निजी स्कूलों को मनमाना फीस बढ़ाने के लिए कानूनी कवच देने जा रही भाजपा सरकार- सौरभ भारद्वाज

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  • नए कानून में स्कूल स्तर पर बनी कमेटी में चेयरमैन स्कूल मैनेजमेंट होगा और स्कूल की प्रिंसिपल, सेक्रेटरी, डीई व 5 पैरेंट्स सदस्य होंगे- सौरभ भारद्वाज
  • स्कूल की पांच पैरेंट्स ड्रॉ से चुनेंगे, जबकि पैरेंट्स टीचर एसोसिएशन के नियम कहते हैं कि सभी सदस्य चुनाव से चुने जाएंगे- सौरभ भारद्वाज
  • स्कूल में बढ़ी फीस के लिए कम से कम 15 फीसद पैरेंट्स को शिकायत करनी होगी, इससे कम हैं तो शिकायत मान्य नहीं होगी- सौरभ भारद्वाज
  • तीन हजार बच्चों के स्कूल में 450 पैरेंट्स साइन करेंगे, तब शिकायत हो पाएगी, इतने पैरेंट्स कभी हो नहीं पाएंगे और ना शिकायत हो पाएगी- सौरभ भारद्वाज
  • भाजपा सरकार पैरेंट्स से चोरी-छिपे फीस फिक्सेशन के लिए नया कानून ला रही है, इसमें जनता से कोई सुझाव नहीं लिया गया है- सौरभ भारद्वाज
  • सरकार ने सिर्फ स्कूल मैनेजमेंट से चर्चा की, क्योंकि निजी स्कूलों की संस्था के चेयरमैन भरत अरोड़ा दिल्ली भाजपा की कार्यकारिणी में हैं- सौरभ भारद्वाज
  • जुलाई में कानून आएगा और अक्टूबर में पता चलेगा कि अगले साल कितनी फीस बढ़ेगी, अभी जो फीस बढ़ी है, उसे भाजपा ने ग्रीन सिग्नल दे दिया है- सौरभ भारद्वाज
  • शिक्षा मंत्री झूठ बोल रहे हैं कि सरकार के पास कोई पावर नहीं है, सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षा निदेशालय को ऑडिट कराकर बढ़ी फीस वापस कराने की पावर दी है- सौरभ भारद्वाज

महज दो महीने में ही भाजपा सरकार और प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट के बीच मिलीभगत दिल्ली की जनता के सामने आ गई है। भाजपा सरकार निजी स्कूल मैनेजमेंट को मनमाना फीस बढ़ाने के लिए कानूनी कवच देने जा रही है। यह नया कानून मिडिल क्लास व अपर मिडिल क्लास के शोषण का साधन बनेगा। साथ ही, निजी स्कूलों की अनुचित मुनाफाखोरी को वैध बनाएगा। यह बड़ा खुलासा करते हुए आम आदमी पार्टी के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने कहा कि बिना पेरेंट्स और अभिभावक संगठनों से चर्चा किए कोई कानून कैसे बनाया जा सकता है? आखिर इस कानून को पैरेंट्स से इतना गुप्त क्यों रखा गया है?

उन्होंने कहा कि फीस वृद्धि के खिलाफ शिकायत करने के लिए 15 फीसद पेरेंट्स होने की बाध्यता का नियम भी बेहद हास्यास्पद है। ऐसे में किसी निजी स्कूलों के खिलाफ पैरेंट्स शिकायत नहीं कर सकेंगे। अगर किसी स्कूल में 3,000 बच्चे हैं तो शिकायत करने के लिए 450 पेरेंट्स को कैसे इकट्ठा किया जा सकेगा? अभिभावक प्रतिनिधियों का चयन निजी स्कूल द्वारा लॉटरी से क्यों किया जाएगा? 2010 की अधिसूचित पैरेंट्स टीचर एसोसिएशन (पीटीए) गठन के दिशानिर्देशों में चुनाव का प्रावधान था, इसे क्यों हटाया गया? इससे शुल्क निर्धारण समिति में केवल हामी भरने वाले सदस्य ही आएंगे, जिससे अत्यधिक फीस बढ़ोतरी को कानूनी जामा पहनाया जा सकेगा।

मंगलवार को पार्टी मुख्यालय पर प्रेसवार्ता कर सौरभ भारद्वाज ने कहा कि शिक्षा को लेकर आम आदमी पार्टी ने जैसा कहा था, भाजपा की सरकार में ठीक वैसा ही हो रहा है। आज भाजपा की दिल्ली सरकार प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट के साथ सीधे तौर पर मिली हुई पूरी दिल्ली को दिख गई है। सीएम रेखा गुप्ता और शिक्षा मंत्री ने संयुक्त प्रेसवार्ता कर कहा कि दिल्ली के अंदर प्राइवेट स्कूलों में फीस तय करने के लिए एक कानून ला रहे हैं। इस कानून का नाम दिल्ली स्कूल एजुकेशन ट्रांसपरेंसी इन फिक्सेशन एंड रेगुलेशन ऑफ फीस बताया है। इस एक्ट के अंदर पारदर्शिता शब्द भी है। सौरभ भारद्वाज ने सवाल किया कि क्या कोई बता सकता है कि इस इस बिल को बनाने और कैबिनेट में लाने से पहले इसे लोगों की राय के लिए कब रखा गया? क्या इस बिल पर लोगों की राय ली गई, क्या इस संबंध में कोई विज्ञापन जारी किया गया ताकि बच्चों के पैरेंट्स अपना सुझाव दें कि उनको क्या चाहिए?

सौरभ भारद्वाज ने कहा कि भाजपा की सरकार ने निजी स्कूलों के मैनेजमेंट से राय मशविरा तो की, क्योंकि वो भाजपा का हिस्सा हैं। निजी स्कूलों की संस्था एक्शन कमेटी फॉर प्राइवेट स्कूल के अध्यक्ष भरत अरोड़ा तो दिल्ली भाजपा की कार्यकारिणी में हैं। लेकिन सरकार ने पैरेंट्स से कोई सुझाव नहीं लिया और पैरेंट्स से चोरी-छिपे इस बिल को बनाया गया। बिल में कहा गया है कि आगामी जुलाई में इस कानून को लाया जाएगा और नवंबर तक लोगों को पता चल जाएगा कि अगले साल निजी स्कूलों में कितनी फीस बढ़ेगी। मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री ने इस साल स्कूलों में बढ़ी फीस के बारे में कुछ नहीं बताया। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने सभी निजी स्कूलों की ऑडिट करा ली है। अगर ऑडिट करा लिया है तो उसे सरकार की वेबसाइट पर डालना चाहिए। ऑडिट को सार्वजनिक किया जाना चाहिए कि किन स्कूलों में मुनाफा मिला और किसमें नहीं मिला।

सौरभ भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली सरकार कह रही है कि उसके पास शक्तियां नहीं है। यह हम मान लेते हैं, लेकिन मुख्यमंत्री को बताना चाहिए कि जब मनीष सिसोदिया शिक्षा मंत्री थे, तब वह किन शक्तियों के आधार पर सैकड़ों निजी स्कूलों से बढ़ी फीस वापस कराते थे। वह मनीष सिसोदिया की इच्छा शक्ति थी। कानून में शक्ति है, लेकिन भाजपा की सरकार में इच्छा शक्ति की कमी है। दिल्ली सरकार के डीएम ने खुद डीपीएस में जाकर बताया कि वहां बच्चों का उत्पीड़न किया जा रहा था। बच्चों को लाइब्रेरी में बैठाया जा रहा था। क्या दिल्ली सरकार के पास स्कूल के खिलाफ एक एफआईआर दर्ज कराने की भी शक्ति नहीं है। अभी डीपीएस स्कूल के खिलाफ एफआईआर नहीं कराई गई है। क्योंकि मुख्यमंत्री के पास इच्छा शक्ति नहीं है और पूरी सरकार स्कूल वालों के साथ मिली हुई है। एक भी स्कूल को बढ़ी फीस वापस लेने का निर्देश नहीं दिया गया है। अब अगले साल पर डाल दिया गया है। इसका मतलब है कि इस साल 20 से 82 फीसद तक निजी स्कूलों में फीस बढ़ी है, उसे सरकार ने वैध कर दिया है।

सौरभ भारद्वाज ने कहा कि सरकार ने दिल्लीवालों से झूठ बोला कि उसके पास शक्तियां नहीं है। दिल्ली सरकार के पास शक्तियां मौजूद हैं, जो दिल्ली स्कूल एजुकेशन रूल्स 1973 में मिली हैं। उन्हीं शक्तियों के आधार पर सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने मॉडर्न स्कूल बनाम केंद्र सरकार के अंदर दिल्ली के शिक्षा निदेशालय को यह शक्तियां दी हैं। इस शक्तियों के तहत शिक्षा निदेशालय निजी स्कूलों की फीस तय कर सकता है।

सौरभ भारद्वाज ने कहा कि भाजपा की दिल्ली सरकार यह कानून निजी स्कूल मैनेजमेंट के लिए बना रही है, ताकि उनको फीस बढ़ाने के लिए एक आधार मिल जाए। सरकार ने स्कूल स्तर पर एक कमेटी बनाई। इस कमेटी का चेयरमैन स्कूल का मैनेजमेंट है, उसका सेक्रेटरी स्कूल की प्रिंसिपल है और उसके अंदर डीई नॉमिनी और पांच पैरेंट्स हैं। पांच पैरेंट्स के चयन के लिए निजी स्कूल ड्रॉ करेगा। ऐसे में जिसको स्कूल चाहेगा, उसे ही कमेटी में शामिल करेगा। अगर स्कूलों पर भरोसा होता तो ईडब्ल्यूएस का भी स्कूलों में ड्रॉ करा लेते। पीटीए के अधिसूचित नियम हैं कि पैरेंट्स टीचर एसोसिएशन कैसे बनेगा? इनको कुछ करना ही नहीं था। पीटीए के लिए नियम है कि चुनाव कराकर एसोसिएशन बनाया जाएगा। पीटीए के पैरेंट्स सदस्य चुनाव से निकाले जाएंगे। पैरेंट्स पीटीए में उनको भेजेंगे, जिनके पास कानून, अकाउंट्स व ऑडिट की समझ है और वह लड़ सकते हैं। बिल में यह सबसे बड़ी बेइमानी है और सीधे तौर पर प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट और प्राइवेट स्कूल माफिया के लिए यह कानून बनाया जा रहा है।

सौरभ भारद्वाज ने कहा कि बिल में कहा गया है कि स्कूल की फीस फिक्सेशन कमेटी ने अगर तय कर दिया कि 25 फीसद फीस बढ़ेगी तो कम से कम 15 पैरेंट्स को एक साथ मिलकर स्कूल के खिलाफ शिकायत करनी होगी। अभी तक पैरेंट्स शिक्षा निदेशालय में शिकायत करता है, उस पर जांच होती है और कार्रवाई होती है। इस बिल के मुताबिक, अगर किसी स्कूल में दो हजार बच्चे हैं तो 300 पैरेंट्स को मिलकर शिकायत करनी होगी। 300 पैरेंट्स को इकट्ठा करना संभव नहीं है। यह सिर्फ निजी स्कूल मैनेजमेंट को फायदा पहुंचाने के लिए किया गया है। न तो 300 लोग एकत्र होंगे और ना ही स्कूल के खिलाफ शिकायत करेंगे। धरने-प्रदर्शन में 300 लोग इकट्ठे नहीं हो पाते हैं। सारे पैरेंट्स कामकाजी हैं। यह इसलिए किया गया है ताकि इस कानून के बनने के बाद पैरेंट्स स्कूलों के खिलाफ शिकायत तक न कर सकें। दिल्ली सरकार शिकायत करने का हक भी खत्म करने जा रही है। अगर पैरेंट्स कोर्ट जाएंगे तो कोर्ट भी शिकायत करने की बात कहेगा। ऐसे में पैरेंट्स न शिकायत कर पाएंगे और ना ही कोर्ट जा पाएंगे। प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट की धांधली व तानाशाही करने के लिए दिल्ली सरकार इतनी हड़बड़ी में यह कानून बनाने जा रही है।

सौरभ भारद्वाज ने कहा कि प्राइवेट स्कूलों की एक्शन कमेटी हर मामले में सरकार के खिलाफ हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट जाती थी, उसके अध्यक्ष भरत अरोड़ा दिल्ली भाजपा के प्रदेश कार्यकारिणी में शामिल हैं। भरत अरोड़ा ने सीएम रेखा गुप्ता के लिए चुनाव प्रचार किए थे। वह भाजपा का झंडा उठाकर घूम रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस एक्ट में निजी स्कूलों का ऑडिट कराने का प्रावधान भी नहीं है। जबकि अभी तक दिल्ली स्कूल एजुकेशन एक्ट में ऑडिट का प्रावधान था। शिक्षा मंत्री आशीष सूद गलत बयानी कर रहे थे कि दिल्ली सरकार हाईकोर्ट में हार गई और सरकार के पास कोई पावर नहीं है। यह पूरी तरह झूठ और गलत बयान है। आशीष सूद द्वारा इसलिए गलत बयान दिया जा रहा है ताकि पैरेंट्स को लगे कि शिक्षा विभाग के पास कोई पावर नहीं है और विभाग कुछ कर नहीं सकता।

सौरभ भारद्वाज ने कहा कि मॉडर्न स्कूल बनाम केंद्र सरकार मामले में सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ के आदेश से दिल्ली सरकार को यह पावर मिली है। इसका पैरा 27 कहता है कि स्कूल बिना शिक्षा निदेशालय की पूर्व स्वीकृति के ट्यूशन फीस नहीं बढ़ा सकता और उसे दिल्ली स्कूल एजुकेशन एक्ट रूल्स 1973 का पालन करना होगा। 8 अप्रैल 2025 को नया समाज पेरेंट्स एसोसिएशन बनाम एक्शन कमेटी ऑफ अनएडेड रिकॉग्नाइज्ड प्राइवेट स्कूल्स मामले में हाई कोर्ट की चीफ जस्टिस की बेंच ने कहा कि पहले सिंगल बेंच का ऑर्डर अंतरिम और टेंटेटिव है। सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षा निदेशालय को शक्तियां दी हैं कि वह स्कूलों का ऑडिट करा सकता है, मुनाफाखोरी की जांच कर सकता है और फीस तय या रोल बैक करा सकता है। अरविंद केजरीवाल की सरकार में मनीष सिसोदिया ने इन्हीं शक्तियों के आधार पर 550 स्कूलों की फीस रोल बैक कराकर पेरेंट्स को चेक दिलवाए थे। मंगलवार को दिल्ली सरकार ने मिडिल और अपर मिडिल क्लास की कमर में छुरा घोंपा है। प्राइवेट स्कूलों को फायदा पहुंचाने की ऐसी क्या कमिटमेंट है? ऐसी क्या हड़बड़ी है? 65 दिनों में ही अपनी विश्वसनीयता खोने वाली दिल्ली की यह पहली सरकार है।

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