जब पूरी दुनिया अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस पर इस अद्भुत कला का जश्न मना रही है, अभिनेत्री संदीपा धर अपने जीवन भर के नृत्य प्रेम और उस शख्सियत को याद कर रही हैं, जिन्होंने पहली बार उनके दिल में इस जुनून को जगाया — माधुरी दीक्षित।
संदीपा कहती हैं, “नृत्य में एक ऐसी सच्चाई होती है, जिसे शब्द कभी पूरी तरह बयां नहीं कर सकते। उन्होंने आगे कहा, “नृत्य मेरे लिए दशकों से सिर्फ एक कला नहीं, बल्कि एक साधना रहा है यह दुनिया को पूरे होशो-हवास में महसूस करने का एक जरिया है।”
बचपन में संदीपा ने माधुरी दीक्षित के सहज सौंदर्य और उनकी भावनाओं से भरी प्रस्तुति को देखकर नृत्य की असली शक्ति को महसूस किया। अपनी भावना व्यक्त करते हुए संदीपा ने कहा, “माधुरी मैम को नाचते देखना किसी जीवंत कविता को देखने जैसा था। वह सिर्फ स्टेप्स नहीं करती थीं, बल्कि कहानियां सुनाती थीं, दिलों को छूती थीं। उन्होंने मुझे सिखाया कि नृत्य सिर्फ तकनीक नहीं, बल्कि सच्चाई, आत्मा और ईमानदारी से जुड़ा होता है।”
संदीपा के लिए नृत्य आज भी खुद से जुड़ने का सबसे सच्चा माध्यम है — जीवन के हर पड़ाव में।
उन्होंने आगे कहा, “नृत्य हर दिखावे को हटा देता है। यह आपको उस पल में पूरी तरह से जीवित महसूस कराता है। माधुरी मैम से मैंने सीखा है कि सच्चे और खुशी से भरे पलों में ही असली ताकत होती है।”
अपनी बात खत्म करते हुए संदीपा ने कहा, “आज मैं सिर्फ नृत्य का नहीं, बल्कि उन लोगों के जज़्बे का भी जश्न मना रही हूं जिन्होंने हमें नृत्य की असली खूबसूरती दिखाई। धन्यवाद माधुरी मैम, आपने मुझे दिल से नाचना सिखाया।”
भरतनाट्यम, जैज़ और कंटेम्पररी डांस में प्रशिक्षित संदीपा धर ने फिल्मों, वेब शोज़ और मंच पर अपनी नृत्य प्रतिभा से कई बार दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया है। अभिनय के अलावा नृत्य उनके जीवन की सच्ची पुकार है — एक ऐसा जुनून जिसे वह अनुशासन, समर्पण और अटूट आत्मा के साथ जीती हैं। अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस पर संदीपा न सिर्फ इस अमर कला का जश्न मना रही हैं, बल्कि उन प्रेरणाओं को भी नमन कर रही हैं जिन्होंने उनके नृत्य सफर को आकार दिया, और अपने दिल, ईमानदारी और अपार प्रेम से नृत्य करते रहने के अपने संकल्प को फिर से दोहरा रही हैं।