दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय में मनुस्मृति या बाबरनामा जैसा कोई भी कोर्स या अध्ययन सामग्री प्रस्तुत करने की हमारी कोई योजना नहीं है। कुलपति ने कहा कि डीयू प्रशासन के सामने न तो ऐसा कोई विषय विचारणीय है और भविष्य में भी हम ऐसे विषयों को अस्वीकार करते हैं।
कुलपति ने कहा की बाबरनामा तो वैसे भी एक आताताई की आत्मकथा है। उसके पढ़ाने की न तो कोई जरूरत है और आज के समय में न ही उसकी कोई प्रासंगिकता है। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति (एनईपी 2020) के तहत हम भारतीय परम्पराओं के अनुरूप नए-नए कोर्स लाना चाहते हैं और ला भी रहे हैं, जिनसे देश और समाज का भला हो। हम विकसित भारत की ओर बढ़ रहे हैं, इस दिशा में देश की अर्थव्यवस्था कैसे मजबूत हो और समाज का दायरा कैसे बेहतर हो सके, हम इसकी ओर अग्रसर हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय अपनी अध्ययन सामाग्री इस बात को मध्यनजर रखके डिजाइन कर रहा है कि हम 2047 तक विकसित राष्ट्र के संकल्प को कैसे प्राप्त कर सकते हैं, और डीयू का उसमें क्या योगदान हो सकता है।