अनुसूचित जनजातियों के स्कूली विद्यार्थियों हेतु डीयू ने किया ‘जयहिंद’ योजना का शुभारंभ

Listen to this article

*डीयू के साथ दिल्ली को भी जानने का मौका, इसका लाभ उठाएं विद्यार्थी: डॉ. विनीत जोशी

*कौशल प्रशिक्षण के साथ सीयूईटी के बारे में भी जानकारी लेंगे मणिपुर के विद्यार्थी: प्रो. योगेश सिंह

दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा जनजातीय इमर्सिव होलिस्टिक इंटरवेंशन फॉर नोवल डेवलपमेंट (जयहिंद) नामक एक नई योजना शुरू की गई है। इस योजना का शुभारंभ डीयू के वाइस रीगल लॉज स्थित काउंसिल हॉल में किया गया। इस अवसर पर शिक्षा मंत्रालय के सचिव डॉ. विनीत जोशी मुख्य अतिथि रहे और कार्यक्रम की अध्यक्षता डीयू कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने की। इस अवसर पर कुलपति ने बताया कि जयहिंद योजना का उद्देश्य अनुसूचित जनजातियों, विशेष रूप से दूरदराज के क्षेत्रों से, से संबंधित स्कूली विद्यार्थियों (9वीं कक्षा से 12वीं कक्षा तक) को कौशल प्रशिक्षण प्रदान करना है ताकि वह एक स्थायी आजीविका हासिल करने की क्षमता प्राप्त कर सकें।

कुलपति ने बताया कि इन विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा तक बेहतर पहुँच के लिए तैयार करने हेतु कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (सीयूईटी) के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी जाएगी। यह योजना पहली बार 17 जून 2025 से दो सप्ताह की अवधि के लिए लागू की गई है। इसमें मणिपुर के उखरूल जिले के चार सरकारी स्कूलों के 25 विद्यार्थियों (12 लड़कियां और 13 लड़के) का चयन योग्यता के आधार पर किया गया है। ये सभी विद्यार्थी तांगखुल नागा जनजाति के हैं, जो एक अनुसूचित जनजाति है। इन्हें 17 से 29 जून 2025 तक कौशल प्रशिक्षण और सीयूईटी ओरिएंटेशन दिया जाएगा। कुलपति ने योजना के लिए चयनित बच्चों से कहा कि वे इस मौके का भरपूर लाभ उठाएं। अगर किसी भी प्रकार की कोई दिक्कत महसूस हो तो हमें बताएं। दिल्ली विश्वविद्यालय उनकी हर प्रकार से सहायता के लिए तैयार है। 

मुख्य अतिथि डॉ. विनीत जोशी ने चुने गए विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि उनके लिए यह एक स्वर्णिम अवसर है। यहां उन्हें दिल्ली विश्वविद्यालय के साथ-साथ दिल्ली को भी जानने का मौका मिलेगा; वे इसका भरपूर लाभ उठाएं। उन्होंने बताया कि उनकी पहली पोस्टिंग मणिपुर में ही रही और वे उखरुल जिला के उपायुक्त भी रहे हैं। उन्हें पता है कि वहां किस तरह की समस्याएं हैं। उन्होंने विश्वास जताया कि अनुसूचित जनजातियों के ये विद्यार्थी दिल्ली विश्वविद्यालय से बहुत कुछ नया सीख कर जाएंगे जो इनके जीवन में बहुत काम आएगा। उन्होंने विद्यार्थियों को जानकारी देते हुए कहा कि देश के सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों में प्रवेश सीयूईटी के माध्यम से ही होता है। इसलिए आपको उच्चतर शिक्षा की योजना बनाने में भी यहां से बहुत सहायता मिलेगी। डॉ. विनीत जोशी ने प्रधानमंत्री विद्यालक्ष्मी योजना के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि इस योजना का उद्देश्य मेधावी विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना है। आर्थिक रूप से कमजोर विद्यार्थी इस योजना के माध्यम से बिना किसी वित्तीय बाधा के उच्च शिक्षा प्राप्त करने में सक्षम हो सकते हैं।

कार्यक्रम के आरंभ में डीयू कुलसचिव डॉ विकास गुप्ता ने सभी चयनित विद्यार्थियों को दिल्ली विश्वविद्यालय के बारे में संक्षिप्त जानकारी दी। डीयू की डीन अकादमिक प्रो. के. रत्नाबली ने जयहिंद योजना के बारे विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि इन विद्यार्थियों के लिए प्रशिक्षित किए जाने वाले कौशल का चयन स्थानीय संदर्भ में उनकी प्रासंगिकता को ध्यान में रखते हुए किया गया है। उदाहरण के लिए, कृत्रिम कंटेनरों में मछली पालन और मछली चारा बनाने के कौशल का चयन इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए किया गया है कि पहाड़ों में कोई प्राकृतिक स्थिर जल निकाय नहीं हैं जहां मछली पालन किया जा सके; आवश्यक तेल निष्कर्षण कौशल का चयन कचई नींबू (जीआई टैग प्रदान किया गया है) के साथ-साथ सुगंधित जड़ी-बूटियों की उपलब्धता को देखते हुए किया गया है। कार्यक्रम के आरंभ में डीएसडब्ल्यू प्रो. रंजन कुमार त्रिपाठी ने स्वागत किया और कार्यक्रम के समापन पर  डीएसडब्ल्यू की ज्वाइंट डीन डॉ. संगीता गदरे ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर डीयू के डीन ऑफ कॉलेजेज़ प्रो. बलराम पाणी, दक्षिणी परिसर के निदेशक प्रो. श्री प्रकाश सिंह, एसओएल की निदेशक प्रो. पायल मागो, रजिस्ट्रार डॉ विकास गुप्ता और डीयू पीआरओ एवं चेयरपर्सन कल्चर काउंसिल अनूप लाठर सहित अनेकों अधिकारी, शिक्षक और जयहिंद योजना में चयनित सभी विद्यार्थी उपस्थित रहे।  

Print Friendly, PDF & Email

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *