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श्री मंडार जैन संघ द्वारा नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में जैन आचार्य हंसरत्न सूरिश्वरजी महाराज के अष्टम 180 उपवास पर्णा समारोह का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि के रूप में भारत के उपराष्ट्रपति सी पी राधाकृष्णन थे। समारोह के संयोजक सत्यभूषण जैन थे।मुख्य अतिथि उपराष्ट्रपति सी पी राधाकृष्णन ने कहा कि जैन धर्म की शाकाहार, करुणा और संयम पर आधारित जीवनशैली आज पूरी दुनिया में पर्यावरण संरक्षण का प्रतीक बन चुकी है। अपने अनुभव साझा करते हुए उन्होंने बताया कि काशी यात्रा के बाद उन्होंने 25 वर्ष पूर्व शाकाहार अपनाया था, जिससे विनम्रता और सभी जीवों के प्रति प्रेम की भावना विकसित हुई। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार के उन प्रयासों की सराहना की, जिनसे प्राकृत भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया गया और ‘ज्ञान भारतम मिशन’ के माध्यम से जैन पांडुलिपियों का संरक्षण किया जा रहा है। उन्होंने तमिलनाडु में जैन धर्म की ऐतिहासिक उपस्थिति और तमिल साहित्य पर इसके गहरे प्रभाव का उल्लेख करते हुए कहा कि ‘शिलप्पथिकारम’, ‘पेरुंगथै’ और ‘तिरुक्कुरल’ जैसी रचनाएं जैन दर्शन की भावना को दर्शाती हैं। आइए देखते हैं टोटल ख़बरें के वरिष्ठ संवाददाता राजेश खन्ना की इस रिपोर्ट में आयोजकों और पदाधिकारियों ने क्या कहा।

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