जातिगत पूर्वाग्रहों के आधार पर फैसले देने वाले जजों पर कार्रवाई करें सीजेआई- कांग्रेस

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*राजेंद्र पाल गौतम बोले- राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग में रिक्त पद भरे जाएं

*भाजपा शासित राज्यों में दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों के खिलाफ बढ़ते अपराधों पर भी जताई चिंता

कांग्रेस ने भारत के मुख्य न्यायाधीश से आग्रह किया कि वे देशभर में उत्पीड़न के मामलों में जातिगत पूर्वाग्रहों के आधार पर फैसले देने वाले जजों पर कार्रवाई करें।

कांग्रेस मुख्यालय इंदिरा भवन में पत्रकार वार्ता करते हुए एससी विभाग के अध्यक्ष राजेंद्र पाल गौतम ने कहा कि कुछ जजों ने कुछ ऐसे फैसले दिए हैं, जिनसे उनकी जातिगत पक्षपात वाली मानसिकता उजागर होती है।

कांग्रेस नेता ने ऐसे जजों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग करने के अलावा न्यायपालिका के लिए सख्त दिशा-निर्देश जारी करने का सुझाव दिया।

अदालतों के फैसलों का हवाला देते हुए गौतम ने कहा कि कुछ साल पहले छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के एक जज ने बलात्कार के आरोपियों को यह दलील देकर बरी कर दिया था कि ऊंची जाति के लोग अनुसूचित जाति या जनजाति की महिला से बलात्कार नहीं कर सकते। 1992 में राजस्थान में हुए कुख्यात भंवरी देवी सामूहिक दुष्कर्म मामले में भी आरोपियों को बरी करने के लिए इसी तरह का तर्क दिया गया था। उन्होंने कहा कि इतने सालों बाद भी कुछ नहीं बदला है। ओडिशा के इसी तरह के एक ताजा मामले को उठाते हुए गौतम ने बताया कि अवैध खनन का विरोध करने वाले दो दलित युवकों को जेल में डाल दिया गया था और जब हाईकोर्ट ने उनमें से एक को जमानत दी तो यह शर्त रखी कि वह व्यक्ति हर दिन थाने में सफाई का काम करेगा।

राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग को मजबूत करने की मांग करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार ने सभी सदस्यों की नियुक्ति तक नहीं की है, जिससे आयोग शक्तिहीन हो गया है। उन्होंने बताया कि दलितों और आदिवासियों पर अत्याचार की छह लाख से अधिक शिकायतों में से सिर्फ करीब 7,500 पर ही सुनवाई हुई।

गौतम ने भाजपा-आरएसएस को घेरते हुए एनसीआरबी के आंकड़ों का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि साल 2018-2022 के बीच अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के खिलाफ उत्पीड़न की घटनाओं में 35 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। इनमें 26 प्रतिशत मामले सिर्फ यूपी से सामने आए हैं, जहां भाजपा सबसे बढ़िया कानून व्यवस्था का दावा करती है। उन्होंने कुछ हालिया घटनाओं का उल्लेख करते हुए बताया कि भाजपा शासित मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में एक आदिवासी युवक को दबंगों द्वारा जबरन पेशाब पिलाया गया। ओडिशा में एक पिता अपनी बेटी को देने के लिए गाय ला रहा था, जिसे रास्ते में बजरंग दल के गुंडों ने रोककर 30,000 रुपये मांगे, नहीं दे पाने पर बुरी तरह मारा, सिर आधा मुंडवाकर घास खिलाई और घुटनों के बल चलवाया। उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में दलित युवक के साथ इसलिए मारपीट की गई, क्योंकि उसने बारिश से बचने के लिए मंदिर की शरण ले ली थी। अंबेडकर जयंती पर दलित युवकों की पिटाई की गई, उन्हें करंट के झटके तक दिए गए।

आंकड़ों के साथ भाजपा सरकारों पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि हरियाणा में 2017 में दलितों के खिलाफ 762 उत्पीड़न की घटनाएं हुईं, जो 2021 में बढ़कर 1,628 हो गईं। इसी तरह मध्य प्रदेश में दलितों और आदिवासियों के खिलाफ 5,892 घटनाएं दर्ज हुईं, जो एक साल में बढ़कर 7,214 तक पहुंच गईं। महाराष्ट्र में 1,689 घटनाएं एक साल में बढ़कर 2,503 हो गईं। उत्तर प्रदेश में दलित उत्पीड़न की घटनाएं एक साल में 11,444 से बढ़कर 13,144 हो गईं। उत्तराखंड में यह आंकड़ा एक साल में 96 से बढ़कर 130 हो गया।

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