कावेरी कपूर की जोशीली कविता शक्ति, दर्द और मौन की कीमत को बयां करती है

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*कावेरी कपूर की नवीनतम कविता दुनिया के लिए एक झटका और एक चेतावनी है

*दिल टूटना, उम्मीद और आग: कावेरी कपूर की कविता एक ऐसी दुनिया की बात करती है जो संकट में है

कावेरी कपूर एक बेहतरीन गायिका, गीतकार और संगीतकार हैं—यह तो हम जानते ही थे। लेकिन वह एक ऐसी कवयित्री भी हैं जिनके शब्द सीधे दिल में उतरते हैं? इसका हमें अंदाज़ा नहीं था। अपनी हालिया कविता में कावेरी ने दिल से लिखा—एक ऐसा दिल जो टूटा हुआ था।

बॉलीवुड में ‘बॉबी और ऋषि की लव स्टोरी’ से डेब्यू करने वाली कावेरी ने अपनी इस कविता में कोई कसर नहीं छोड़ी। उन्होंने लिखा, “टावर गिरा, शैतान चिल्लाया ‘सत्ता’, लोग ललकार उठे — ये दुनिया हमारी है।” सच्चे, लयबद्ध, एवं जागने और उठने के आह्वान की तरह पढ़ते हुए, उन्होंने एक बेहद साधारण लेकिन भारी-भरकम कैप्शन के साथ पोस्ट किया:
“आज दुनिया की हालत देख कर दिल टूट जाता है :(“

उनकी कविता इस प्रकार है, “द टॉवर फेल, द डेविल येल ‘पॉवर’ एंड इन अ लाइटिंग बोल्ट यू कम टू टाउन टेनेड आवर चिल्ड्रेन एंड स्टोलेन आवर क्राउन। वी डिगेस्ट इट लाइक टर्पेन्टाइन, लॉक आवर डोर एंड टेक साइड। आई डेयर यू टू लुक मी इन द आइज़। आई डेयर यू टू सी, आई डेयर यू टू क्राई। आई डेयर यू टू बी सो अलाइव, फील द हीट ऑफ द वर्ल्ड ऑन फायर। आई डू लव टू सिंग ऑफ लव एंड लाइट, एंड डांसिंग इन द रेन विद द लव ऑफ आवर लाइफ। आई प्रेय टू सिंग ऑफ लव एंड लाइट, बट द डेविल येलड पॉवर, सो नाउ इट्स टाइम टू राइड। वी डिगेस्ट इट लाइक टर्पेन्टाइन, ड्रिंक द पोईज़न, कॉल इट लाइफ। बी ब्रेभ इनफ टू लुक ट्वाइस, ईवेंन इफ वेनोम इज बर्निंग योर आईज़। द टॉवर फेल, द डेविल येल्स ‘पॉवर’, द पीपल शाउट बैक, द वर्ल्ड इज आवर्स।”

नीचे उसकी पोस्ट देखें:

https://www.instagram.com/p/DLHWs7Cy3Wo

कावेरी ने उन भावनाओं को शब्दों में पिरोया है जो शायद बीते कुछ महीनों से पूरी दुनिया सामूहिक रूप से महसूस कर रही है – उथल-पुथल, ग़ुस्सा, संवेदनाएं और दुःख। कावेरी ने बहुत ही चतुराई से भ्रष्टाचार और सत्ता के बारे में एक मजबूत संदेश दिया, कि कैसे सत्ता मासूमियत को निगल जाती है, कैसे लोगों को मजबूर किया जाता है कि वे पक्ष चुनें, अपने दरवाज़े बंद कर लें, एक-दूसरे को देखना बंद कर दें।

लेकिन इस आग और आक्रोश के बीच, उनकी कविता में एक उम्मीद की लौ भी है—प्रेम की, कोमलता की, बारिश में नाचने की।
यही भावना का द्वंद्व है, जिसे कावेरी ने अपने शब्दों के माध्यम से बखूबी उकेरा है।
यह केवल ग़ुस्से का इज़हार नहीं है, बल्कि इस बात का शोक है कि दुनिया किस ओर बढ़ रही है।
पर इसी टूटे दिल में एक उम्मीद भी है—बेहतर जीवन की।

कावेरी अपनी कविता का अंत निराशा से नहीं, बल्कि विद्रोह से करती हैं:
“लोग ललकार उठे — ये दुनिया हमारी है।”
यह याद दिलाने वाला संदेश है कि भले ही सत्ता चीख़ती रहे, लेकिन हम फिर भी एक साथ उठने का विकल्प चुन सकते हैं।

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