दिल्ली के महापौर, सरदार राजा इक़बाल ने फैक्ट्री लाइसेंस एवं शुल्क मॉड्यूल का संपत्ति कर पोर्टल के साथ एकीकरण को लॉन्च किया

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दिल्ली नगर निगम ने आज व्यापार सुगमता (Ease of Doing Business) को बढ़ावा देने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। महापौर, सरदार राजा इक़बाल सिंह द्वारा सिविक सेंटर स्थित उनके कार्यालय में आज फैक्ट्री लाइसेंस शुल्क मॉड्यूल का संपत्ति कर पोर्टल के साथ एकीकरण (Integration) को लॉन्च किया गया।दिल्ली नगर निगम ने एक और महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए फैक्ट्री लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया को सरल बना दिया है। अब औद्योगिक क्षेत्रों (Industrial Areas) में कार्यरत इकाइयों को एमसीडी से अलग से फैक्ट्री लाइसेंस लेने की आवश्यकता नहीं होगी।

इस मौके पर उनके साथ उप महापौर, श्री जय भगवान यादव; स्थायी समिति की अध्यक्ष, सुश्री सत्या शर्मा;स्थायी समिति उपाध्यक्ष, श्री सुन्दर सिंह; नेता सदन, श्री प्रवेश वाही; निगम आयुक्त, श्री अश्विनी कुमार तथा अतिरिक्त आयुक्त, श्री वीर सिंह यादव सहित निगम के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

इस अवसर पर महापौर सरदार राजा इक़बाल सिंह ने कहा कि दिल्ली नगर निगम व्यापार सुगमता को बढ़ावा देने के लिए निरंतर ठोस कदम उठा रहा है। फैक्ट्री लाइसेंस और संपत्ति कर का एकीकरण न केवल कारोबारियों के लिए राहतकारी होगा बल्कि ‘इंस्पेक्टर राज’ की समाप्ति की दिशा में भी एक ऐतिहासिक कदम है। अब उद्यमियों को सरल, पारदर्शी और त्वरित प्रक्रिया का लाभ मिलेगा, जिससे दिल्ली के औद्योगिक विकास को नई गति मिलेगी।

स्थायी समिति की अध्यक्ष श्रीमती सत्य शर्मा ने कहा कि यह कदम एमसीडी की दूरदृष्टि को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि “अब उद्योगों को लाइसेंस के लिए अलग-अलग प्रक्रियाओं और निरीक्षणों से नहीं गुजरना पड़ेगा। एकल पोर्टल से न केवल पारदर्शिता बढ़ेगी बल्कि उद्योगों को सुविधा और समय की बचत भी होगी। निगम का उद्देश्य है कि उद्योग जगत को सरल और भरोसेमंद वातावरण मिले।”

उल्लेखनीय है कि पहले फैक्ट्री लाइसेंस एवं संपत्ति कर हेतु अलग-अलग आवेदन पत्र एवं पोर्टल पर शुल्क जमा करना पड़ता था। लेकिन अब नयी व्यवस्था के तहत दोनों सेवाएँ एकीकृत होकर सिंगल विंडो एप्लीकेशन के माध्यम से उपलब्ध होंगी। फैक्ट्री लाइसेंस शुल्क अब वार्षिक संपत्ति कर का 5% होगा और दोनों का भुगतान एक ही पोर्टल पर किया जा सकेगा। शुल्क जमा करते ही डीमड फैक्ट्री लाइसेंस स्वतः जारी होगा और अलग से निरीक्षण की आवश्यकता नहीं होगी।

नगर निगम द्वारा शुरू की गयी नई व्यवस्था के तहत जो इकाईयां री-डेवलपमेंट या कंफर्मिंग एरिया में हैं उनमे MSME रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट या जीएनसीटीडी/ डीएसआईआईडीसी (GNCTD/DSIIDC) द्वारा जारी आवंटन / लीज पत्र को एमसीडी फैक्ट्री लाइसेंस के रूप में मान्यता दे दी जाएगी।

फैक्ट्री लाइसेंस शुल्क का भुगतान अब संपत्ति कर (Property Tax) के साथ एकमुश्त किया जा सकेगा। यह व्यवस्था उद्योगों पर अनुपालन का बोझ घटाएगी और दोनों कर/शुल्क एक साथ जमा किए जा सकेंगे।नई व्यवस्था से फैक्ट्री लाइसेंस निरीक्षण व अनावश्यक जटिलताओं से उद्योगों को राहत मिलेगी। अब उद्योग इकाइयों को केवल प्रदूषण, अग्नि सुरक्षा तथा अन्य आवश्यक स्वीकृतियों का पालन करना होगा, जिसकी जिम्मेदारी संबंधित इकाई/फैक्ट्री स्वामी की होगी। इसके अतिरिक्त फैक्ट्री लाइसेंस शुल्क को अब संपत्ति कर का 5% माना जाएगा और इसे हर वर्ष संपत्ति कर के साथ ही जमा किया जाएगा।

बता दें कि वर्तमान में लगभग 30,000 सक्रिय लाइसेंस हैं; नयी व्यवस्था से संख्या में वृद्धि होगी और निगम के राजस्व में भी इज़ाफ़ा होगा।

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