अगर मेरी फिल्म एक भी महिला की ज़िंदगी बदल पाए तो वही सबसे बड़ी दुआ होगी ‘पारो’ से समाज में बदलाव लाने की चाहत के साथ बोले ताहा शाह बदुश्शा

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‘हीरामंडी’ से दुनियाभर में पहचान बनाने के बाद अब ताहा शाह बदुश्शा अपने अगले प्रोजेक्ट में एक बेहद गंभीर और संवेदनशील मुद्दा उठा रहे हैं। उनकी आने वाली फिल्म ‘पारो’ दुल्हन गुलामी जैसी भयावह कुप्रथा पर आधारित है। यह फिल्म हाल ही में कान्स फिल्म फेस्टिवल और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी, लंदन में दिखाई गई, जहां इसे देखकर लोगों पर गहरा असर हुआ।

फिल्म की कहानी और उसके मकसद पर बात करते हुए ताहा ने कहा, “हीरामंडी के बाद मैंने ‘पारो’ की, जो दुल्हन गुलामी पर आधारित है। यह एक बेहद गंभीर सामाजिक विषय है। जब हमने इसकी स्क्रीनिंग की, तो लोगों का रिएक्शन देखकर लगा कि उनकी सोच बदल गई है। मुझसे किसी ने पूछा कि इस फिल्म के बाद मुझे सबसे अच्छा कॉम्प्लिमेंट क्या मिला, तो मैंने कहा — जब किसी फिल्म का प्रीमियर होता है तो अंत में लोग तालियां बजाते हैं, लेकिन मेरी फिल्म की स्क्रीनिंग के बाद पूरा हॉल शांत था। इतनी गहराई से वो फिल्म लोगों को छू गई कि कोई समझ ही नहीं पाया कि ताली बजाएं या नहीं। जब आप दर्शकों के मन में इतनी गहरी भावना जगा पाएं, तो वही असली सिनेमा है।”

ताहा ने आगे कहा, “मैं हमेशा ऐसी फिल्में करना चाहूंगा, जो सही संदेश दें, सही सोच को आगे बढ़ाएं। अगर यह फिल्म और हमारा कैंपेन किसी एक महिला की ज़िंदगी भी बचा सके तो मेरे लिए वही सबसे बड़ी दुआ होगी।”

‘पारो’ के ज़रिए ताहा शाह बदुश्शा सिर्फ अभिनय नहीं कर रहे, बल्कि सिनेमा को एक ज़रिया बना रहे हैं सोच में बदलाव लाने का, उन कहानियों को सामने लाने का जिन्हें अक्सर नजरअंदाज़ कर दिया जाता है। ‘पारो’ ये साबित करती है कि कंटेंट भले ही किंग हो, लेकिन सिनेमा की असली ताकत उसकी अंतरात्मा में होती है।

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