पीजीडीएवी कॉलेज (सांध्य) द्वारा जी-20 के अवसर पर भारत और जर्मनी संबंधों पर कार्यक्रम आयोजित

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*वसुधैव कुटुंबकम् ही है भारत की पहचान: अजय सूरी  

पीजीडीएवी कॉलेज प्रबंधक समिति के अध्यक्ष अजय सूरी ने कहा कि भारत संपूर्ण विश्व को परिवार मानता है। वसुधैव कुटुंबकम् ही भारत की मूल पहचान है। वेदों से हमने एकता का यह संदेश पाया है। अजय सूरी दिल्ली विश्वविद्यालय के पीजीडीएवी कॉलेज (सांध्य) द्वारा जी-20 के अवसर पर भारत और जर्मनी के संबंधों को केंद्र में रखते हुए आयोजित ‘भारत-जर्मनी सम्बन्ध : वर्तमान परिदृश्य और भावी दिशा’ विषयक कार्यक्रम में अध्यक्षीय सम्बोधन प्रस्तुत कर रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि कृण्वन्तो विश्वमार्यम् के माध्यम से हमे यह शिक्षा मिलती है कि हम संपूर्ण विश्व को श्रेष्ठ बनाएं। उन्होंने दयानंद सरस्वती जी के विचारों पर प्रकाश डालते हुए उनके द्वारा समाज उत्थान के कार्यों और वेदों के प्रचार प्रसार के कार्यों पर प्रकाश डाला।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित दिल्ली विश्वविद्यालय के सांस्कृतिक परिषद के अधिष्ठाता प्रोफेसर रवीन्द्र कुमार ने कहा कि भारत ने संपूर्ण विश्व को बता दिया कि भारत सम्पूर्ण विश्व का मार्गदर्शन कर सकता है। भारत के पास योग, मानव विकास, शक्ति की पूजा, अध्यात्म आदि सभी कुछ है जो विश्व को शांति व विकास की ओर आगे लेकर जा सकते हैं। उन्होंने आगे कहा कि विश्व में संकट के कारण मानवता व संस्कृति उत्पन्न होते है लेकिन भारत में पहले संस्कृति को महत्व दिया जाता है जिससे संकट उत्पन्न ही न हो।

दिल्ली विश्वविद्यालय की सांस्कृतिक परिषद और पीजीडीएवी (सांध्य) के संयुक्त तत्वावधान में विश्वविद्यालय के कुछ चयनित कॉलेजों में आयोजित जी-20 कार्यक्रम की शृंखला में दिल्ली विश्वविद्यालय के जर्मनिक और रोमांस अध्ययन विभाग, कमला नेहरू कॉलेज तथा दयाल सिंह कॉलेज के सहयोग से भारत-जर्मनी संबंधों पर संगोष्ठी और सांस्कृतिक सन्निधि कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर भारत-जर्मनी संबंधों को रेखांकित करती हुई प्रदर्शनी का आयोजन भी किया गया। इस प्रदर्शनी में कॉलेज द्वारा भारत-जर्मनी संबंधों पर 1948 से वर्तमान तक की यात्रा को दिखाया गया। इसके अतिरिक्त कॉलेज के पुस्तकालय में जर्मन भाषा और साहित्य से संबंधित अनेक पुस्तकों को भी संगृहीत किया गया।

जर्मनी दूतावास से विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित जोनस टी मेडसेन ने इस अवसर पर कहा कि वर्ष 2023 के अंत तक भारतीय अर्थव्यवस्था विश्व की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था होगी और इसके रुकने के कोई संकेत नहीं दिख रहे हैं। इसका प्रभाव विश्व अर्थव्यवस्था के लिए भी सकारात्मक होगा। इस दिशा में भारत और जर्मनी के संबंधों का विशेष योगदान है। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि भारत सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ योजना के कारण यह विश्व में घरेलू विनिर्माण शक्ति बनकर निर्यात में अग्रणी भूमिका निभाएगा। उन्होंने कहा कि मैं समझता हूँ कि आने वाले समय में भारत और जर्मनी विज्ञान और शैक्षणिक आदान-प्रदान में साझा रुचि रखते हुए अपने संबंधों को विकास देंगे।

कार्यक्रम में कॉलेज के प्राचार्य प्रो रवींद्र कुमार गुप्ता ने कहा कि यह कॉलेज के लिए गर्व का अवसर है कि आज वह भारत और जर्मनी के मध्य द्विपक्षीय संबंधों का उत्सव मना रहे हैं। इस द्विपक्षीय विचार-विमर्श से आर्थिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक और शैक्षिक जैसे मोर्चों पर दोनों देशों के बीच संबंध मजबूत हुए हैं। उन्होंने यह भी बताया कि पी.जी.डी.ए.वी. कॉलेज (सांध्य) ने दोनों देशों के बीच गहरी और मजबूत आत्मीयता दिखाने के लिए प्रारंभिक स्तर पर अपने छात्रों के लिए जर्मन भाषा को एक ऐड-ऑन कोर्स के रूप में पेश किया है। इस अवसर पर जर्मनी में भारत के पूर्व राजदूत गुरजीत सिंह तथा जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय प्रो उम्मू सलमा बावा ने भारत और जर्मनी के संबंधों पर विस्तार से प्रकाश डाला।

कार्यक्रम के दूसरे चरण में संस्कृति सन्निधि कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर पीजीडीएवी महाविद्यालय की प्रबंधक समिति के कोषाध्यक्ष शिव रमन गौर ने कहा कि प्रत्येक सांस्कृतिक कार्यक्रम की अपनी महत्ता होती है। जर्मनी की भाषा संस्कृत से मिलती-जुलती है और संस्कृत भाषा बहुत ही महत्वपूर्ण भाषा है अतः हम सभी को संस्कृत भाषा को पढ़ना चाहिए। इस अवसर पर कमला नेहरू कॉलेज की प्राचार्य प्रो कल्पना भाकुनी तथा दयाल सिंह कॉलेज के प्राचार्य प्रो वी के पालीवाल ने भी अपने विचार साझा किए।

कार्यक्रम के प्रथम सत्र का संचालन प्रियंका चटर्जी तथा दूसरे सत्र का संचालन प्रो. मीना शर्मा ने किया और औपचारिक धन्यवाद जी-20 की नोडल अधिकारी उदिता अग्रवाल और उनकी सहयोगी करिश्मा सारस्वत ने किया। उपस्थित सभी ने नोडल अधिकारी उदिता अग्रवाल और उनकी सहयोगी करिश्मा सारस्वत के अथक प्रयासों की सराहना की। कार्यक्रम में प्रो. बी एन चौधरी, डॉ. सोनिका, डॉ. डिम्पल, डॉ. मीनाक्षी, डॉ. आशमा, प्रो. आशा, प्रो. हरीश, डॉ. पुनीत,  डॉ. अमित, डॉ. हरिप्रताप, डॉ. आदित्य, डॉ. रमेश, डॉ. पवन, डॉ. मनोज सहित अन्य प्राध्यापकों का भरपूर सहयोग रहा।

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