*मौसम विभाग के पूर्व चेतावनी के बावजूद मुख्यमंत्री का यह कहना कि दिल्ली इतनी बारिश के लिये तैयार नहीं थी, उनकी अक्षमता का प्रमाण है – वीरेन्द्र सचदेवा
*मुख्यमंत्री द्वारा आज दिल्ली पुलिस से जलभराव के दृष्टिकोण से संवेदनशील स्थानों की सूची मांगना भी उनकी सरकार की लापरवाही का प्रमाण है – वीरेन्द्र सचदेवा
* दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने दिल्ली के मुख्यमंत्री से मांग की है कि यमुना के डूब क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को अविलंब सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जाये।
दिल्ली भाजपा अध्यक्ष ने कहा है कि बाढ़ एक प्राकृतिक विपदा है और दिल्ली में बाढ़ आने की स्थिति में भारतीय जनता पार्टी पीड़ित लोगों को राहत पहुंचाने में सरकार का पूरा साथ देगी पर यह आश्चर्यजनक है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री ने आज कहा कि जब तक यमुना में पानी का स्तर 206 मीटर पार नहीं करेगा तब तक यमुना क्षेत्र में रहने वाले लोगों को स्थानांतरित नहीं करेंगे।
सचदेवा ने कहा है कि जहां डूब क्षेत्र में रहने वाले लोगों को सुरक्षा देने में केजरीवाल सरकार लापरवाही कर रही है तो वहीं दिल्ली सरकार ने निचले इलाकों में बसी कालोनियों में पानी निकासी सुनिश्चित करने में लापरवाही करी और आज स्थिति यह है कि हल्की बारिश होते ही यह सब कालोनियां जलमग्न हो जाती हैं।
दिल्ली भाजपा अध्यक्ष ने कहा है कि मुख्यमंत्री ने आज बाढ़ को लेकर अपनी प्रेस वार्ता में दावा किया कि दिल्ली में 680 पंप पानी निकासी का काम कर रहे थे और अब 326 पंप एवं 100 मोबाइल पंप और भी लगा दिये गये हैं जो कि अचंभित करता है।
दिल्ली भाजपा अध्यक्ष ने कहा है कि मुख्यमंत्री बतायें कि यदि दिल्ली में 680 पंप काम कर रहे थे तो स्थिति इतनी भयावह क्यों हुई, सच यह है कि दिल्ली में पानी निकासी पंप लगाने के नाम पर भ्रष्टाचार हुआ है और पंप लगाये बिना ही भुगतान चल रहा है।
सचदेवा ने कहा कि दिल्ली के लोग अचंभित हैं कि मौसम विभाग लगातार कह रहा था कि दिल्ली ही नहीं देश में इस वर्ष भयावह माॅनसून आयेगा और ऐसे में मुख्यमंत्री का यह कहना कि दिल्ली इतनी बारिश के लिये तैयार नहीं थी, उनकी अक्षमता का प्रमाण है।
दिल्ली भाजपा अध्यक्ष ने कहा है कि मुख्यमंत्री द्वारा आज दिल्ली पुलिस से जलभराव के दृष्टिकोण से संवेदनशील स्थानों की सूची मांगना भी उनकी सरकार की लापरवाही का प्रमाण है। खेदपूर्ण है कि मुख्यमंत्री को यह भी नहीं मालूम कि दिल्ली पुलिस तो हर वर्ष मार्च-अप्रैल में लोकनिर्माण विभाग, जलबोर्ड और नगर निगम को संवेदनशील स्थानों की सूची भेज देती है।