- निगमायुक्त ने यूजर चार्जेज को प्रॉपर्टी टैक्स के साथ जोड़ दिया है, यह गलत है, दिल्लीवालों पर टैक्स का और बोझ बढ़ेगा- महेश कुमार
- अगर यूजर चार्जेज को प्रॉपर्टी टैक्स से जोड़ना था, तो पहले सदन में इसका प्रस्ताव लाकर अनुमति लेनी चाहिए थी- महेश कुमार
- दिल्ली के 80 फीसद घरों से कूड़े का उठान नहीं हो पा रहा है, निगमायुक्त पहले घर-घर से कूड़ा उठवाएं, फिर यूजर चार्जेज लगाएं- मुकेश गोयल
- हम यूजर चार्जेज लगाने का विरोध करते हैं, ये लोग इसके जरिए निगम की ‘‘आप’’ सरकार और मेयर पर दबाव बनाना चाहते हैं- मुकेश गोयल
दिल्ली नगर निगम के मेयर महेश कुमार खिंची ने निगमायुक्त के सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट पर दिल्ली की जनता से यूजर चार्ज वसूलने के फैसले का सख्त विरोध किया है। उन्होंने कहा कि यह दिल्ली की जनता के हित में नहीं है। निगमायुक्त को यह फैसला वापस लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि निगमायुक्त द्वारा यूजर चार्जेज को प्रॉपर्टी टैक्स के साथ जोड़ दिया गया है, यह बिल्कुल गलत है। इससे दिल्ली की जनता पर टैक्स का और बोझ बढ़ेगा। अगर यूजर चार्जेज को प्रॉपर्टी टैक्स से जोड़ना था, तो पहले सदन में इसका प्रस्ताव लाकर अनुमति लेनी चाहिए थी।
दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के महापौर महेश कुमार खींची ने सोमवार को प्रेस वार्ता कर कहा कि दिल्ली नगर निगम के आयुक्त द्वारा जनता से सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के लिए यूजर चार्जेज को संपत्ति कर के साथ जोड़ दिया गया है, जो नहीं होना चाहिए। यह यूजर चार्जेस दिल्ली की जनता के हित में नहीं है। दिल्ली की जनता पर पहले से ही टैक्स का बोझ है। दिल्ली नगर निगम जनता से हाउस टैक्स इकट्ठा नहीं कर पा रही है। अब जनता के ऊपर यह यूजर चार्जेस लगाया जा रहा है, जो सरासर गलत है। 2016 से सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट पर यूजर चार्ज प्रॉपर्टी के साथ जोड़ने का प्रस्ताव आता रहा है। तब आम आदमी पार्टी विपक्ष में थी और तभी आम आदमी पार्टी इसका विरोध करती आई हैं। हमारा मानना है कि यह यूजर चार्जेस दिल्ली की जनता के हित में नहीं है। पहले से ही जनता टैक्सों का बोझ झेल रही है। दिल्ली में प्राइवेट स्कूलों द्वारा फीस बढ़ाई जा रही है। इसका बोझ भी जनता पर पड़ रहा है।
महेश खींची ने कहा कि एमसीडी के कंसेशनर्स ने घर-घर से कूड़ा उठाने के लिए कहा था, मगर अभी भी घर-घर से कूड़ा उठाने की सुविधा लोगों को नहीं मिल पा रही है। इसलिए दिल्लीवासियों को प्राइवेट लोगों से कूड़ा उठवाना पड़ता है और उसके लिए अलग से चार्ज देना पड़ता है। इसलिए यूजर चार्जेस को हाउस टैक्स के साथ जोड़ देने से जनता पर और बोझ पड़ेगा। यह गलत है। हम इसका विरोध करते हैं। अगर इसे यूजर चार्ज को प्रॉपर्टी टैक्स के साथ लागू करना था, तो पहले इसका प्रस्ताव सदन में लाना चाहिए था और हाउस की अनुमति लेनी चाहिए थी, तब जाकर इसे पास करना चाहिए था। हम शुरू से ही जनता के हित के लिए कार्य करते आए हैं। अरविंद केजरीवाल का मानना है कि जनता पर टैक्स का बोझ न पड़े। अरविंद केजरीवाल द्वारा जनता के लिए लाई गई सुविधाएं सराहनीय थीं। हम चाहते हैं कि एमसीडी द्वारा लाया गया यह टैक्स वापस लिया जाए। यह टैक्स नहीं लगना चाहिए।
वहीं, नेता सदन मुकेश गोयल ने बताया कि डेंस विभाग ने हाउस टैक्स विभाग के साथ लिंक अप किया है और यूजर चार्ज की पेमेंट को हाउस टैक्स के बिल में जोड़ी जा रही है। इससे दिल्ली के लोग बहुत परेशान हैं। 2016 में केंद्र सरकार ने सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट का यह प्रोग्राम बनाया था, लेकिन 2025 लेकर अब तक पिछले 9 साल बाद भी ये इसे लागू नहीं कर पाए या अपने संसाधन नहीं जुटा पाए। इस प्रोग्राम के तहत घर-घर जाकर कूड़ा उठाया जाएगा। मगर लेकिन कंसेशनर द्वारा दिल्ली के 80-85 फीसद घरों से कूड़े का उठान नहीं हो पा रहा है। काफी लोग प्राइवेट कर्मचारी लगाकर कूड़ा उठवाते हैं और उन्हें 100-200 रुपये महीना देते हैं।
मुकेश गोयल ने कहा कि लोगों के घरों से कूड़ा उठाना दिल्ली नगर निगम की जिम्मेदारी है। मगर निगम अपनी जिम्मेदारी पूरी नहीं कर पा रही है। इसके बावजूद दिल्ली की जनता पर टैक्स का दोहरा प्रहार कर रहे हैं। लोगों को कूड़ा उठाने के लिए निजी लोगों को भी पैसा देना पड़ रहा है और अब यूजर चार्ज के नाम पर भी पैसा लिया जा रहा है। यदि कोई पॉलिसी बनती है, तो पहले उसका खाका तैयार किया जाता है। निगमायुक्त को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि एमसीडी में लगाए गए कंसेशनर्स द्वारा घर-घर जाकर कूड़ा उठाया जाएगा। आवासीय और व्यवसायिक एरिया से कूड़ा उठाने की जिम्मेदारी निगम की है। पहले निगम को अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए। इसके बाद यूजर चार्ज को लागू करना चाहिए। निगम अपनी जिम्मेदारी पूरी नहीं पा रहा है, लेकिन दिल्ली की जनता पर टैकस का बोझ डालना चाहता है।
मुकेश गोयल ने कहा कि लोगों के घरों से कूड़ा उठाने वाले निजी लोगों से कंसेशनरों की कोई मीटिंग भी नहीं हुई है और ना ही उनका आपस में कोई तालमेल बनाया गया। पहले तालमेल बनाएं। इसके बादयूजर चार्ज लगाने की बात की जाए तो समझ में आता है। 2016 में यह प्रस्ताव आया, 2017-18 में इसका नोटिफिकेशन हुआ, मगर अभी तक इसे लागू नहीं किया गया और अब अचानक इसे लागू करना पड़ रहा है। इसके पीछे इन लोगों की कुछ न कुछ साजिश है। मेयर हमेश कुमार ने निगमायुक्त को लिखे पत्र में भी कहा है कि मेरे कार्यकाल में अंतिम समय में यह प्रस्ताव लाना गलत है और इसे तुरंत निरस्त किया जाए।
उन्होंने सवाल उठाया कि क्या इसका प्रस्ताव हाउस में रखा गया? क्या हाउस में इसकी जानकारी दी गई थी? इसे हाउस में लाकर चर्चा करनी चाहिए थी। निगम पार्षदों को इसकी जानकारी नहीं दी गई। दिल्ली की जनता पहले ही महंगाई की मार झेल रही है। जब से दिल्ली में सरकार बदली है, प्राइवेट स्कूलों ने बेतहाशा फीस बढ़ा दी है। हर जगह महंगाई को बोल-बाला हो रहा है। यदि यूजर चार्ज के नाम पर भी जनता को ठगा जाएगा, तो यह अन्याय होगा। पहले नगर निगम को अपने संसाधन दुरुस्त करने चाहिए और डोर-टू-डोर कूड़ा उठाना शुरू करना चाहिए। जब यह इंतजाम हो जाए, तब यूजर चार्ज बारे में सोचा जाए। महापौर ने निगम आयुक्त को लिखकर इसे तुरंत निरस्त करने की मांग की है।
मुकेश गोयल ने बताया कि 2018-19 में तीनों निगमों ने हाउस में प्रस्ताव पास किया था कि यह चार्ज रेजिडेंशियल से नहीं, केवल कमर्शियल से लिया जाएगा। मगर 2016 से 2022 तक भाजपा की सरकार रही, फिर भी इसे लागू नहीं किया गया। वह जानबूझकर इसे लागू नहीं करना चाहते थे। आज वह इसके जरिए निगम की ‘‘आप’’ सरकार और मेयर पर दबाव बनाना चाहते हैं। इनका निगम में कुछ समय का कार्यकाल बचा है, इसलिए वह चाहते हैं कि यूजर चार्ज के जरिए उन्हें कटघरे में खड़ा किया जाए। हम चाहते हैं कि यूजर चार्जेज पर राजनीति न हो और जनता पर बोझ न पड़े। हम इसका पुरजोर विरोध करते हैं। पहले डोर-टू-डोर कूड़ा उठाएं, फिर यूजर चार्ज लें। जगह-जगह कंशेसनरों ने कूड़े के ढेर लगा रखे हैं, गलियों से कूड़ा नहीं उठ रहा।