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दा फेडरेशन ऑफ़ ऑल इंडिया राइस मिलर्स एसोसिएशन के द्वारा मंगलवार को दिल्ली के प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया में प्रेस वार्ता कर जानकारी देते हुए एसोसिएशन के अध्यक्ष तरसेम सैनी बताया कि डिजिटल इण्डिया के तहत भारतीय खाद्द निगम में आर्टिफ़िश्यल इन्टेलीजेन्सी के तहत खरीफ विपणन का स्टडी करने के बाद वर्ष 2021, 22 में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर इसको लागू किया गया उसके परिणाम अच्छे आने दावे के साथ भारतीय खाद्द निगम सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया था कि देश हित में जो प्रधानमंत्री की की डिजिटल इण्डिया प्रोग्राम को आगे बढ़ाते हुये इसको सारे देश में लागू किया जाए और साथ में यह भी कहा गया कि जहां जहां ए जी ए मशीन नहीं था वहाँ इसको खरीदने के लिए टेण्डर लिया जाए और उसके बाद वर्ष 2024, 25 में इसको पूर्णतः लागू किया जाएगा परंतु खाद्द मंत्रालय के कुछ अधिकारी और उसके साथ भारतीय खाद्द निगम का फील्ड स्टाफ मिलकर इसको बंद कराने की साजिश वर्ष 2025 से अलग अलग समय पर पत्र जारी कर अपनी आपत्ति जताते रहे और देश के कुछ राज्यों में जैसे हरियाणा, तेलंगाना एवं उत्तर प्रदेश व मध्यप्रदेश आदि में पूर्णतः बंद कर दिया गया जिससे राइस मिलर्स का उत्पीड़न हो रहा है। वर्ष 2024, 25 में नयी ए जी ए मशीन लेनी थी उसकी प्रक्रिया को रोक कर इसको पूर्णतः बंद करना चाहते है जो की भ्रष्टाचार के लिए बढ़ावा मिलेगा। प्रधानमंत्री की डिजिटल इण्डिया प्रोग्राम को उपभोक्ता मामले में लागू नहीं होने देना चाहते है । दूसरे मुद्दे पर अध्यक्ष तरसेम सैनी ने पिछले तीन वर्ष से फोर्टिफाइड राइस कर्नेल (FRK) के तहत पोष्टिक आहार वाला चावल बनाकर चावल को राइस मिलर्स को 1 प्रतिशत मिश्रण करने के लिए राज्य सरकारे अलग अलग तरीके से टेण्डर प्रक्रिया करने के बाद राइस मिलर्स को वहाँ से खरीद कर 1 प्रतिशत चावल से मिश्रण (99 किoग्राo चावल में 1 किoग्राo फोर्टिफाइड राइस कर्नेल (FRK) करवाने के बाद उसको भारतीय खाद्द निगम के द्वारा गरीब उपभोक्ता को वितरित किया जा रहा है । जबकि फोर्टिफाइड राइस कर्नेल (FRK) निर्माता की मिलों में ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टेंडर्ड के मुताबिक नहीं है और न उनके मिलें में फूड सेफ़्टी स्टैंडर अथॉरिटी ऑफ इण्डिया नियम के तहत कोई कार्य नहीं हो रहा है । जिसका असर सीधा सीधा उपभोक्ता को कुपोषण दे रहा है। इस प्रक्रिया से करोड़ों रुपया केंद्र सरकार का नष्ट हो रहा है। जिससे सरकार को नुकसान हो रहा है । की माँग केंद्र सरकार के पास दो वर्षों के वितरण हेतु फोर्टिफाइड राइस कर्नेल(FRK) चावल पोष्टिक आहार वाला चावल का स्टाक है इस समय नॉन फोर्टिफाइड राइस कर्नेल चावल लिया जाए फोर्टिफाइड राइस कर्नेल निर्माता फोर्टिफाइड राइस कर्नेल की सही गुणवत्ता वाला फोर्टिफाइड राइस कर्नेल (FRK) बनाकर नहीं दे पा रहे है जिससे राइस मिले बंद हो गयी है। उससे धान खरीद प्रभावित हो रही है और किसान अपनी उपज औने पौने दाम में बेचने पर मजबूर है । आइए देखते हैं टोटल ख़बरें के वरिष्ठ संवाददाता राजेश खन्ना कि इस रिपोर्ट में एसोसिएशन के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ उपाध्यक्ष योगेश अग्रवाल ने क्या कहा।

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