मोदी सरकार की सोच किसान विरोधी- कांग्रेस

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*दीपेंद्र हुड्डा बोले- कृषि बजट नहीं किया जा रहा खर्च

*कृषि बजट में हर साल हो रही गिरावट

कांग्रेस ने एक बड़ा खुलासा करते हुए मोदी सरकार पर पिछले पांच सालों में किसानों के लिए पास कृषि बजट की एक लाख करोड़ रुपए से ज़्यादा की राशि को खर्च नहीं किए जाने का आरोप लगाया है। कांग्रेस सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने मोदी सरकार को किसान विरोधी बताते हुए कहा कि कृषि बजट खर्च नहीं किया जा रहा है और दूसरी तरफ कृषि बजट में हर साल गिरावट हो रही है।

नई दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय में पत्रकार वार्ता करते हुए राज्यसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि स्टैंडिंग कमेटी की रिपोर्ट में बताया गया है कि मोदी सरकार ने पांच साल में कृषि बजट का एक लाख करोड़ रुपए से अधिक सरेंडर कर दिया है। यह पैसा बजट में कृषि के लिए दिया गया, लेकिन खर्च नहीं किया गया। भाजपा सरकार में 2014-2022 तक एक लाख से अधिक किसानों ने आत्महत्या कर ली। यानी कि देश में रोजाना मजबूर होकर 30 किसान आत्महत्या कर रहे हैं। क्या इन पैसों से किसानों को राहत देकर, किसानों की जान नहीं बचाई जा सकती थी। इसके अलावा न्यूनतम समर्थन मूल्य की मांग को भी पूरा किया जा सकता था, जिसे लेकर किसानों ने आंदोलन भी किया था। देश के 80 प्रतिशत किसानों को गेहूं और 76 प्रतिशत किसानों को धान पर न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिलता है।

हुड्डा ने कहा कि देश में जितना कृषि बजट दिखाया जा रहा है, वो छल है, क्योंकि खर्च नहीं किया जा रहा है। वहीं, दूसरी तरफ देश के ओवरआल बजट के मुकाबले कृषि बजट में हर वर्ष गिरावट हो रही है। 2020-21 में ये 4.4 प्रतिशत था, 2021-22 में 3.5 प्रतिशत, 2022-23 में 3.1 प्रतिशत और पिछले वर्ष 2.5 प्रतिशत था। हर वर्ष कृषि बजट में गिरावट आ रही है।

हुड्डा ने कहा कि दस वर्षों में किसान की तो कोई कर्जमाफी नहीं हुई, मगर बड़े-बड़े उद्योगपति घरानों के साढ़े 14 लाख करोड़ के कर्जे माफ कर दिए गए। वहीं कांग्रेस सरकार में 72 हजार करोड़ रुपए के किसानों के कर्ज माफ हुए थे। आंकड़ों की बात करें तो साल 2013-14 के मुकाबले किसानों पर 2018-19 में 60 प्रतिशत ज्यादा कर्ज था।

हुड्डा ने कहा कि यूपीए की सरकार में गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 119 प्रतिशत बढ़ाया गया था। जबकि मौजूदा भाजपा सरकार ने गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य में सिर्फ 47 प्रतिशत की बढ़ोतरी की। यूपीए सरकार ने धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 134 प्रतिशत की वृद्धि की थी, जबकि भाजपा सरकार ने मात्र 50 प्रतिशत की बढ़ोतरी की। यूपीए सरकार में उड़द के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 205 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई, जबकि मौजूदा सरकार के 10 साल के शासन में केवल 52 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। इसी तरह तुअर के न्यूनतम समर्थन मूल्य में यूपीए सरकार के समय 209 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई थी और मौजूदा सरकार में केवल 52 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई।

जहां यूपीए की सरकार में न्यूनतम समर्थन मूल्य की रिकॉर्ड बढ़ोतरी हुई, कर्जा माफी हुआ। वहीं भाजपा की सरकार में ना न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ा, ना कर्ज माफ हुआ। किसान की आय दोगुनी होगी, ये भी किसान के साथ बड़ा छल था।

हुड्डा ने कहा कि जब दुनिया के बाजारों में गेहूं, धान और अन्य अनाजों का भाव मिल सकता है, तब एक्सपोर्ट बैन कर दिया जाता है। जहां इंपोर्ट करना होता है, वहां तुरंत सारे कायदे-कानूनों को ताक पर रख दिया जाता है। यह देश के किसान पर मोदी सरकार की दोहरी मार है। फरवरी में फिर से किसान आंदोलन की बातें उठ रही हैं, क्योंकि सरकार ने जो भी बातें किसानों की मानी थीं, वो पूरी नहीं हुईं।

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