*मधुमिता द्वारा निर्देशित कालिधर लापता का प्रीमियर 4 जुलाई को ZEE5 पर किया जाएगा
राष्ट्रीय, 21 जून 2025: जब एक व्यक्ति, जिसे उसके अपने परिवार ने ठुकरा दिया हो, अपनी ज़िंदगी फिर से संवारने का फैसला करता है और उसके पास केवल उसके बेखौफ जज़्बे, अधूरी ख्वाहिशों की एक भूली-बिसरी सूची और एक 8 वर्षीय अनाथ बालक का साथ हो, तो क्या होता है? ZEE5 ने आज कालिधर लापता का बहुप्रतीक्षित ट्रेलर रिलीज़ किया, यह एक दिल को छू लेने वाली ड्रामेडी है जो जीवन, खोने, हंसी और अनपेक्षित साथी के रूप में मिलने वाली आज़ादी की खूबसूरती को दर्शाती है। इस फिल्म में ज़ीशान अय्यूब और दैविक भागेला भी महत्वपूर्ण भूमिकाओं में दिखाई देंगे। यह फिल्म 4 जुलाई को ZEE5 पर प्रीमियर होगी।
ज़ी स्टूडियोज़ और एम्मे एंटरटेनमेंट द्वारा निर्मित और मधुमिता द्वारा निर्देशित इस फिल्म में अभिषेक बच्चन कालिधर की भूमिका निभा रहे हैं — एक ऐसा मध्यम आयु का व्यक्ति जो याददाश्त खोने, ठुकरा दिए जाने और उम्रभर के मौन विश्वासघातों से जूझ रहा है। जब वह अपने भाई-बहनों की यह निर्मम योजना सुन लेता है कि वे उसे भीड़ भरे महाकुंभ के मेले में छोड़ आएंगे, तो कालिधर अपने शर्तों पर गायब होने का निर्णय लेता है। तभी किस्मत उसे बल्लू (दैविक भागेला) से मिला देती है, एक बेबाक, चतुर 8 वर्षीय अनाथ बच्चा जो भारत की भाग-दौड़ भरी सड़कों पर अकेले अपने दम पर जिंदा है। जो मुलाक़ात संयोग से शुरू होती है, वही एक गहरे और अर्थपूर्ण सफर की शुरुआत बन जाती है।
कालिधर लापता सिर्फ़ एक रोड मूवी नहीं है – यह यादों, पहचान और इस सवाल की एक भावनात्मक यात्रा है कि असल मायनों में किसी को समझना आखिर क्या होता है। भारत के ग्रामीण और प्राकृतिक सुंदरता की पृष्ठभूमि में रची-बसी यह फिल्म इस असामान्य जोड़ी का पीछा करती है, जो कालिधर के भूले-बिसरे सपनों को पूरा करते हैं, अधूरी जिंदगियों के पलों को फिर से जीते हैं और ऐसा रिश्ता बनाते हैं जो उम्र, तर्क और समय, तीनों की सीमाओं से परे है।
अपने मूल में कालिधर लापता दूसरी शुरुआतों का उत्सव है और उस खामोश क्रांति की कहानी है जहां खुशी वहां मिलती है जहां आपने इसकी उम्मीद तक नहीं की होती। यह फिल्म पारिवारिक उपेक्षा, आज़ादी और उस गहरी मानवीय आवश्यकता की पड़ताल करती है जहां इंसान चाहता है कि उसे बिना किसी निर्णय या पूर्वाग्रह के समझा जाए। कालिधर और बल्लू की यात्रा के ज़रिए यह फिल्म हमें याद दिलाती है कि कभी-कभी राहत या सुकून टूटे हुए को जोड़ने से नहीं, बल्कि उसकी अधूरापन और खामियों को अपनाकर पूरी तरह जीने का फैसला करने से मिलती है।
अभिषेक बच्चन ने कहा, “एक अभिनेता के तौर पर हम अक्सर ऐसी कहानियों की उम्मीद करते हैं जो पहले हमें भीतर तक छू जाएं और फिर दूसरों को। कालिधर लापता ने मेरे साथ ठीक यही किया। कालिधर का किरदार निभाना सिर्फ एक भूमिका नहीं थी, यह मेरे लिए एक आत्मिक अनुभव था। वह नाजुक है, मासूम है और बेहद मानवीय है—और उसके ज़रिए मैं खुद के उन हिस्सों तक पहुंचा जिन्हें मैंने लंबे समय से नहीं टटोला था। उसका और बल्लू का रिश्ता—एक निडर, बेखौफ बच्चा—मुझे यह याद दिलाता रहा कि ज़िंदगी में सबसे अनपेक्षित दोस्तियां हमें सबसे गहरे सबक सिखा जाती हैं। सबसे बढ़कर, इसने मुझे ये सोचने पर मजबूर किया कि हम ज़िंदगी को सालों में नहीं, बल्कि उन लम्हों में मापते हैं, जहाँ हमें सच्चा जुड़ाव, हिम्मत और सच्चाई महसूस होती है। कालिधर लापता मेरी फिल्मी यात्रा की एक और ऐसी फिल्म है जिस पर मुझे बेहद गर्व है। पिछले कुछ वर्षों से मैं जानबूझकर ऐसी कहानियाँ ढूंढ रहा हूँ जो भावनात्मक गहराई, सच्चाई और कुछ सार्थक संदेश लेकर आएं और इस फिल्म ने हर उस कसौटी को पूरा किया हैं। यह एक ऐसी कहानी है जिसने मेरी आत्मा को छुआ, और मैं उम्मीद करता हूँ कि यह आपकी आत्मा को भी छुए।”
निर्देशक मधुमिता ने कहा, “कालिधरलापता के जरिए मैं ऐसी कहानी कहना चाहती थी जो व्यक्तिगत भी हो और सार्वभौमिक भी। इसने मुझे परित्याग, गरिमा और मानवीय जुड़ाव की उद्धारक शक्ति जैसे विषयों को तलाशने का एक मंच दिया। कालिधर ऐसा किरदार है जिससे हममें से कई लोग जीवन में कभी न कभी मिले हैं या शायद खुद भी उस स्थिति में रहे हैं — एक ऐसा इंसान जिसे ज़िंदगी ने हाशिये पर लाकर खड़ा किया हो, लेकिन जिसके भीतर फिर भी एक शांत लेकिन अडिग हिम्मत की लौ जलती रहती है। बल्लू उसकी परछाई, रोशनी, और उसका अनचाहा सहारा बनता है। इस फिल्म की सबसे सुखद हैरानी रही अभिषेक और दैविक की ऑन-स्क्रीन केमिस्ट्री को देखना जो बेहद कोमल, निश्छल और दिल को गहराई तक छू लेने वाली है। उन दोनों के रिश्ते में एक ऐसी ताजगी और सच्चाई झलकती है, जो फिल्म खत्म हो जाने के बाद भी आपके दिल में गूंजती रहती है। उनकी यात्रा के ज़रिए हमने यह दिखाने की कोशिश की है कि ज़िंदगी के सबसे बिखरे और टूटे हुए अध्यायों में भी सुंदरता, अर्थ और अपनेपन की जगह बची रहती है। मेरे लिए यह महज़ एक फिल्म नहीं है — यह एक शांत आत्मचिंतन है कि असल मायनों में किसी की वास्तविकता के साथ समझना और दिल से, बिना शर्त अपनाया जाना क्या होता है।
कालिधर लापता 4 जुलाई को ZEE5 पर प्रीमियर होगी