आम आदमी पार्टी के मुख्य प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि कानून का उल्लंघन करते हुए खादी ग्रामोद्योग के चेयरमैन रहते हुए एलजी वीके सक्सेना ने अपनी बेटी को इंडिया लाउंज का काम दिया। केवीआईसी के एक्ट 1961 के तहत आप किसी कंपनी को कॉन्ट्रेक्ट तब भी नहीं दे सकते हैं जब आपके परिवार का कोई सदस्य उस कंपनी से सम्बंधित हो। खादी इंडिया लाउंज के बोर्ड पर डिजाइनर के रूप में वीके सक्सेना की बेटी का नाम लिखा हुआ है। उन्होंने कहा कि एक कंप्यूटर इंजिनियर हूं और अगर मैं प्रधानमंत्री जी को कहूं कि सेंट्रल विस्टा के अंदर जितने भी आफिस है उसका आईटी कंस्लटेंट मुझे बना दो तो क्या प्रधानमंत्री? केंद्र सरकार से मांग है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच हो। दूध का दूध और पानी का पानी किया जाए। एलजी कहते हैं कि भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस है। ऐसे में वीके सक्सेना को खुद आगे आकर कहना चाहिए कि हां, मैं इसकी निष्पक्ष जांच चाहता हूं। आम आदमी पार्टी के मुख्य प्रवक्ता और विधायक सौरभ भारद्वाज ने शुक्रवार को पार्टी मुख्यालय में महत्वपूर्ण प्रेसवार्ता को संबोधित किया। विधायक सौरभ भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना जी, दिल्ली के एलजी बनने से पहले खादी ग्रामोद्योग (केवीआईसी) के चेयरमैन थे। कल एक न्यूज पोर्टल पर एक खबर छपी है। खबर के अंदर बहुत सारे सवाल, वीके सक्सेना जी के ऊपर खड़े किए हैं। सवाल यह है कि वीके सक्सेना जी जब खादी ग्रामोद्योग (केवीआईसी) के चेयरमैन थे, उस दौरान उनके चेयरमैन रहते समय मुबंई में एक खादी इंडिया लाउंज बनाया गया। जब इनोग्रेशन हुआ तो उसके अंदर एक स्टील की प्लेट लगाकर उद्घाटन किया गया। एलजी खुद केवीआईसी के चेयरमैन रहते हुए कार्यक्रम में मौजूद थे। उस बोर्ड पर उस खादी इंडिया लाउंज के डिजाइनर के रूप में वीके सक्सेना साहब की बेटी का नाम लिखा हुआ है। सौरभ भारद्वाज ने कहा कि अगर आप किसी को काम देते हो तो उसका एक प्रोसेस होता है। ऐसा नहीं है कि अगर मैं चेयरमैन हूं तो चाहे किसी को भी काम दे दूं। केवीआईसी के एम्प्लॉइज कन्डक्ट डिसिप्लिन एंड अपील एक्ट ऑफ 1961 के तहत आप किसी कंपनी को कॉन्ट्रेक्ट तब भी नहीं दे सकते हैं जब आपके परिवार का कोई सदस्य उस कंपनी के अंदर हो। इसके अलावा उस कंपनी में जरा भी इंटरेस्टेड हो या उस कंपनी या सोसायटी से उसका कोई लेना-देना भी हो। लेकिन यहां पर केवीआईसी के चेयरमैन रहते हुए वीके सक्सेना जी उस लाउंज को डिजाइन करने का काम अपनी बेटी को दे दिया। उन्होंने कहा कि अब सवाल उठते हैं कि अगर आप किसी चीज के लिए आर्किटेक्ट ढूंढ रहे हैं या इंटिरीअर डिजाइनर ढूंढ रहे है। बहुत सारी जगह होता है कि इंटिरियर डिजाइनर चाहिए होता है। उसकी एक तय प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया के तहत एक सिलेक्शन क्राइटेरिया बनेगा। न्यूजपेपर या किसी ओर माध्यम से विज्ञापन दिया जाएगा। उस विज्ञापन के तहत आपके पास ऐप्लिकेशन आएगी। उन ऐप्लिकेशन को आप किसी टेस्ट के जरिए छंटनी करेंगे। आप आवेदक को इंफॉर्म करेंगे कि इसके लिए ये टेस्ट होगा। अब टेस्ट लिखित हो या इंटरव्यू हो या कोई काम के आधार पर कोई अन्य सिलेक्शन क्राइटेरिया आप बना सकते है। मगर एक प्रोसेस होगा। उस प्रोसेस में जो आगे निकलेगा उसे आप काम देंगे। मगर यहां पर इस प्रोसेस को न तो रखा गया। अगर ये पूरा प्रोसेस होता भी तब भी केवीआईसी के चेयरमैन अपनी बेटी को ये काम नहीं दे सकते थे। क्योंकि केवीआईसी का खुद का एक्ट यह कहता है। आप सिलेक्शन प्रक्रिया के बाद भी नहीं दे सकते थे। आपने बिना किसी सिलेक्शन प्रक्रिया के दे दिया, ये वर्तमान एलजी पर आरोप हैं। उन्होंने कहा कि जब वीके सक्सेना जी केवीआईसी के चेयरमैन थे, वो भी बहुत जिम्मेदार पद था। आज उससे भी ज्यादा जिम्मेदार पद पर है। अब सवाल यह उठता है कि अब एलजी एक पब्लिक फिगर हैं, जो सवाल कल एक न्यूज पोर्टल पर रखे गए, वो सीधा- सीधा उनपर भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहे हैं। एलजी वीके सक्सेना को एक पब्लिक ऑफिस होल्ड करने के कारण पब्लिकली इसका जवाब देना चाहिए। इसके बारे में अपना स्पष्टीकरण देना चाहिए। अगर आप ये भी कहें कि ये प्रो बोनो था, जोकि मुझे नहीं पता। क्योंकि उस आर्टिकल में इसकी पुष्टि नहीं की गई है कि कितनी फीस दी गई या फिर नहीं दी। केवीआईसी ने दी या किसी कंपनी ने दी या किसी ने नहीं दी। इसका अभी तक कोई स्पष्टीकरण नहीं आया है। एलजी कह रहे हैं कि प्रो बोनो था। मैं यह कहता हूं कि अगर प्रो बोना भी था, तो भी आपको सिलेक्शऩ प्रक्रिया पूरी करनी पड़ेगी। आपको इसका विज्ञापन देना पड़ेगा कि ये एक बड़ा प्रोजेक्ट है। इसके अंदर हम फीस नहीं देंगे, मगर एक सिलेक्शन क्राइटेरिया होगा। सौरभ भारद्वाज ने कहा कि मैं आपको एक उदाहरण देता हूं। मैं एक कंप्यूटर इंजीनियर हूं। अगर मैं प्रधानमंत्री जी को कहूं कि आप सेंट्रल विस्टा बना रहे हैं जिसकी पूरी दुनिया में चर्चा होगी। इस सेंट्रल विस्टा के अंदर जितने भी आफिस हैं, उसका आईटी कंस्लटेंट मुझे बना दो। क्योंकि मैं इन्फॉर्मेशन टेक्नॉलॉजी में एक्सपर्ट हूं। मैं यह काम प्रो बोनो कर दूंगा। मेरे नाम की तख्ती सेंट्रल विस्टा के ऊपर लगा देना कि इसकी आईटी डिजाइनिंग यानी आईटी आर्किटेक्ट सौरभ भारद्वाज ने किया है। क्या प्रधानमंत्री जी इसके लिए तैयार होंगे? क्या केंद्र सरकार इसके लिए तैयार होगी? नहीं होगी। क्योंकि किसी तय प्रक्रिया के अलावा आप यह काम नहीं कर सकते हैं। अपने बच्चों को तो बिल्कुल ही नहीं दे सकते हैं। आज भी खादी लॉउंज के बाहर एक प्लेट लगी हुई है। मेरी नजर में उनकी बेटी का दोष नहीं है, दोष केवीआईसी के चेयरमैन का है। इसलिए उनकी बेटी का नाम मैंने ढक दिया है , बिटिया का नाम लेना ठीक नहीं लगता ।क्योंकि उस बेटी को क्या पता है कि इनके केवीआईसी के आर्गेनाइजेशन में क्या कानून और नियम है। उन्हें तो पापा ने कहा कि बेटा ये डिजाइन करना है। वो तो कॉलेज से निकली बच्ची थी और उन्होंने कर दिया। रिपोर्ट में साफ लिखा है कि कोई खास एक्सपीरियंस नहीं है। कहीं से डिजाइन की पढ़ाई की और उन्हें यह डिजाइन दे दिया। कोई बहुत बड़ा आदमी भी हो तो भी माना जाता है कि नॉमिनेशन के आधार पर आपने उऩ्हें काम दे दिया। कहीं गाने का प्रोग्राम है तो किसी मशहूर गायक को सरकार कह सकती है कि आप यहां कार्यक्रम हमारे लिए कर लिजिए। मगर अगर मुख्यमंत्री का बेटा है और अभी कॉलेज से निकला है। मुख्यमंत्री कहे कि स्टेज पर मेरा बेटा परफॉर्म करेगा तो उसके अंदर गड़बड़ है क्योंकि उसके अंदर कोई तय प्रक्रिया आपने फॉलो नहीं की। उन्होंने कहा कि हम इस पर केंद्र सरकार से निष्पक्ष जांच की मांग करते हैं। दूध का दूध और पानी का पानी किया जाए। एलजी खुद कहते हैं कि उनकी भ्रष्टाचार के प्रति जीरों टॉलरेंस है। ऐसे में एलजी को खुद आगे आकर कहना चाहिए कि हां, मैं चाहता हूं कि इसकी निष्पक्ष जांच हो। दूध का दूध और पानी का पानी हो। अगर आरोप गलत हैं तो आरोप गलत सिद्ध हों। एलजी वीके सक्सेना को खुद आगे बढ़कर करना चाहिए जैसे मनीष सिसोदिया जी ने किया। मनीष सिसोदिया जी ने कहा था कि मेरी जांच करलो। सब साबित हो जाएगा। मेरा एलजी से निवेदन है क्योंकि मैं विधायक हूं वो मेरे भी एलजी है। इस मामले में खुद एक निष्पक्ष जांच की सिफारिश करनी चाहिए। यह जांच दिल्ली के लोगों के लिए बेहद जरूरी है।
2022-09-02