Yodha Review: सिद्धार्थ मल्होत्रा बन ही गए बॉक्स ऑफिस के ‘योद्धा’, सागर आम्ब्रे और पुष्कर ओझा का शानदार डेब्यू

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करण जौहर ने बतौर निर्माता कई नई प्रतिभाओं को मौका दिया है। इनमें से पहचाने जाने वाले चेहरे चूंकि फिल्मी परिवारों से होते हैं तो लोग उनकी तरफ ही ज्यादा लपकते हैं। करण इस बार दो ऐसे नए होनहार फिल्म ‘योद्धा’ में लाए हैं जिनकी तरफ अब तक लोगों का ध्यान कम ही गया है। लेकिन, इस फिल्म के बाद ये दोनों हिंदी सिनेमा के काबिल निर्देशकों के साथ ही साथ नई पसंद के निर्देशकों में भी अपना नाम लिखाने में कामयाब होते दिख रहे हैं। आदित्य धर और सिद्धार्थ आनंद जैसे न्यू एज निर्देशकों की शागिर्दी में अपना हुनर तराशते रहे सागर आम्ब्रे और पुष्कर ओझा को करण जौहर ने बड़ा मौका दिया है फिल्म ‘योद्धा’ के निर्देशन की जिम्मेदारी सौंपकर और दोनों ने अपनी पहली ही फिल्म में साबित कर दिया है कि निर्माता उनके साथ हो तो वे भी ‘पठान’ और ‘जवान’ जैसी फिल्म बनाने का माद्दा रखते हैं।

उम्मीदों से कहीं आगे की फिल्म

सच पूछा जाए तो फिल्म ‘योद्धा’ को देखने की दिलचस्पी जगाने लायक कोई काम फिल्म की मार्केटिंग टीम ने फिल्म की रिलीज के दिन तक नहीं किया है। सिद्धार्थ मल्होत्रा को देश भर के अलग अलग शहरों में घुमाने के बाद भी इस फिल्म की हाइप सही दिशा में नहीं बनाई गई है। फिल्म ‘योद्धा’ इस साल की पहली सटीक सस्पेंस, एक्शन थ्रिलर है। जीरो फीसदी उम्मीद के साथ शुरू होने वाली फिल्म अपने उपसंहार तक आते आते सौ में 80 नंबर ले जाती है तो इसका सबसे बड़ा क्रेडिट फिल्म के दोनों निर्देशकों को जाता है। फिल्म की पटकथा इतनी चुस्त और परतों वाली है कि दर्शक लगातार इसकी पहेलियां सुलझाने में ही उलझा रहता है। सिद्धार्थ मल्होत्रा के अभिनय क्षमता की अपनी सीमाएं रही हैं, लेकिन इस बार इनसे आगे जाने की कोशिश भी उन्होंने की है। फिल्म का सबसे बड़ा मजबूत पक्ष है इसकी तीनों मुख्य अभिनेत्रियों को मिले अच्छे किरदार।

सागर आम्ब्रे और पुष्कर ओझा की जोड़ी ने मिलकर फिल्म का डायरेक्शन किया है। इन दोनों ने फिल्म में सस्पेंस और एंटरटेनमेंट फैक्टर बनाकर रखा है। VFX और बैकग्राउंड स्कोर बेहतर है। फिल्म के कुछ सीक्वेंस थोड़े बोरिंग लगते हैं। एकाध किरदार ऐसे हैं, जो समझ में नहीं आते कि रखे किस लिए गए हैं। फर्स्ट हाफ में आप कई जगह जम्हाइयां लेंगे। सेकेंड हाफ में फिल्म रफ्तार पकड़ती नजर आती है।

फिल्म में बी प्राक का गाना ‘किस्मत बदल दी’ और ‘तिरंगा’ सीक्वेंस के साथ जंचता है। थिएटर में ये गाने सुनने में अच्छे लगे। चूंकि फिल्म का जॉनर ऐसा है कि इसमें म्यूजिक को सोच समझ कर रखा गया है।

एक्शन सीक्वेंस और सिद्धार्थ मल्होत्रा की एक्टिंग फिल्म का सबसे बड़ा पॉजिटिव पॉइंट है। स्क्रीनप्ले और डायरेक्शन को और बेहतर किया जा सकता था। अगर आप सिद्धार्थ मल्होत्रा के फैन हैं और उन्हें नए अवतार में देखना चाहते हैं तो इस फिल्म के लिए जा सकते हैं।

फिल्म की रेटिंग की बात करें तो हम इसे 5 में से 3.5 स्टार देंगे। ब्यूरो रिपोर्ट एंटरटेनमेंट डेस्क टोटल खबरे,मुंबई

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