कांग्रेस बोली- किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य देने के अपने वादे से पलटने पर माफ़ी मांगें पीएम मोदी

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*स्वामीनाथन कमीशन की 201 सिफ़ारिशों में से यूपीए सरकार ने 175 सिफारिशें लागू कर दी थी

*दिल्ली कूच के लिए जा रहे किसानों को बलपूर्वक रोके जाने की कांग्रेस ने की कड़ी निंदा

कांग्रेस ने 2014 लोकसभा चुनाव से पहले किसानों को फसलों पर एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) देने के नरेंद्र मोदी के वादे की याद दिलाई है। प्रधानमंत्री मोदी को घेरते हुए कांग्रेस मीडिया व पब्लिसिटी के चेयरमैन और पार्टी प्रवक्ता पवन खेड़ा ने दिल्ली कूच के लिए जा रहे किसानों को बलपूर्वक रोके जाने की भी कड़ी निंदा की। उन्होंने याद दिलाया कि स्वामीनाथन कमीशन की 201 सिफारिशें में से यूपीए सरकार 175 सिफारिशें लागू कर चुकी थी। बची हुई सिफारिशें में सबसे महत्वपूर्ण न्यूनतम समर्थन मूल्य से जुड़ी घोषणा मंगलवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी द्वारा कर दी गई है।

नई दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता में पवन खेड़ा ने कहा कि मोदी सरकार कहती है कि स्वामीनाथन कमीशन को कांग्रेस ने लागू नहीं किया है। लेकिन सच्चाई यह है कि स्वामीनाथन कमीशन में 201 सिफारिशें थी, जिसमें यूपीए सरकार 175 सिफारिशें लागू कर चुकी थी। उसमें 26 सिफारिशें बची थी, जिसमें सबसे महत्वपूर्ण न्यूनतम समर्थन मूल्य से जुड़ी घोषणा मंगलवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी द्वारा कर दी गई। किसानों को फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी देने का यह फैसला ऐतिहासिक है। इससे देश के 62 करोड़ किसानों को फायदा होगा। इससे भाजपा के कई नेता बौखला गए हैं और उन्होंने इस पर झूठ एवं दुष्प्रचार फैलाना शुरू कर दिया है।

प्रधानमंत्री मोदी को निशाने पर लेते हुए खेड़ा ने कहा कि प्रधानमंत्री बनने से पहले गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए नरेंद्र मोदी न्यूनतम समर्थन मूल्य के बहुत बड़े वकील बनकर सामने आए थे। मार्च 2011 में गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए नरेंद्र मोदी ने रिपोर्ट ऑफ वर्किंग ग्रुप ऑन कंज्यूमर अफेयर्स के चेयरमैन होने के नाते कहा था कि अगर एमएसपी सुनिश्चित हो तो किसानों को उत्पादन बढ़ाने में प्रोत्साहन मिलेगा। इस रिपोर्ट में एमएसपी को लागू करने की बात कही गई थी। 2014 लोकसभा चुनाव में प्रचार के दौरान नरेंद्र मोदी जी ने किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य देने और उत्पादन लागत पर 50 प्रतिशत लाभ का झूठा वादा किया, इसके बाद वह प्रधानमंत्री बन गए। प्रधानमंत्री मोदी का झूठ तब सामने आया जब न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दाखिल हुआ, जिसमें मोदी सरकार ने साफ कहा कि उत्पादन लागत पर 50 प्रतिशत लाभ कभी भी किसान को नहीं दिया जा सकता। 3 जुलाई, 2016 को केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने एक आरटीआई के जवाब में लिखित कहा है कि फसलों की उत्पादन लागत पर 50 प्रतिशत लाभ से बाजार में विकृति आ सकती है। प्रधानमंत्री मोदी ने न सिर्फ अपना वादा तोड़ा, बल्कि किसानों के रास्ते पर कील बिछवाई और किसानों को उपद्रवी कहा गया। 2014 का भाजपा का घोषणापत्र हो या मुख्यमंत्री मोदी की कमेटी की सिफ़ारिश, एमएसपी की क़ानूनी गारंटी देने पर मोदी सरकार पलटी है।

खेड़ा ने कहा कि जब पिछली बार किसान तीन काले कानूनों को लेकर धरना दे रहे थे, तब प्रधानमंत्री मोदी ने उनसे माफी मांगते हुए कहा था कि मैं तीनों कानून वापस लेता हूँ। न्यूनतम समर्थन मूल्य की समस्या का समाधान निकालने के लिए जल्द ही एक कमेटी बनेगी। आज इन बातों को दो साल से ऊपर हो गए, कोई कमेटी नहीं बनाई गई। आज जब किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर फिर से धरना दे रहे हैं, तो उनपर रबर की गोलियां चलाई जा रही हैं, आंसू गैस के गोले छोड़े जा रहे हैं, रास्ते में कीलें बिछाई जा रही हैं।

खेड़ा ने कहा कि किसानों पर जो अत्याचार और अन्याय भाजपा एवं मोदी सरकार ने किया है, वो आज़ादी के बाद किसी भी सरकार ने नहीं किया है। प्रधानमंत्री मोदी किसानों से झूठ बोलने, किसानों को आतंकवादी और विदेशी एजेंट कहे जाने के लिए भी मांफी मांगें।

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