताब का नाम “ आरंभ की 11 कहानियाँ “ हैं।एलेक्सशेनदरा वीनस बख़्शी सुप्रीम कोर्ट की एक अधिवक्ता हैं और इसके साथ-साथ लेखिका और समाज सेविका भी हैं। विशेषकर घरेलू हिंसा से पीड़ित महिलाओं की मदद और उनके हकों के लिए लड़ना। एलेक्सशेनदरा वीनस बख़्शी पीड़ित महिलाओं की आवाज़ उठाती रही है। टोटल ख़बरें के वरिष्ठ संवाददाता राजेश खन्ना द्वारा जब एलेक्सशेनदरा वीनस बख़्शी के साथ विशेष साक्षात्कार ज़ूम ऐप पर विशेष संवाद किया । इस संवाद के दौरान उन्होंने क्या कहा । पेश है साक्षात्कार के कुछ अंश इस विशेष रिपोर्ट में।
एलेक्सशेनदरा वीनस बख़्शी जी आप एक अधिवक्ता है और इसके साथ-साथ लेखिका और समाजसेवीका भी है और अभी हाल ही में आपने एक किताब लिखी है । इस किताब का नाम “ आरंभ की 11 कहानियाँ “ है । इसकी प्रेरणा आपको कहाँ से मिली । इस पर एलेक्सशेनदरा वीनस बख़्शी ने उत्तर देते हुए कहा कि वह अक्सर श्लोक और स्कूलों की मैगज़ीन में कविता वग़ैरह लिखती रही है । इससे उनको किताब लिखने का अवसर प्रदान हुआ । इस किताब का नाम “आरंभ की 11 कहानियाँ” है । जिसमें रोज़मर्रा के जीवन के ऊपर कहानियों की ये किताब क़रीब 240 पन्नों की है । इसलिए उन्हें अपनी एक किताब जिसका नाम आरंभ की 11 कहानियाँ है । इसमें अलग अलग विषयों पर छोटी छोटी कहानियां है ।
एलेक्सशेनदरा वीनस बख़्शी से जब पूछा गया कि वे पीड़ित महिलाओं के हकों के लिए भी लड़ती है । समाज सेवा में भी रुचि रखती हैं । वे ये सब कैसे कर पाती हैं । इस पर उन्होंने कहा कि जो महिलाएँ जागरूक नहीं होती हैं या घरेलू हिंसा से पीड़ित होती है, अपने केस को आगे बढ़ाने में असमर्थ रहती हैं उन्हें वह क़ानूनी सहायता देती है और उनकी मदद भी करती हैं, उनके हक़ों के लिए वह खड़ी रहती हैं । महिलाओं को जागरूक किया जाता है । यहाँ तक की पीड़ित महिलाओं को क़ानूनी सहायता भी देने का प्रयास करती हैं । महिलाओं के उत्थान के लिए वह विशेष कोशिश करती रही हैं । ख़ासकर की जो वंचित वर्ग की महिलाएँ और जो ग़रीब महिलाएँ होती । उनके हकों के लिए भी वह मदद के लिए प्रयास करती है ।
एलेक्सशेनदरा वीनस बख़्शी से जब पूछा गया कि अभी हाल ही में संसद में महिलाओं के लिए राजनीति में समान अवसर के लिए संसद में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण बिल को पारित किया गया, परंतु बिल परिसीमन के बाद लागू होगा । अगले संसदीय या विधानसभा चुनावों में महिलाओं की 33 प्रतिशत भागीदारी होगी। महिलाएँ इस बार चुनाव में अपना भाग्य 33 प्रतिशत आरक्षित नहीं अज़मा पाएंगी । बिल पास हो चुका है । लेकिन ये बिल लागु परिसीमन के बाद ही हो पाएगा । इस पर एलेक्सशेनदरा वीनस बख़्शी ने उत्तर देते हुए कहा कि ये एक पुरुष प्रधानता की सोच की ओर दर्शाता है । इसलिए अगर संसद में बिल पास हो चुका है । उसे लागू हो जाना चाहिए था । परिसीमन होने का इंतज़ार क्यों करना चाहिए । एलेक्सशेनदरा वीनस बख़्शी से पूछा गया कि लोगों को उनकी किताब किस प्लैटफ़ॉर्म पर उपलब्ध होगी । इस पर उन्होने कहा कि ऑनलाइन शॉपिंग ऐप पर उनकी किताब उपलब्ध है ।
एलेक्सशेनदरा वीनस बख़्शी से जब पूछा गया कि आरंभ की 11 कहानियों के कुल कितने पन्नों की ये किताब है । इस पर उन्होंने उत्तर देते हुए कहा कि उनकी किताब के कुल के क़रीब 240 पन्ने है । एलेक्सशेनदरा वीनस बख़्शी से पूछा गया कि उनकी अगली किताब कौन सी और किस विषय पर आने वाली है । उन्होंने उत्तर देते हुए कहा कि जल्द ही उनकी दूसरी किताब जो कि समाज में ग्राउंड वर्क फॉर सोशल एंड एथिकल विषय पर भी आएगी ।
एलेक्सशेनदरा वीनस बख़्शी से पूछा गया कि वे पीड़ित महिलाओं के लिए मदद करती हैं और उन्हें क़ानूनी सहायता भी उपलब्ध करवाती है । कोई एक पीड़ित महिला का विशेष अनुभव अगर वह साँझा करना चाहती हो। उन्होंने पंजाब की एक पीड़ित महिला के मामले को साँझा करते हुए बताया कि पीड़ित महिला ससुराल के अत्याचार से परेशान थी । इस मामले को लेकर उन्होंने साझा किया ।
आख़िर में एलेक्सशेनदरा वीनस बख़्शी टोटल ख़बरें के वरिष्ठ संवाददाता राजेश खन्ना साथ बातचीत का अनुभव अच्छा बताया। जल्द ही उनकी दूसरी किताब प्रकाशित हो इसके लिए उन्हें शुभकामनायें दी गई।